बेहद खास है लूनी नदी, उद्गम स्थान और इससे जुड़े रोचक तथ्यों के बारे में जानें

अगर आप भी लूनी नदी के उद्गम स्थल और इससे जुड़े कुछ रोचक तथ्यों के बारे में जानना चाहते हैं तो फिर आपको इस लेख को ज़रूर पढ़ना चाहिए।

 

luni river origin and history

भारतीय नदियों का इतिहास काफी प्राचीन हैं। देश में मौजूद कुछ नदियां भारत से भी प्राचीन है और आज भी समानांतर रूप से अपनी दिशा में बहती रहती हैं। जैसे-गंगा, यमुना, कावेरी, नर्मदा आदि नदियां भारत के लिए बेहद ही खास हैं।

कुछ नदियां भारतीय राज्यों के लिए बेहद खास होती है। जैसे गंगा नदी उत्तर प्रदेश और बिहार के लिए जीवन प्रदान करती है। इसी तरह नर्मदा मध्य प्रदेश के लिए वरदान है।

इन्हीं में से एक नदी है लूनी नदी। इस नदी को कई लोग लूणी नदी के नाम से भी जानते हैं। मुख्य रूप से राजस्थान लिए यह नदी किसी वरदान से कम नहीं है। इस लेख में हम आपको लूनी नदी के उद्गम स्थल और इससे जुड़े कुछ रोचक तथ्यों के बारे में बताने जा रहे हैं। आइए जानते हैं।

लूणी नदी का उद्गम स्थल

luni river origin

लूनी नदी राजस्थान के कई जिलों के लिए प्रमुख लूना नदी का उद्गम स्थल अमजेर में है। जी हां, यह फेमस नदी अजमेर के नाग पहाड़ी से निकलती है और पश्चिमी राजस्थान में बहती है। लगभग 772 मीटर की ऊंचाई पर मौजूद नाग पहाड़ी से यह नदी निकलती है। इस नदी की कुल लम्बाई लगभग 495 किलोमीटर है और अंत में बहती हुई यह नदी कच्छ के रण में विलीन हो जाती है। इस नदी को कई लोग लवण्वती नदी के नाम से भी जनता है।

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राजस्थान के इन जिलों में बहती है लूना नदी

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राजस्थान की यह फेमस नदी किसी एक जिले में नहीं बहती है बल्कि कई जिलों में बहती है। यह अजमेर से निकलकर नागौर, जोधपुर, पाली बाड़मेर और जालौर क्षेत्र में में लगभग 320 किलोमीटर तक बहती है। इस जिलों के लिए इस नदी का पानी किसी जीवनदायक मंत्र से कम नहीं है। स्थानीय लोग इसी नदी के पानी से अपना जीवन-यापन करते हैं।(भारत की श्रापित नदियां)

इस फेमस नदी की कई सहायक नदियां भी हैं। जैसे-जोजड़ी, जवाई, लीलड़ी, मीठड़ी, सुखडी, बाड़ी और सागी नदियां इसकी सहायक नदियां है।

लूनी नदी से जुड़े रोचक तथ्य

luni river history in hindi

कहा जाता है यह एक ऐसी नदी है जो निकलती पहाड़ों से है, लेकिन यह किसी समुद्र में नहीं मिलती है। इस नदी के बारे में यह भी कहा जाता है कि कुछ दूर (लगभग 100 किमी) तक नदी का पानी ठीक होता है और बाड़मेर के बाद नदी का पानी खरा हो जाता है। बाड़मेर के रेगिस्तान के मिलने में बाद पानी में नमक के कण मिल जाते हैं जिसके चलते पानी खरा हो जाता है। आपको बता दें कि राजस्थान के कुछ जिलों में इस नदी की पूजा-पाठ भी होती है।

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लूना नदी के किनारे घूमने का लुत्फ़ उठाएं

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जी हां, सुंदर और प्राकृतिक नज़रों को देखने के लिए कई सैलानी नदी के किनारे भी पहुंचते हैं। कहा जाता है कि इसी नदी के किनारे थर महोत्सव का आयोजन होता है। इस विशेष मौके पर बाड़मेर में हजारों लोग घूमने के लिए पहुंचते हैं। यहां विदेशी सैलानी भी घूमने के लिए पहुंचते हैं।(व्यास नदी से जुड़े रोचक तथ्य)

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