ये हैं भारत के 3 ऐसे शिव मंदिर जहां बिना घंटी बजाए नहीं होती पूजा पूरी, यहां जानें कैसे पहुंच सकते हैं

सावन में यदि आपको भगवान शिव की शरण में जाना हो, तो इन मंदिरों के दर्शन जरूर करें। ऐसा माना जाता है कि यहां कि अद्भुत परंपरा निभाने से मनोकामना पूरी होती है। चलिए आपको बताएं कि इन मंदिरों में पहुंचा कैसे जा सकता है?
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सावन में महादेव के भक्त उनके दर्शन करने के लिए भारत के अलग-अलग मंदिरों में जाते हैं। हर मंदिर की अपनी कहानी और परंपरा है। किसी मंदिर में शराब चढ़ाई जाती है, तो कहीं घंटी बजाई जाती है।

हिंदू धर्म में पूजा-पाठ की शुरुआत से पहले घंटी बजाने की परंपरा प्राचीन समय से चली आ रही है। माना जाता है कि घंटी की ध्वनि नकारात्मक ऊर्जा को दूर भगाती है और वातावरण को पवित्र करती है। लेकिन कुछ ऐसे विशेष शिव मंदिर भी हैं जहां घंटी बजाना केवल परंपरा नहीं, बल्कि पूजा का अनिवार्य हिस्सा है। बिना घंटी बजाए यहां पूजा अधूरी मानी जाती है।

भगवान शिव के इन मंदिरों में घंटी का विशेष महत्व है। इस लेख में हम भारत के तीन ऐसे प्रसिद्ध शिव मंदिरों कांचीपुरम का कैलासनाथर मंदिर (तमिलनाडु), औरंगाबाद का घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर (महाराष्ट्र) और रेवाड़ी का घंटेश्वर महादेव मंदिर (हरियाणा) के बारे में बताएंगे, जहां घंटी बजाना पूजा की प्रक्रिया का अनिवार्य अंग है।

1. कैलासनाथर मंदिर, कांचीपुरम (तमिलनाडु)

तमिलनाडु के कांचीपुरम में स्थित कैलासनाथर मंदिर, भगवान शिव को समर्पित एक प्राचीन मंदिर है जो 8वीं शताब्दी में पल्लव वंश के दौरान बनाया गया था। भक्तों की मान्यता है कि जो भी सच्चे मन से यहां पूजा करता है और घंटी बजाता है, उसकी मनोकामनाएं अवश्य पूर्ण होती हैं।

kailashnath mandir tamil nadu

मंदिर में घंटी बजाने की परंपरा शिव को जागृत करने की नहीं, बल्कि स्वयं की चेतना को जागृत करने की प्रक्रिया मानी जाती है। घंटी की ध्वनि यहां एक आध्यात्मिक कंपन उत्पन्न करती है जो भक्त को ध्यान में स्थिर करती है। कहा जाता है कि बिना घंटी बजाए की गई पूजा अधूरी होती है और भक्त को पूर्ण फल नहीं मिलता।

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कैसे पहुंचे कैलासनाथ मंदिर-

हवाई मार्ग: आप मेजर सिटीज से यहां आसानी से पहुंच सकते हैं। यहां आने के लिए निकटतम हवाई अड्डा चेन्नई इंटरनेशनल एयरपोर्ट है।

रेल मार्ग: कांचीपुरम रेलवे स्टेशन मुख्य शहरों से जुड़ा है।

सड़क मार्ग: चेन्नई से नियमित बसें और टैक्सी भी उपलब्ध हैं। यहां पहुंचने के बाद मंदिर पहुंचने में आपको ज्यादा परेशानी नहीं होगी।

2. घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर, औरंगाबाद (महाराष्ट्र)

घृष्णेश्वर मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में अंतिम स्थान रखता है और शिवभक्तों के लिए श्रद्धा का केंद्र है। यह मंदिर औरंगाबाद जिले के एलोरा गुफाओं के पास स्थित है और इसकी महिमा शास्त्रों में विशेष रूप से वर्णित है।

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यहां एक खास परंपरा है कि हर भक्त को मंदिर में प्रवेश करने से पहले मुख्य द्वार पर लगी घंटी अवश्य बजानी चाहिए। यह घंटी सिर्फ पूजा की शुरुआत का संकेत नहीं है, बल्कि यह शिव के प्रति अपनी उपस्थिति और समर्पण की घोषणा कहलाती है।

घंटी बजाने से ऐसा माना जाता है कि भक्त अपनी समस्त नकारात्मकता को बाहर छोड़कर मंदिर में प्रवेश करता है। भक्तों का विश्वास है कि यहां घंटी बजाकर सच्चे मन से मांगी गई मन्नत अवश्य पूरी होती है।

कैसे पहुंचे घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर:

हवाई मार्ग: निकटतम हवाई अड्डा औरंगाबाद एयरपोर्ट है, जो मंदिर से लगभग 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां से टैक्सी और कैब आसानी से मिल जाती हैं।

रेल मार्ग: औरंगाबाद रेलवे स्टेशन मंदिर से करीब 28-30 किलोमीटर दूर है। स्टेशन से टैक्सी, ऑटो या लोकल बस के जरिए मंदिर तक आसानी से पहुंचा जा सकता है।

सड़क मार्ग: औरंगाबाद शहर से एलोरा की ओर जाने वाली सड़कें अच्छी स्थिति में हैं। महाराष्ट्र रोडवेज की बसें और प्राइवेट टैक्सी से भी मंदिर पहुंचा जा सकता है।

3. घंटेश्वर महादेव मंदिर, रेवाड़ी (हरियाणा)

इस मंदिर की खास पहचान यहां लगी सैकड़ों छोटी-बड़ी घंटियों की श्रृंखला है, जो दूर से ही भक्तों का ध्यान खींचती है। यहां आने वाला हर भक्त दर्शन से पहले घंटी जरूर बजाता है। भक्तों की मान्यता है कि अगर कोई सच्चे मन से भगवान शिव का नाम लेकर घंटी बजाए, तो उसकी हर मनोकामना पूरी होती है।

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बहुत से श्रद्धालु अपनी मन्नत पूरी होने पर यहां बड़ी-सी पीतल की घंटी चढ़ाते हैं, जिसे मंदिर परिसर में सम्मान के साथ टांगा जाता है। सावन और महाशिवरात्रि पर यहां भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। उस समय मंदिर की घंटियों की अनवरत गूंज माहौल को अद्भुत बना देती है।

कैसे पहुंचे घंटेश्वर महादेव मंदिर:

हवाई मार्ग: यहां जाने के लिए निकटतम हवाई अड्डा इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा, दिल्ली है, जो मंदिर से लगभग 80 किमी की दूरी पर स्थित है। एयरपोर्ट से टैक्सी और कैब की सुविधा आसानी से उपलब्ध है।

रेल मार्ग: रेवाड़ी जंक्शन रेलवे स्टेशन मंदिर से महज 2-3 किमी की दूरी पर है। स्टेशन से ऑटो रिक्शा, ई-रिक्शा और टैक्सी आसानी से मिल जाती है।

सड़क मार्ग: रेवाड़ी दिल्ली-जयपुर हाईवे (NH-48) पर स्थित है। दिल्ली, गुरुग्राम, भिवाड़ी और जयपुर से नियमित बस सेवा और टैक्सी की सुविधा उपलब्ध है।

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अगली बार जब आप इन स्थलों की यात्रा करें, तो घंटी बजाकर महादेव को अपनी इच्छाएं बताएं। हमें उम्मीद है कि यह लेख आपको पसंद आया होगा। इसे लाइक करें और फेसबुक पर शेयर करना न भूलें। ऐसे ही लेख पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी के साथ।

Image Credit: Incredibleindia, Wikimedia, Aurangabadtourism, Mappls.com

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