उत्तर प्रदेश भगवान कृष्ण की जन्मभूमि और लीलाभूमि है। मथुरा और वृंदावन की धरती पर जहां श्री कृष्ण ने अपना बचपन बिताया, हर गली, हर कोना उनकी कहानियों से जुड़ा है। जन्माष्टमी का पर्व यहां की हवा में घुला हुआ है और इस दौरान इन मंदिरों की यात्रा करना एक अद्भुत अनुभव होता है। सिर्फ मथुरा-वृंदावन ही नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश के अन्य शहरों में भी कृष्ण मंदिर हैं जहां दर्शन करना बहुत शुभ माना जाता है। तो अगर आप जन्माष्टमी पर कृष्ण दर्शन का प्लान बना रहे हैं तो यूपी के इन 5 कृष्ण मंदिरों में दर्शन करने जरूर जाएं।
श्री कृष्ण जन्मभूमि, मथुरा
श्री कृष्ण जन्मभूमि जहां भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था। यह मंदिर एक जेल की कोठरी के ऊपर बनाया गया है जहां कंस ने माता देवकी और पिता वासुदेव को कैद कर रखा था। जन्माष्टमी के दिन यहां का माहौल देखने लायक होता है। मध्यरात्रि को जब भगवान का जन्म होता है तो पूरा परिसर जयकारों और घंटों की ध्वनि से गूंज उठता है।
यहां की यात्रा आपको सीधे कृष्ण के जन्म के उस ऐतिहासिक पल में ले जाती है। इसके अलावा, मथुरा-वृंदावन के अन्य मंदिरों जैसे राधा-रमण मंदिर, राधा-वल्लभ मंदिर, राधा-दामोदर मंदिर आदि में भी कृष्ण जन्मोत्सव की धूम दिखाई देती है।
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श्री गौर राधा कृष्ण मंदिर, लखनऊ
लखनऊ का श्री गौर राधा कृष्ण मंदिर जन्माष्टमी का पर्व बहुत ही धूमधाम से मनाता है। इस दिन मंदिर को रंग-बिरंगे फूलों, रोशनी और गुब्बारों से सजाया जाता है। भक्त सुबह से ही मंदिर में आना शुरू कर देते हैं और पूरा दिन भजन-कीर्तन और भगवान कृष्ण के जयकारों से गूंजता रहता है।
रात 12 बजे जब भगवान कृष्ण का जन्म होता है तब विशेष पूजा और आरती की जाती है जिसे देखने के लिए भक्तों की लंबी कतारें लगी रहती हैं। इस मौके पर मंदिर में एक भव्य झांकी भी सजाई जाती है जिसमें कृष्ण लीलाओं को दिखाया जाता है।
श्री चंद्रहरि मंदिर, अयोध्या
अयोध्या का श्री चंद्रहरि मंदिर जिसे चंद्रहरि आश्रम भी कहते हैं जन्माष्टमी का पर्व बहुत ही उत्साह और भक्ति के साथ मनाता है। इस दिन मंदिर को सुंदर फूलों और रंग-बिरंगी रोशनी से सजाया जाता है। भक्तगण सुबह से ही मंदिर में आना शुरू कर देते हैं और दिन भर भजन-कीर्तन में डूबे रहते हैं।
इस दौरान पूरा मंदिर परिसर जयकारों और घंटों की ध्वनि से गूंज उठता है। यहां पर भगवान कृष्ण के जन्म की झांकी भी सजाई जाती है, जो भक्तों के बीच आकर्षण का केंद्र होती है। आप अपने परिवार के साथ इस मंदिर में जाकर भी जन्माष्टमी का पर्व मना सकते हैं।
श्री राधा वेणी माधव मंदिर, प्रयागराज
प्रयागराज में स्थित श्री राधा वेणी माधव मंदिर जिसे 'वेणी माधव' के नाम से भी जाना जाता है जन्माष्टमी का पर्व बड़े ही हर्ष और उल्लास के साथ मनाता है। इस दिन मंदिर को फूलों, रंग-बिरंगी रोशनी और आकर्षक सजावट से सजाया जाता है। दिन भर भजन-कीर्तन और मंत्रोच्चार का सिलसिला चलता रहता है जिससे पूरा वातावरण भक्तिमय हो जाता है।
रात 12 बजे जब भगवान श्रीकृष्ण का जन्म होता है महाप्रसाद वितरण किया जाता है जिससे भक्तों की आस्था और भी गहरी हो जाती है। इस महाप्रसादी में बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल होते हैं।
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श्री राधा गोपाल मंदिर, बनारस
बनारस में स्थित श्री राधा गोपाल मंदिर, जिसे 'राधा-गोपाल' के नाम से भी जाना जाता है जन्माष्टमी का पर्व बड़े ही उत्साह और भक्तिभाव के साथ मनाता है। इस विशेष दिन पर मंदिर को फूलों, रंग-बिरंगी रोशनी और आकर्षक सजावट से सजाया जाता है जिससे यहां का माहौल बहुत ही मनमोहक हो जाता है। सुबह से ही भक्तजन भगवान कृष्ण की पूजा-अर्चना और भजन-कीर्तन में लीन रहते हैं। रात 12 बजे जब भगवान कृष्ण का जन्म होता है तब मंदिर में विशेष महाआरती और पूजा का आयोजन होता है जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल होते हैं।
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image credit: herzindagi
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