नागालैंड के हॉर्नबिल फेस्टिवल से लेकर नागा मिर्च तक के बारे में, जानें क्या है खास

नागालैंड की खूबसूरत वादियों में कौन सा राज छुपा है की लोग इसके दीवाने हैं। तो चलिए आज आपको कराते है इसकी सैर और जानते है इस राज्‍य की क्‍या खासियत है।

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नागालैंड नाम सुनते ही आंखों के सामने हरियाली छा जाती है और प्राकृतिक छटा का दृश्य घुमने लगता है। हरे-भरे पेड़ों और पहाड़ों से सजा नागालैंड आज भी अपनी पूरानी पंरपरा को जीता है। यहां के लोगों के सादगी भरे जीवन को देखकर आपका वापस अपने शहर आने का दिल नहीं करेगा। तो चलिए आज हम आपको इसी नागालैंड की कुछ और अनोखी और खास बातों से रूबरू कराते है। लेकिन इसके लिए सबसे पहले आपको नागालैंड का असल परिचय दे देते हैं। नागालैंड के बारे में बात करें तो ये 1 दिसंबर, 1963 को भारत का सोलहवां राज्य बना था। इसकी सीमा पूर्व में बर्मा से, पश्चिम में असम से, उत्तर में अरुणाचल प्रदेश से और दक्षिण में मणिपुर से जुड़ी हुई है।

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सबसे छोटा राज्य है

क्‍या आपको पता है कि नागालैंड भारत का सबसे छोटा राज्य है। जी हां,नागालैंड 16,579 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला है और यहां की राजधानी कोहिमा है। राज्‍य का ज्यादातर क्षेत्र पहाड़ी है और यहां की सबसे ऊंची पहाड़ी सरमती है जिसकी ऊंचाई 3,840 मीटर है और ये पहाड़ नागालैंड(इन जगहों पर जाने के लिए चाहिए परमीशन) और म्‍यांमार के बीच सीमा रेखा का काम करती है।

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जनजातियां का जिक्र जरूरी

जनजातियां को जाने बिना नागालैंड को समझ पाना मुश्किल है। अगर जनजातियों की बात करें तो नागालैंड की प्रमुख जनजातियां- चाखेसांग, चांग, अंगामी, आओ, खिआमनीउंगन, कुकी, कोन्‍याक, लोथा, फौम, पोचुरी, रेंग्‍मा, संगताम, सुमी, यिमसचुंगरू और ज़ेलिआंग हैं। नागालैंड के ज्यादातर लोग ईसाई धर्म को मानते हैं, इसके बाद ज्यादातर हिन्दू और इस्लाम धर्म के मानने वाले रहते हैं। वहीं, नागालैंड में तकरीबन 36 तरह की अलग-अलग भाषाएं बोली जाती हैं, वैसे यहां की मुख्य भाषा नागा ही है।

हॉर्नबिल फेस्टिवल की खासियत

लेकिन आज हम आपको वहां केहॉर्नबिल फेस्टिवल के बारे में बताने वाले हैं। ये फेस्टिवल हर साल 1 से 10 दिसंबर के बीच नागालैंड पर्यटन सरकार के हॉर्नबिल या कॉर्मोरेंट बर्ड द्वारा आयोजित की जाती है। ये फेस्टिवल हर साल कोहिमा से 12 किलोमिटर दूर स्थित नगा हेरिटेज गांव किसामा में ही आयोजितहोता है। इस फेस्टिवल को देखने के लिए देश-विदेश से असंख्य पर्यटक आते हैं। इस फेस्टिवल का मुख्‍य आकर्षण होता है यहां का पांरपारिक गीत और नृत्य। साथ ही, इस फेस्टिवल में नागा मिर्च खाने की प्रतियोगिता भी लोगों का ध्‍यान खिंचती है। आपको बता दें कि पहली बार इस फेस्टिवल का आयोजन साल 2000 में नागालैंड राज्य दिवस के रूप में किया गया था। त्योहार का उद्देश्य स्वदेशी संस्कृति को उजागर करके पर्यटन उद्योग को बढ़ावा देना था। ये फेस्टिवल हर साल किसी ना किसी थीम पर मनाया जाता है।

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भूत झोलकिया की खासियत

नागालैंड में पाई जाने वाली एक तरह की मिर्च की वजह से इसका नाम गिनीज बुक ऑफ रिकॉडर्स में शामिल है। दरअसल सबसे तीखी और तेज मिर्च (दुनिया की सबके तीखी मिर्च) की बात करें तो साल 2007 में गिनीज बुक ऑफ रिकॉडर्स में भूत झोलकिया मिर्च को दुनिया की सबसे तीखी और तेज मिर्च माना गया था। भूत झोलकिया सामान्य मिर्च की तुलना में 400 गुना ज्यादा तीखी होती है। ये मिर्च इतनी तीखी होती है की इसको खाते ही मुंह में तेज जलन होने लगती है। भूत झोलकिया मिर्च की खेती नागालैंड सहित असम और मणिपुर (मणिपुर के बारे में जानें खास बातें) में होती है। इस मिर्च को नागा झोलकिया और भूत काली मिर्च, घोस्ट चिली, घोस्ट पेपर के नाम से भी जाना जाता है।

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तो अगर आपका कभी नागालैंड घूमने का प्‍लान बने तो आप हॉर्नबिल फेस्टिवल के दौरान ही यहां जाने की कोशिश करें, ताकि आप नागालैंड की संस्कृति से अच्‍छे से रूबरू हो सकें।अगर आपको ये जानकारी अच्छी लगी तो जुड़ी रहिए हमारे साथ। इस तरह की और जानकारी पाने के लिए पढ़ती रहिए हरजिंदगी।

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