12वीं के इकोनॉमिक्स और 10वीं के मैथ्स के सीबीएसई के पेपर लीक होने के बाद अब सवाल खुद बोर्ड पर ही उठने लगे हैं क्योंकि यहां सवाल किसी छोटे बोर्ड का नहीं है यहां सवाल उठ रहे हैं जाने-माने बोर्ड सीबीएसई पर।
सीबीएसई (सेंट्रल बोर्ड ऑफ़ सेकंडरी एजुकेशन) ने परिक्षाएं रद्द कराने के बाद उन्हें दोबारा कराने का फैसला लिया है जिसके बाद स्टूडेंट्स के साथ-साथ पैरेंट्स काफी परेशान नजर आ रहे हैं और जिसके चलते वो जगह-जगह पर प्रदर्शन भी कर रहे हैं।
तो चलिए आपको सीबीएसई के पेपर लीक से जुड़ी ऐसी बातें बताते हैं जो आपको जरूर पता होनी चाहिए।
देर से क्यों किया एग्ज़ाम रद्द?
सूत्रों के मुताबिक 10वीं के मैथ्स का पेपर पहले से ही लीक हो गया था मतलब 25 मार्च के आसपास बच्चों को पहले से ही सूचना मिल गई थी कि पेपर लीक हो गया है और whatsapp ग्रुप पर भी स्टूडेंट्स को पेपर मिल गया था तो ऐसे में सीबीएसई इस बात से कैसे अनजान थी। आखिरकार क्यों 10 वीं के स्टूडेट्स के मैथ्स का एग्ज़ाम देने के तुरंत बाद ही पेपर लीक की घोषणा कर दी गई।
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क्या कहना है अधिकारियों का?
सूत्रों की माने तो सीबीएसई के पूर्व अधिकारियों का कहना है कि मौजूदा प्रणाली के तहत प्रोटोकॉल्स का पालन ना किए जाने के कारण पेपर लीक हुए होंगे। इसी तरह के विचार रखते हुए मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने भी कहा है कि दोषियों के खिलाफ कार्रवाई के साथ ही शिक्षा बोर्ड परीक्षा में सुधारों की भी शुरुआत करेगा जिससे सिस्टम को ज्यादा सुरक्षित और मजबूत बनाया जा सके।
इतना आसान क्यों था प्रश्नपत्र का लीक होना?
ऐसा कहा जा रहा है कि केवल एक प्रश्नपत्र होने के कारण पेपर लीक करना काफी आसान हो गया था। मतलब यह है कि सामान्य तौर पर एक पेपर 3 वर्जन्स में होता है। एक दिल्ली में इस्तेमाल होता है और दूसरा इंडिया के बाकी हिस्सों में और तीसरा सेट उन लोगों के लिए होता है जो देश से बाहर परीक्षा दे रहे होते हैं। प्रत्येक जोन के भीतर उसी प्रश्नपत्र के 3 सेट्स होते हैं। इसमें सवाल वहीं होते हैं पर उनका क्रम भिन्न होता है।
ऐसा करने का मकसद यह होता है कि एग्ज़ाम हॉल में 2 स्टूडेंट्स के पास एक ही सेट्स ना मिले और नकल रोकी जा सके।
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दोबारा एग्ज़ाम की डेट में इतनी देरी क्यों?
हालांकि अभी सीबीएसई ने एग्ज़ाम की डेट की घोषणा नहीं की है लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि अप्रैल महीने के अंत तक सीबीएसई दोबारा एग्जाम कराएगी। ऐसे में स्टूडेंट्स और पैरेंट्स की टेंशन बढ़ती ही जा रही है।
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इस मामले में क्या कर रही है पुलिस?
सीबीएसई का पेपर लीक होने के बाद दिल्ली पुलिस ने कई जगहों पर छापेमारी की है। एग्ज़ाम रद्द किए जाने के बाद हुए हंगामे के बीच केंद्र सरकार ने इस मामले की जांच के लिए पुलिस को आदेश दिए थे। जिसके बाद दिल्ली पुलिस ने कहा कि इस मामले में 25 लोगों से पूछताछ की गई है और दो अलग-अलग मामले दर्ज कर लिए गए हैं। जिन लोगों से पूछताछ की गई है उनमें कुछ स्टूडेंट्स और कोचिंग इंस्टीट्यूट्स में पढ़ाने वाले लोग भी शामिल हैं।
कैसे पहुंचते हैं स्कूल तक प्रश्नपत्र?
सबसे पहले बैंक में प्रश्न पत्र सीबीएसई द्वारा पहुंचाए जाते हैं और किस स्कूल का कौंन सा कस्टोडियन बैंक होगा इसका चुनाव भी सीबीएसई ही करती है और इसकी सूचना पहले से ही स्कूल को भेज दी जाती है। साथ ही इस बात का भी ध्यान रखा जाता है कि जिस स्कूल को बोर्ड की परीक्षा का सेंटर बनाया गया है, बैंक उस स्कूल के काफी करीब होना चाहिए।
जिस दिन जिस विषय की परीक्षा होती है उस दिन सुबह स्कूल के प्रतिनिधि, बैंक प्रतिनिधि और सीबीएसई के प्रतिनिधि तीनों की मौजूदगी में प्रश्नपत्र को बैंक के लॉकर से निकाला जा सकता है। इस बीच में बैंक से निकल कर जब प्रश्नपत्र स्कूल तक पहुंचते हैं तो गाड़ी में एक सुरक्षा गार्ड भी मौजूद रहता है।
स्टूडेंट्स तक प्रश्नपत्र पहुंचने से पहले स्कूल प्रिंसिपल, बोर्ड के हेड एग्ज़ामिनर और परीक्षा में निगरानी के लिए शामिल होने वाले शिक्षकों की मौजूदगी में प्रश्नपत्र को खोला जाता है। इन सब चीजों की वीडियो भी बनाई जाती है और साथ ही यह भी ध्यान से देखा जाता है कि प्रश्नपत्र की सील पहले से ना खुली हो।
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कहां से हुआ था पेपर लीक?
12वीं और 10वीं के प्रश्नपत्र होने से पहले ही लीक हो गए थे मतलब पेपर लीक होने का सारा खेल पेपर सेट होने से बैंक तक पहुंचने के बीच ही खेला गया है।
कैसे तैयार होता है प्रश्नपत्र?
सूत्रों की मानें तो सीबीएसई का प्रश्नपत्र तैयार करने की प्रक्रिया हर साल जुलाई और अगस्त में शुरू होती है। प्रश्नपत्र तैयार करने के लिए सीबीएसई हर साल हर विषय के लिए लगभग चार विशेषज्ञों का चयन करती है और इन विशेषज्ञों में कॉलेज और स्कूल के टीचर्स शामिल होते हैं। हर प्रश्नपत्र के तीन सेट बनाए जाते हैं। ये टीचर्स इन प्रश्नपत्रों को एक सील बंद लिफाफे में बोर्ड को भेजते हैं।
यही पर स्टूडेंट्स तक पेपर पहुंचने का सिलसिला खत्म नहीं होता है बल्कि इसके बाद एक उच्च स्तरीय समिति इस बात की जांच करती है कि प्रश्नपत्र सीबीएसई के मानकों के अनुसार है या नहीं। इस समिति का काम होता है कि हर विषय के अलग-अलग सेट को अंतिम रूप से चुनना और इसके बाद ही सीबीएसई को सील बंद पेपर भेज दिए जाते हैं।
इसके बाद तो हम आपको पहले ही बता चुके हैं कि कैसे अलग-अलग सेट बांटे जाते हैं। अगर आसान भाषा में बोले तो इस बात का मतलब यह हुआ कि पेपर सेट करने वाले विशेषज्ञों को भी नहीं पता होता है कि किस स्टूडेंट्स के पास कौन सा पेपर आएगा।
इन सब चीजों को जानने के बाद आप ही बताइए कि आखिरकार गलती किसकी है?
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