15 अक्टूबर से शारदीय नवरात्रि का पर्व शुरू हो रहा है। नवरात्रि के इस नौ दिनों के पर्व में भक्त दूर-दूर से माता के शक्तिपीठों के दर्शन के लिए आते हैं। नवरात्रि में माता के शक्तिपीठ के दर्शन की बहुत मान्यता है।
शास्त्रों के अनुसार शक्तिपीठ वह पवित्र जगह है, जहां पर देवी के अंगों के टुकड़े गिरे थे। देशभर में माता के 51 शक्तिपीठ मौजूद है।
वैसे तो माता के कुल 51 शक्तिपीठ उत्तर प्रदेश, गुजरात, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, बांग्लादेश, कश्मीर, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र के नासिक, , राजस्थान के बिरात, श्रीलंका, तिब्बत, ओडिशा, नेपाल, असम के गुवाहाटी, कोलकाता, हरियाणा के कुरुक्षेत्र, बिहार के पटना और पाकिस्तान जैसी जगहों पर स्थित हैं।
लेकिन आज के इस आर्टिकल में हम माता के उन फेमस शक्तिपीठों के बारे में बताएंगे, जो भारत में फेमस है।
यह मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है। यहां माता का योनि वाला हिस्सा यानि गर्भ गिरा था। मंदिर असम के गुवाहाटी शहर में नीलाचल की पहाड़ियों पर स्थित हैं। असम की राजधानी दिसपुर के पास गुवाहाटी से 6 किलोमीटर की दूरी पर बसा है।
यहां नवरात्रि में दुर्गा पूजा के साथ-साथ विशाल मेले का आयोजन होता है। अगर आप कामाख्या देवी मंदिर में जाएंगे तो आपको यहां किसी माता की मूर्ति नहीं मिलेगी। (यहां हैं देवी के प्रसिद्ध मंदिर)
लेकिन यहां पर मंदिर प्रांगण में योनि रूपी एक समतल चट्टान जरूर नजर आएगा। जिसकी पूजा के लिए श्रद्धालु दूर दूर से आते हैं। इस स्थल को योनि कुंड के नाम से भी जाना जाता है।
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इस मंदिर में माता का हृदय गिरा था। यहां माता के किसी मूर्ति की पूजा नहीं होती, बल्कि यहां एक श्री चक्र की पूजा की जाती है। सफेद संगमरमर से बना यह भव्य मंदिर भक्तों के लिए आकर्षण का केंद्र है।
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इस मंदिर का शिखर 103 फुट ऊंचा। नवरात्र के अवसर पर मंदिर में गरबा का आयोजन होता है। (वैष्णो देवी माता की रहस्यमयी कहानियां)
मंदिर तक पहुंचने के लिए आपको 999 सीढ़ियां चढ़नी पड़ेगी। अगर आप यहां दर्शन का प्लान बना रहे हैं, तो आपको अहमदाबाद के सरदार वल्लभ भाई पटेल इंटरनेशनल एयरपोर्ट तक फ्लाइट लेनी होगी, जो 86 किलोमीटर दूर है। आप ट्रेन के जरिए आबू रोड रेलवे स्टेशन आ सकते हैं, जो यहां से 20 किलोमीटर दूर है।
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इस मंदिर में माता एक पिंडी रूप में स्थित है। यहां माता सती का दाहिना वक्ष गिरा था। इसके साथ ही माना जाता है कि जब महिषासुर के साथ युद्ध में माता को कुछ चोटें आई थीं, तो उन्होंने यहां आकर ही अपने शरीर पर मक्खन लगाया था। मंदिर में माता को प्रसाद चढ़ाने का अलग रिवाज है।
यहां हर भाग में माता को अलग तरह से प्रसाद चढ़ाया जाता है, जैसे पहला भाग महासरस्वती, दूसरा भाग महालक्ष्मी और तीसरा महाकाली को चढ़ाया जाता है। इसलिए ही यहां मंदिर के गर्भगृह में भी तीन पिंडी हैं।
आपको एक बात जानकार हैरानी होगी कि मंदिर में हिंदुओं और सिखों के अलावा मुस्लिम भी आस्था के साथ फूल चढ़ाते हैं। मंदिर के तीन गुंबद इस बात के प्रतीक है।
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Image Credit- Insta
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