जानिए भारत के पहले अंडरवाटर म्यूजियम के बारे में

म्यूजियम तो आपने कई देखे होंगे, लेकिन पानी के अंदर किसी म्यूजियम को देखना यकीनन बेहद ही अलग व यादगार एक्सपीरियंस होता है। हालांकि, अब इस एक्सपीरियंस के लिए आपको बाहर जाने की जरूरत नहीं है। 

india first underwater museum in puducherry in hindi

जब हम पुदुचेरी की बात करते हैं तो हमारे दिमाग में सबसे पहले खूबसूरत समुद्र तट, लोकल फूड्स और फ्रेंच आर्किटेक्चर के साथ चर्च आदि ही दिमाग में आते हैं। लेकिन पुदुचेरी में इसके अलावा जो चीज सबसे अधिक सैलानियों को आकर्षित करती है, वह है यहां का अंडरवाटर म्यूजियम। यूं तो हर राज्य में कई तरह के म्यूजियम स्थापित है। लेकिन पुदुचेरी में मौजूद इस अंडरवाटर म्यूजियम की बात ही अलग है। दरअसल, इसकी गिनती भारत के सबसे पहले अंडरवाटर म्यूजियम में होती है और इसे देखने का अपना एक अलग ही एक्सपीरियंस है, जिसे व्यक्ति कभी भी नहीं भूल सकता।

आमतौर पर, म्यूजियम का नाम सुनकर ही अधिकतर लोग बोरियत महसूस करते हैं। लेकिन यह म्यूजियम ऐसा है, जिसे देखने का अपना एक अलग ही थ्रिल है। खासतौर से, अगर आपको वाटर स्पोर्ट्स में दिलचस्पी है या फिर आपको कुछ एंडरवेचर्स करना अच्छा लगता है, तो यकीनन यह म्यूजियम आपको निराशा नहीं करेगा। तो चलिए आज इस लेख में हम आपको पुदुचेरी में स्थित भारत के सबसे पहले अंडरवाटर म्यूजियम के बारे में बता रहे हैं-

माइनस्वीपर आईएनएस कुड्डालोर को बनाया म्यूजियम

यह अंडरवाटर म्यूजियम वास्तव में एक डीकमीशन माइंसवीपर, आईएनएस कुड्डालोर है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओशन टेक्नोलॉजी, नेशनल सेंटर फॉर कोस्टल रिसर्च, एनजीओ पॉन्डीकैन और केंद्र सरकार के साथ मिलकर भारतीय नौसेना ने माइनस्वीपर को एक अंडरवाटर म्यूजियम में बदल दिया। अब तक लोग केवल टाइटैनिक को देखना पसंद करते हैं, लेकिन अब इस अंडरवाटर म्यूजियम को लेकर भी लोगों में उतनी ही ही उत्सुकता है। बता दें कि आईएनएस कुड्डालोर करीबन तीन दशकों तक सेवा में रहा। अपने कार्यकाल में आईएनएस कुड्डालोर ने करीबन 30 हजार नॉटिकल माइल्स की दूरी तय की। यह करीबन 60 मीटर लंबी और 12 मीटर चौड़ी संरचना है। (ये हैं दुनिया के सबसे पुराने रेलवे स्टेशन)

यहां पर है स्थित

underwater museum

यह अंडरवाटर म्यूजियम पुदुचेरी के तट से लगभग 7 किमी दूर 26 मीटर की गहराई पर समुद्र तल में बनाया गया है। इस म्यूजियम को तैयार करने के लिए आईएनएस कुड्डालारे के दरवाजे निकाल दिए गए हैं। जिससे समुद्री जीव बेहद आसानी से जहाज के अंदर जा सकें। साथ ही, अगर आप इस म्यूजियम को देखना चाहती हैं तो आप पानी में गोता लगा सकती हैं। साथ ही समुद्री जीवों के साथ तैराकी भी कर सकते हैं। हालांकि, तैराकी करते समय कोई समस्या ना हो, इसके लिए जरूरी सामान भी मुहैया करवाने की व्यवस्था है।

कई मायनों में है लाभदायक

यह अंडरवाटर म्यूजियम कई मायनों में लाभदायक है। सबसे पहले तो यह भारत में अपनी तरह का पहला म्यूजियम है, जिसके कारण लोगों के मन में इसे लेकर काफी उत्सुकता है। ऐसे में यह ना केवल पुदुचेरी में टूरिज्म को बढ़ावा देगा, बल्कि इको-सिस्टम को भी मजबूत करेगा। इतना ही नहीं, इससे मछली पकड़ने के उद्योग का भी विकास निश्चित रूप से होगा।

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अंडरवाटर म्यूजियम का मुख्य आकर्षण

underwater travel

इस म्यूजियम का मुख्य आकर्षण विदेशी मछलियां और समुद्री कछुए है। इसके अलावा शैवाल, कवक और बार्नाकल को उनके प्राकृतिक आवास में देखने का अपना एक अलग ही आनंद है। यहां पर आपको स्नॉर्केलिंग और स्कूबा डाइविंग के लिए 60 किमी लंबी साइट भी मिलती है। जिसके कारण आप यहां पर म्यूजियम के साथ-साथ और भी बहुत कुछ एक्सपीरियंस कर सकते हैं। (गर्मियों में यहां जाएं)

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Image Credit- freepik

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