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Govardhan Puja Vidhi aur Samagri 2025: गोवर्धन पूजा के दिन ऐसे करें श्रीकृष्ण की आराधना, जानें पूरी पूजा सामग्री और विधि

Govardhan Puja Vidhi 2025: गोवर्धन पूजा जिसे अन्नकूट पूजा भी कहते हैं। इसे दिवाली के अगले दिन मनाई जाती है। इस दिन भगवान कृष्ण की पूजा होती है। ऐसे में आप पूजा सामग्री भी जानना जरूरी है, ताकि पूजा अच्छे से पूरी हो सके। आइए आर्टिकल में आपको पूरी जानकारी देते हैं।
Editorial
Updated:- 2025-10-21, 13:07 IST

गोवर्धन पूजा सबसे ज्यादा अहम होती है। इसे अन्नकूट पूजा भी कहते हैं। यह दीपावली के अगले दिन मनाई जाती है। यह पर्व भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित होता है और यह दर्शाता है कि हमें प्रकृति की रक्षा करनी चाहिए। यह विशेष रूप से गोवर्धन पर्वत को उठाने और इंद्र के अहंकार को तोड़ने की लीला का स्मरण कराता है। इस दिन विशेष पूजा सामग्री भी जरूरी होती है। जिसे इस्तेमाल करके आप इस पूजा को पूरी कर सकती हैं। पंडित जन्मेश द्विवेदी से जानते हैं कौन सी सामग्री जरूरी होती है।

गोवर्धन पूजा सामग्री (Govardhan Puja Samagri List 2025)

  • गाय का गोबर
  • श्रीकृष्ण की मूर्ति
  • मिठाइयां
  • खील बताशे
  • पीली सींक
  • कच्चा दूध, दही, घी, शहद, गंगाजल
  • मिट्टी का दीया
  • धूप, अगरबत्ती और कपूर
  • रोली
  • हल्दी चंदन
  • पानी का कलश
  • तुलसी के पत्ते
  • फल और फूल मालाएं
  • दूर्वा घास और वस्त्र

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गोवर्धन पूजा सामग्री का इस्तेमाल क्यों होता है?

  • गाय का गोबर गोवर्धन पर्वत और श्री कृष्ण की प्रतिमा बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
  • फूल पत्तियों का इस्तेमाल सजाने के लिए किया जाता है।
  • मौसमी फल का पूजा में इस्तेमाल किया जाता है।
  • दीपक, घी और बाती आरती के लिए इस्तेमाल होता है।
  • रोली कुमकम और अक्षत को तिलक के लिए इस्तेमाल की जाती है।
  • दूर्वा घास और वस्त्र को भगवान कृष्ण को चढ़ाया जाता है।

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गोवर्धन पूजा के लिए विधि (Govardhan Puja Vidhi 2025 

  • पूजा के स्थान को साफ करके लीप लें।
  • शुभ मुहूर्त में, गाय के गोबर का उपयोग करके ज़मीन पर गोवर्धन पर्वत की आकृति (जिसे पर्वत के आकार में या एक लेटी हुई पुरुष की आकृति में बनाते हैं) बनाएं।
  • इस आकृति के केंद्र में श्रीकृष्ण की प्रतिमा (या गोबर से ही एक छोटी आकृति) स्थापित करें।
  • गोबर के पर्वत को फूल, पत्तियों, दूर्वा, रुई और अन्य सजावटी वस्तुओं से सजाएं। कुछ स्थानों पर इसके चारों ओर छोटी-छोटी गोबर की मानव आकृतियां (गोप-गोपियाँ, गायें, ग्वाले) भी बनाई जाती हैं।
  • इसके बाद इनके पास दीपक को जलाया जाता है।
  • फिर टीका लगाते हैं। खील खिलाते हैं।
  • इसके बाद कथा पढ़ते हैं।
  • जब कथा पूरी हो जाती है, तो गोवर्धन महाराज की परिक्रमा करते हैं।

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यह पूजा हमें सिखाती है कि हमें प्रकृति , पेड़-पौधों और जानवरों की रक्षा करनी चाहिए, क्योंकि वे ही हमारे जीवन का आधार हैं। इसलिए यह पूजा बहुत खास मानी जाती है।

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Image Credit- Freepik

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