मां दुर्गा के इस मंदिर में पूजा करने से भक्तों की सभी मुरादें हो जाती हैं पूरी, आप भी पहुंचें

मां दुर्गा का एक ऐसा प्राचीन और पवित्र मंदिर जहां दर्शन मात्र से भक्तों की मुरादें हो जाती हैं पूरी। आइए जानते हैं इस मंदिर के बारे में। 

 

history of chandraghanta temple

Navratri 2022: इस समय कन्या कुमारी से लेकर जम्मू कश्मीर और अरुणाचल प्रदेश से लेकर गुजरात तक नवरात्रि पूजा का त्योहार धूम-धाम के साथ मनाया जा रहा है। भक्त लोग भी मां दुर्गा के प्राचीन और फेमस मंदिरों में खूब उमड़ रहे हैं।

कहा जाता है कि जो भी भक्त सच्चे दिल से मां की दरबार में माथा टेकता है तो उसकी सभी मुरादें पूरी हो जाती हैं। भारत में ऐसे कई दुर्गा मंदिर हैं जहां नवरात्रि के दिनों में भक्त पहुंचते रहते हैं।

इस आर्टिकल में हम आपको एक ऐसे ही मंदिर के बारे में बताने जा रहा रहे हैं जिसके बारे में कहा जाता है कि जो भी भक्त सच्चे मन से दर्शन करने पहुंचता है तो उसकी सभी मुरादें पूरी हो जाती हैं। आइए जानते हैं।

मां चंद्रघंटा मंदिर (Chandraghanta Temple)

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जी हां, हम जिस प्राचीन और पवित्र मंदिर के बारे में जिक्र कर रहे हैं उस मंदिर का नाम 'मां चंद्रघंटा मंदिर' है। यह पवित्र मंदिर किसी और जगह नहीं बल्कि त्रिवेणी संगम के नाम से फेमस यानी प्रयागराज में है। इस मंदिर को देवी का तीसरा रूप माना जाता है।

स्थानीय लोगों के बीच मां चंद्रघंटा का मंदिर काफी पवित्र और लोकप्रिय है। अन्य दिनों के मुकाबले नवरात्रि के दिनों में इस मंदिर में भक्तों की बहुत भीड़ रहती हैं। यहां दूर-दूर से लोग दर्शन के लिए पहुंचते हैं।

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कैसे पड़ा मां चंद्रघंटा का नाम?

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देवी मां का नाम चंद्रघंटा क्यों पड़ा इसके पीछे बेहद ही दिलचस्प कहानी है। लोक कथाओं के अनुसार मां का मस्तक अर्धचंद्र घंटे की तरह था और उनका शरीर सोने की तरह हमेशा चमकता रहता था इसलिए उनका नाम चंद्रघंटा पड़ा। कहा जाता है कि मां चंद्रघंटा अस्त्र-शस्त्र से सुशोभित रहती हैं और वो सिंह की सवारी करती थीं।(नवरात्रि में इन जगहों पर घूमने पहुंचें)

मां चंद्रघंटा की पौराणिक कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार जब धरती पर असुरों का आतंक बढ़ने लगा था तो मां दुर्गा ने चंद्रघंटा का अवतार लिया। एक अन्य कथा है कि तीनों देवताओं के मुख से जो ऊर्जा उत्पन्न हुई, उससे एक देवी अवतरित हुईं, जिन्हें चंद्रघंटा के नाम से जाना जाने लगा।

कहा जाता है कि अवतार लेने के समय महिषासुर देवराज इंद्र से स्वर्ग का सिंहासन प्राप्त करना चाहता था। ऐसे में मां चंद्रघंटा और महिषासुर के बीच घोर युद्ध चला और अंत में महिषासुर मारा गया।(मां दुर्गा के 8 प्रसिद्ध मंदिर)

नवरात्रि में होता है विशेष कार्यक्रम का आयोजन

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नवरात्रि के दिनों में यहां पूरे नौ दिन भजन और कीर्तन का आयोजन होता है। इसके अलावा यहां पर रामलीला का भी आयोजन होता है। अष्टमी, नवमी और दशमी के दिन यहां सबसे अधिक भक्त पहुंचते हैं। यहां होने वाले कार्यक्रम को देखने के लिए शहर के हर कोन से लोग पहुंचते हैं।

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वाराणसी में भी है मां चंद्रघंटा मंदिर

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि प्रयागराज के अलावा शिव नगरी यानी काशी में भी एक प्राचीन और पवित्र मां चंद्रघंटा का मंदिर है। यहां भी नवरात्रि में भक्तों की भीड़ लगी रहती हैं।

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