रंगों के त्योहार होली का नाम सुनते ही मन में खुशियां और मुंह में मिठास घुलने लगती है। होली जैसे-जैसे पास आती है घरों में गुजिया और तरह-तरह की मिठाई बनने लगती है, जो रंगों के त्योहार की रौनक में चार-चांद लगाती है। हर घर में गुजिया बनाने का तरीका अलग होता है। लेकिन, यहां हम गुजिया बनाने या गुजिया की महत्व के बारे में बात नहीं करने जा रहे हैं। अक्सर आपने बाजारों से लेकर घरों में गुजिया और गुझिया के बारे में सुना होगा। ऐसे में कई लोग कंफ्यूज हो जाते हैं कि क्या यह एक ही मिठाई के नाम हैं या फिर इनमें कोई खास अंतर है।
गुजिया को पारंपरिक मिठाई भी माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि 17वीं शताब्दी में पहली बार होली के मौके पर श्रीकृष्ण को गुजिया का भोग लगाया गया था। जिसके बाद से हर साल होली पर गुजिया बनाने और भगवान को भोग लगाने की परंपरा की शुरुआत हो गई। होली का त्योहार पास आते ही अगर आप भी गुजिया और गुझिया में कंफ्यूज होना शुरू हो जाते हैं, तो यहां हम इस मीठे के राज से पर्दा उठाने जा रहे हैं। आइए, यहां जानते हैं कि गुजिया और गुझिया में सिर्फ नाम और भाषा का अंतर है या फिर इसकी बनाने की प्रक्रिया भी अलग-अलग होती है।
क्या गुजिया और गुझिया होती हैं अलग-अलग?
नाम में अंतर

गुजिया और गुझिया में सबसे बड़ा अंतर भाषा और उच्चारण का है। उत्तर भारत में ज्यादातर गुझिया सुनने, देखे और पढ़ने को मिलता है। खासतौर पर उत्तर प्रदेश, राजस्थान, बिहार समेत उत्तर भारत के अन्य हिस्सों में गुझिया कहा जाता है।
गुजिया शब्द का उच्चारण ज्यादातर मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात और पश्चिमी भारत के कुछ हिस्सों में ज्यादा प्रचलित है।
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स्वाद और सामग्री
अगर हम गुजिया की बात करें तो इसमें खोया, सूखे मावा (बादाम, काजू, किशमिश), नारियल और चीनी का इस्तेमाल होता है। वहीं, इसे तलने के बाद बिना चाशनी के परोसा जाता है। वहीं, गुझिया को बनाने के लिए खोया और सूखे मेवे का इस्तेमाल होता है। लेकिन, इसे तलने के बाद चीनी की चाशनी में डुबोया जाता है, जिससे यह ज्यादा मीठी और चिपचिपी हो जाती है।
बनावट और रूप
गुजिया का आकार हल्का मोटा होता है किनारों को हाथ या सांचे से डिजाइन किया जाता है। वहीं, गुझिया का आकार थोड़ा पतला और लंबा होता है और इसके किनारे ज्यादा नक्काशीदार होते हैं।
फिलिंग का खेल
गुजिया और गुझिया को अलग-अलग बनाने में फिलिंग का रोल भी होता है। जी हां, गुजिया में खोया और ड्राई फ्रूट्स डाले जाते हैं। जिसकी वजह से गुजिया का स्वाद रिच और मीठा हो जाता है। वहीं, गुझिया में खोया के साथ सूखा नारियल भी मिलाया जाता है। नारियल की वजह से स्वाद और टेक्सचर, दोनों ही थोड़ा-थोड़ा बदल जाते हैं।
गुजिया या गुझिया, ऐसे तो एक ही मिठाई के नाम है। लेकिन, क्षेत्र में बदलाव की वजह से इसे बनाने और बोलने का तरीका बदल जाता है। ऐसे में होली पर आप चाहे गुजिया खाएं या फिर गुझिया, दोनों ही एक हैं।
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इन नामों से भी मशहूर है गुजिया
गुजिया या गुझिया ही नहीं, इस मिठाई के अन्य भी कई नाम हैं। यह नाम क्षेत्र और भाषा के साथ बदल जाते हैं। छत्तीसगढ़ में गुजिया को कुसली, महाराष्ट्र में करंजी, गुजरात में घुघरा, कर्नाटक में करिगाडुबु, बंगाल में गोजा, गोवा में नेवरी, बिहार में पिड़की, तमिलनाडु में सोमासी और आंध्र प्रदेश में इसे कज्जिकायालु कहा जाता है।
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