क्या वाकई जानलेवा साबित हो सकती है जवां दिखने की चाहत? डॉक्टर से जानें एंटी-एजिंग दवाइयों का क्या होता है शरीर पर असर

शेफाली जरीवाला की मौत के बाद एंटी-एजिंग दवाइयों और इंजेक्शन्स को लेकर काफी चर्चा हो रही है। आजकल उम्र से जवां और खूबसूरत नजर आने के लिए कई महिलाएं इनका इस्तेमाल कर रही हैं। कहीं जवां दिखने की यह चाहत जानलेवा तो साबित नहीं हो सकती है, चलिए डॉक्टर से समझते हैं।
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कुछ दिनों पहले कांटा लगा फेम शेफाली जरीवाला की कार्डियक अरेस्ट से अचानक मौत ने सभी को चौंका दिया। उनकी मौत का कारण स्पष्ट नहीं है लेकिन कई रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि वह लंबे समय से एंटी-एजिंग दवाइयां और इंजेक्शन्स ले रही थीं। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या इन दवाइयों के साइड-इफेक्ट की वजह से एक्ट्रेस की जान गई। हालांकि, इस बारे में कोई भी राय बनाने से पहले ऑफिशियल स्टेटमेंट का इंतजार करना होगा। लेकिन, फिलहाल एंटी-एजिंग दवाइयों और इंजेक्शन्स को लेकर कई तरह की शंका लोगों के मन में आ रही हैं। आजकल कई महिलाएं उम्र से जवां और खूबसूरत दिखने के लिए इस तरह के इंजेक्शन्स का इस्तेमाल कर रही हैं। क्या वाकई जवां दिखने की यह चाहत जानलेवा साबित हो सकती है, या ये इंजेक्शन्स और दवाइंया सेफ हैं, इस बारे में हमने डॉक्टर से बात की और इन सवालों के जवाब जानने की कोशिश की। इस बारे में Dr. Sherin Jose, Consultant Dermatologist, Yashoda Hospitals, Hyderabad, Secunderabad जानकारी दे रही हैं।

एंटी-एजिंग दवाइयों का शरीर पर असर असर होता है?

  • एक्सपर्ट का कहना है कि एंटी-एजिंग थेरेपीज जैसे बोटॉक्स, ग्लूटाथियोन और अन्य इंजेक्शन्स को लेकर काफी सवाल किए जाते हैं। इनके इस्तेमाल से पहले इनके फायदे और नुकसान दोनों के बारे में जानना जरूरी है।
  • मार्केट में कई ऐसी एंटी-एजिंग दवाइयां और इंजेक्शन्स मौजूद हैं, जो दावा करते हैं कि उन्हें आधिकारिक तौर पर FDA या CDSCO से अप्रूवल मिला है लेकिन ऐसा नहीं है।
  • विटामिन-सी और ग्लूटाथियोन का इस्तेमाल एंटी-एजिंग या त्वचा को गोरा करने के लिए किया जाता है। इनके फॉमूलेशन का अक्सर प्रायोगिक चिकित्सा या ऑफ-लेबल के रूप में इस्तेमाल किाय जाता है। इससे साफ है कि इनकी सेफ्टी, खासतौर पर लिवर और दिल पर इनके असर के बारे में ठोस प्रमाण नहीं है।

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  • इन ट्रीटमेंट्स के कई संभावित खतरे भी हैं। जैसे जब ग्लूटाथियोन या पेप्टाइड्स पर आधारित इंजेक्शन्स लिए जाते हैं, तो दिल पर दबाव पड़ता है। खासतौर पर अगर आप फास्ट कर रही हैं या डिहाइड्रेटेड हैं। बहुत कम मामलों में इससे हार्ट बीट रुक सकती है या बीपी एकदम ड्रॉप हो सकता है। कई बार इनका लिवर, किडनी और नर्वस सिस्टम पर रिएक्शन होता है।
  • कई क्षेत्रों में इसे लेकर सही नियमों की भी कमी है, जिसके चलते अस्वीकृत या मिश्रित दवाइयों की ब्रिकी हो रही है। इनमें से कई प्रोडक्ट्स ऐसे लोगों द्वारा मार्केट में भेजे जा रहे हैं, जिन्हें मेडिकल से जुड़ी जानकारी जयादा नहीं है। यह भी खतरनाक बात है। इससे अनुचित अनुप्रयोग, गलत खुराक और हेपेटाइटिस या एचआईवी जैसे संक्रामक परिणामों की संभावना बढ़ जाती है।
  • इन थेरेपीज के कई साइड-इफेक्ट्स भी होते हैं। इनमें सिरदर्द, सूजन आना या स्किन पर चोट जैसे निशान नजर आना शामिल हैं। गंभीर साइड-इफेक्ट्स में दिल से जुड़ी दिक्कतें, मांसपेशियों में ढीलापन और एलर्जिक रिएक्शन हो सकते हैं।

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  • बोटॉक्स या एंटी-एजिंग से जुड़ी ट्रीटमेंट्स डॉक्टर्स की देख-रेख में ही किए जाने चाहिए। गलत दवाइयों का इस्तेमाल आपको मुश्किल में डाल सकता है।
  • यह भी समझना जरूरी है कि इनमें से कुछ थेरेपीज केवल कुछ वक्त के लिए ही असर दिखाती हैं और बाद में इनसे मुश्किल आ सकती है।

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अगर आप भी ऐसे किसी दवाई या इंजेक्शन को लेने के बारे में सोच रही हैं, तो एक्सपर्ट की सलाह पर जरूर ध्यान दें। अगर आपको स्वास्थ्य से जुड़ी कोई समस्या है, तो हमें आर्टिकल के ऊपर दिए गए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम अपने आर्टिकल्स के जरिए आपकी समस्या को हल करने की कोशिश करेंगे।
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Image Credit:Freepik

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