बनारस, जिसे लोग काशी और वाराणसी के नाम भी दुनियाभर में मशहूर है। मोक्ष की नगरी से मशहूर यह शहर न सिर्फ एक धार्मिक नगरी नहीं है, बल्कि यह ज्ञान, कला और संस्कृति का एक ऐसा केंद्र है, जिसकी जड़ें सदियों पुरानी हैं। धार्मिक मान्यता से परिपूर्ण बनारस हजारों सालों से, ज्ञान की कई धाराओं को अपने अंदर समाहित किया है। वैदिक काल से लेकर आधुनिक युग तक यह नगरी लोगों के लिए एक चुंबक की तरह रही है। यहां की गलियों में, हर नुक्कड़ पर और हर घाट पर, आपको ज्ञान की एक अलग कहानी पढ़ने और जानने को मिल जाएगी। ऋषि-मुनियों के आश्रमों से लेकर, गुरुकुल और विश्वविद्यालयों तक, बनारस ने हर युग में शिक्षा को बढ़ावा दिया है।
आध्यात्मिक शांति और घाटों की खूबसूरती के साथ ही दुनिया भर में सर्वविद्या की राजधानी से भी मशहूर है, पर क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर ऐसा क्यों। अगर नहीं, तो इस लेख में आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि बनारस को सर्वविद्या की राजधानी क्यों कहा जाता है।
बनारस शहर की हवा में ही कुछ ऐसा है कि यहां आने वाला हर व्यक्ति ज्ञान से सराबोर हो जाता है। चाहे वह वेद-पुराणों का ज्ञान हो, संगीत और कला का हुनर हो या फिर ज्योतिष और गणित की गूढ़ विद्या हो, बनारस ने हर विद्या को सम्मान दिया और उसे बढ़ावा दिया। इसी कारण इसे सर्वविद्या की राजधानी कहा जाता है, जहां हर तरह के ज्ञान को पूजा जाता है।
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बनारस का इतिहास हजारों साल पुराना है। यह शहर वैदिक काल से ही शिक्षा का प्रमुख केंद्र रहा है। यहां ऋषि-मुनियों के आश्रमों और गुरुकुल में वेद, उपनिषद, ज्योतिष, गणित, आयुर्वेद, और दर्शनशास्त्र जैसी विद्याओं का ज्ञान दिया जाता था।
बनारस हिंदू धर्म के लिए सबसे पवित्र जगहों में से एक है। शंकराचार्य, तुलसीदास और कबीरदास जैसे महान संतों ने यहीं से ज्ञान और भक्ति का प्रचार किया। यहां पर कई दर्शनशास्त्र की शाखाओं पर चर्चा और बहस होती थी, जिससे ज्ञान का प्रसार हुआ।
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बनारस संगीत, नृत्य और कला का भी एक बड़ा केंद्र रहा है। यहां पर बनारसी घराने की संगीत परंपरा बहुत प्रसिद्ध है। ठुमरी और ख्याल जैसी शैलियों को यहीं से बढ़ावा मिला।
प्राचीन काल के अलावा, बनारस ने आधुनिक युग में भी शिक्षा को बढ़ावा दिया। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय जैसे प्रमुख संस्थान इसी बात का प्रमाण हैं। बीएचयू को मदन मोहन मालवीय ने स्थापित किया था, जिसका उद्देश्य प्राचीन भारतीय ज्ञान को आधुनिक विज्ञान से जोड़ना था।
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