कारगिल विजय दिवस के बारे में बहुत बच्चे अभी भी नहीं जानते। हर साल 26 जुलाई का दिन वीर सपूतों की बहादुरी, बलिदान और अडिग हिम्मत की याद में मनाया जाता है। साल 1999 में कारगिल युद्ध भारत और पाकिस्तान के बीच हुआ था। जिसमें कई सैनिकों ने देश के लिए जान गंवाई थी। लेकिन इस दिन को मनाने का उद्देश्य सिर्फ इतिहास को याद करना नहीं है, बल्कि हमारी आने वाली पीढ़ी को वीर सपूतों के बारे में बताना है। उन्हें इस बात को समझाना है कि देश के लिए आज भी हजारों लाखों सैनिक अपनी जान की परवाह किए बिना दुश्मनों से लड़ रहे हैं। अगर आप भी अपने बच्चों को कारगिल विजय दिवस के महत्व के बारे में समझाना चाहते हैं, तो यह आर्टिकल आपके काम आएगा। आज के इस आर्टिकल में हम आपको कुछ ऐसी जगहों के बारे में बताएंगे, जहां आपको बच्चों को लेकर जाना चाहिए।
कारगिल वॉर मेमोरियल, द्रास (लद्दाख)
- जब यहां आप अपने बच्चों के साथ जाएंगी, तो आपकी भी आंखे नम हो जाएंगी। यह आपको 527 शहीदों के नाम सुनहरे अक्षरों में अलग-अलग पत्थरों पर एक लाइन से लिखे हुए देखने को मिलेंगे। इसे देखकर बच्चे समझ पाएंगे, कि जब जवान देश के लिए लड़ते हैं, तो वह अपनी जान की भी परवाह नहीं करते।
- यहां एक एक अमर जवान ज्योति जलती है, जोजो हमेशा बलिदान की ऊर्जा को दर्शाती है।
- इंडिया के परमवीर चक्र विजेता कैप्टन पांडे के नाम से एक गैलरी बनाई गई है, जिसमें उनके बारे में बच्चे पढ़ पाएंगे।
- यहां युद्ध में प्रयोग किए युद्ध से सम्बंधित हथियार और युद्ध के दौरान तैयार किया गया चार्ट भी देखने को मिलेगा। यह वॉर गैलरी व ड्रास वॉर रूम में रखा गया है।

राष्ट्रीय युद्ध स्मारक (National War Memorial), नई दिल्ली
- यहां बच्चों को केंद्र में 15 मीटर ऊंचा स्मारक स्तंभ देखने को मिलेगा।
- वीरता चक्र, त्याग चक्र जहां शहीद जवानों के नाम सुनहरी अक्षरों में ग्रेनाइट टैबलेट्स पर बनाए गए हैं। जिसे बच्चे पढ़ सकते हैं।
- इस स्मारक को चार चक्रों में बंटा है, अमर चक्र , वीरता चक्र , त्याग चक्र और रक्षक चक्र। जिसमें हर चक्र को शहीदों के प्रतीक के रूप में दर्शाया गया है।
- अमर चक्र में अमर ज्योति निरंतर जलती है, जो शहीदों की अमरता का प्रतीक है।

जसवंत गढ़ युद्ध स्मारक
यह अरुणाचल प्रदेश तवांग से लगभग 22 से 25 किमी की दूरी पर स्थित है। यह जगह राइफलमैन जसवंत सिंह रावत की बहादुरी की याद में बनाया गया था। 1962 के युद्ध में जसवन्त सिंह ने अकेले 72 घंटे तक चीनी सेना का मुकाबला किया था। यह स्मारक भले ही कारगिल युद्ध से न जुड़ा हो। लेकिन यह हमारे उस वीर की याद दिलाता है, जिसके बारे में बच्चों को जरूर जानना चाहिए। यह बच्चों के साथ वीकेंड पर जाने के लिए अच्छी जगह में से एक है।
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image credit- wikipedia, jagran
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