महिलाओं में मूड स्विंग होना तो आम है, पर अगर आपकी मानसिक स्थिति में तेजी से बदलाव हो रहा है और इस पर आपका कंट्रोल खो चुका है तो फिर आपको इसे गंभीरता से लेने की जरूरत है। दरअसल, यह एक तरह की गंभीर मानसिक समस्या है, जिसका शिकार महिलाएं तेजी से हो रही हैं। असल में हम बात कर रहे हैं बाइपोलर डिसऑर्डर की, जिसके बारे में आजकल काफी चर्चाएं हो रही हैं, क्योंकि हाल के दिनों में कई सारे बॉलीवुड सेलेब्स भी सितारों के इससे पीड़ित होने की बात सामने आई है।
गौरतलब है कि बाइपोलर डिसऑर्डर से पीड़ित फिल्मी सितारों की लिस्ट में दिवगंत अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत से लेकर पायल रोहतगी और कंगना रनौत जैसे सितारों के नाम शामिल हैं। इन फिल्मी सितारों के निजी जिंदगी के साथ इनके बाइपोलर डिसऑर्डर से पीड़ित होने की खबरों ने काफी सुर्खियां बटोरी हैं। वहीं देखा जाए तो असल जिंदगी में हमारे आसपास भी बहुत सारे ऐसे लोग हैं जो इससे पीड़ित हैं। पर जानकारी के अभाव में वो न तो अपनी समस्या की पहचान कर पाते हैं और न ही उससे निजात पाने में समर्थ हो पाते हैं।
ऐसे में हमने इस आर्टिकल के जरिए बाइपोलर डिसऑर्डर से जुड़ी सही जानकारी अपने रीडर्स तक पहुंचाने की कोशिश की है। इस आर्टिकल में हम बाइपोलर डिसऑर्डर के लक्षण, कारण और इसके उपचार की बात कर रहे हैं।

बाइपोलर डिसऑर्डर के लक्षण (Symptoms of Bipolar disorder)
- बाइपोलर डिसऑर्डर के लक्षणों की बात करें तो इसका सबसे मुख्य लक्षण है मानसिक स्थिति में तेजी से बदलाव आना। इससे पीड़ित व्यक्ति कभी बहुत अधिक खुश नजर आता है तो कभी अचानक से दुखी और अवसाद ग्रस्त नजर जाता है। ऐसे में इससे पीड़ित व्यक्ति दोहरे व्यक्तित्व को दर्शाते हैं, जिन्हें दूसरों के लिए समझना मुश्किल होता है।
- बाइपोलर डिसऑर्डर से पीड़ित व्यक्ति को गुस्सा भी तेजी से आता है, ऐसे लोग बात-बात पर रिएक्ट करते हैं और बेवजह गुस्सा भी करते हैं। वहीं इनका गुस्सा अधिक देर के लिए नहीं होता, बल्कि ये जल्दी शांत भी हो जाते हैं।
- बाइपोलर डिसऑर्डर के शिकार लोगों में ओवर कॉन्फिडेंस भी देखने को मिलता है। ये लोग हर बात पर अति उत्साहित दिखते हैं और बिना सोचे समझे किसी भी तरह का जोखिम उठाने के लिए तैयार रहते हैं।
- बाइपोलर डिसऑर्डर से पीड़ित लोगों में नींद की समस्या भी आम होती है। ऐसे लोगों को या तो नींद बहुत कम आती है या फिर ये देर तक सोते रहते हैं। वहीं खराब स्लीपिंग पैटर्न के कारण इन्हें सिर दर्द और थकान की समस्या भी पेश आती है।
- बाइपोलर डिसऑर्डर से पीड़ित व्यक्ति अपनी ही दुनिया में गुम रहते हैं, ऐसे में असल दुनिया में इनका व्यवहार काफी असामान्य नजर आता है। ये दूसरो लोगों से मिलने जुलने में या तो असहज होते हैं या फिर दूसरों के साथ अप्रत्याशित रूप से पेश आते हैं।
- बाइपोलर डिसऑर्डर से पीड़ित लोग की मनोदशा काफी अस्थिर रहती है। इनके मन में एक वक्त में कई तरह के विचार आते हैं और कई बार तो इन्हें आत्महत्या के विचार भी आते हैं।

महिलाएं क्यों होती हैं बाइपोलर डिसऑर्डर का शिकार (Why do women become victims of bipolar disorder)?
- अब बात करें आखिर पुरुषों की तुलना में महिलाएं बाइपोलर डिसऑर्डर का अधिक शिकार क्यों होती हैं? तो देखा जाए तो आजकल महिलाओं पर घर से लेकर बाहर तक की दोहरी जिम्मेदारियों का बोझ आ चुका है। ऐसे में इन दोहरी जिम्मेदारियों के साथ तेजी से भागती दुनिया के साथ तालमेल बिठाकर चलने की जद्दोजहद में वो तनाव का शिकार बन जाती है। रोज-रोज का यह तनाव आगे चलकर बाइपोलर डिसऑर्डर का रूप भी ले लेता है।
- महिलाओं में होने वाले हार्मोनल बदलाव भी बाइपोलर डिसऑर्डर का कारण बनते हैं। असल में पीरियड्स, प्रेग्नेंसी, डिलीवरी और मेनोपॉज जैसी शारीरिक अवस्थाओं से गुजरते वक्त महिलाओं को हार्मोनल बदलाव का सामना करना पड़ता है। ये हार्मोनल असंतुलन, तनाव से लेकर दूसरी गंभीर मानसिक समस्याओं का कारण बनते हैं।
- दरअसल, हार्मोनल असंतुलन की स्थिति में शरीर में सेरोटोनिन और डोपामाइन जैसे हैप्पी हार्मोन सही से काम नहीं करते। जबकि ये हार्मोन न्यूरोट्रांसमीटर का काम करते हैं और इनमें आई गड़बड़ी मानसिक विकारों को जन्म देती है।
- वहीं कुछ परिस्थितियों में बाइपोलर डिसऑर्डर अनुवांशिक भी होता है, यानि जिस परिवार में पहले भी लोग इस बीमारी से पीड़ित रह चुके हैं, उस परिवार की महिलाओं में इस मानसिक बीमारी की संभावना बढ़ जाती है।

बाइपोलर डिसऑर्डर का उपचार (Treatment of Bipolar disorder)
बाइपोलर डिसऑर्डर के उपचार की बात करें तो यह एक मानसिक बीमारी है, इसलिए इसके निजात के लिए मनोचिकित्सा (Psychotherapy) की जरूरत पड़ती है। पेशेवर मनोचिकित्सक इस स्थिति में पीड़ित व्यक्ति के मनोदशा के साथ उसके कारणों का समझते हुए उचित परामर्श दे सकता है। महिलाओं के मामले हार्मोनल असुंतलन को ठीक करने के लिए दवाएं दी जाती हैं। इसके अलावा बाइपोलर डिसऑर्डर से निजात के लिए खानपान से लेकर दिनचर्या को नियमित करना जरूरी है। दरअसल, नियमित दिनचर्या से शरीर में सेरोटोनिन और डोपामाइन जैसे न्यूरोट्रांसमीटर का संतुलन बढ़ता है और मानसिक अवसाद का खतरा कम होता है।
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