भागवत पुराण के अनुसार मां शक्ति के 108 शक्तिपीठ हैं, लेकिन काली पुराण में वह 26 हैं और शिवचरित्र में 51 हैं। वहीं दुर्गा सप्तशती और तंत्र चूड़ामणि में शक्ति पीठों की संख्या 52 बताई गई है। हालांकि लोग माता के 51 शक्तिपीठों को ही मानते हैं। इन शक्तिपीठों के अस्तित्व में आने की कहानी सभी को मालूम है और यह देशभर में जिन जगहों पर बने हैं, वहां लोग माता के दर्शन के लिए हजारों की संख्या में जाते हैं।
ये शक्तिपीठ जिन स्थलों में गिरे उनमें से एक भारत का दिल कहे जाना वाला मध्य प्रदेश भी है। आज इस आर्टिकल में हम आपको मध्य प्रदेश में स्थित दो खास शक्तिपीठ के बारे में बताने जा रहे हैं।
शोणदेश नर्मदा शक्तिपीठ
मध्यप्रदेश के अमरकंटक स्थित नर्मदा के उद्गम पर शोणदेश स्थान पर माता का दायां नितंब गिरा था। इसकी शक्ति है नर्मदा और भैरव को भद्रसेन कहते हैं। इस मंदिर के केंद्र में, मां नर्मदा की मूर्ति है और यह चारों ओर सुनहरे 'मुकुट' से घिरा हुआ है। दोनों तरफ कुछ ही मीटर की दूरी पर अलग-अलग देवी की मूर्तियां भी हैं। जिस चबूतरे पर मां नर्मदा की मूर्ति है, वह चांदी की बनी है। शोंदेश शक्तिपीठ की वास्तुकला काफी मनमोहक है। मंदिर इतने सुंदर स्थान पर स्थित है कि पास के कुंड से निकलने वाली सोन नदी के मनोरम दृश्य का आनंद लिया जा सकता है। इस मंदिर तक पहुंचने के लिए 100 सीढ़ियों से चढ़कर जाना पड़ता है।
पौराणिक मान्यता
नर्मदा देवी शोणदेश शक्तिपीठ को एक प्राचीन मंदिर माना जाता है, और यह 6000 साल पुराना बताया जाता है। यहां, देवी को नर्मदा देवी या सोनाक्षी (शोनाक्षी) के रूप में पूजा जाता है। ऐसी मान्यता है कि यहां जो भी मरता है वह स्वर्ग जाता है। इस मंदिर में नवरात्रि, मकर संक्रांति, शरद पूर्णिमा, राम नवमी और दीपावली को बहुत बहुत धूमधाम और भव्यता के साथ मनाया जाता है।
कैसे पहुंचे
फ्लाइट से : जबलपुर हवाई अड्डा अमरकंटक (खूबसूरत पहाड़ियों और मंदिरों से घिरा हुआ मध्यप्रदेश का अमरकंटक) का निकटतम हवाई अड्डा है। मंदिर तक पहुंचने के लिए हवाई अड्डे से टैक्सी सेवाएं और सार्वजनिक परिवहन हमेशा उपलब्ध रहते हैं।
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ट्रेन से : मंदिर के आसपास तीन रेलवे स्टेशन हैं जिनसे ट्रैवल करके इस मंदिर में पहुंचा जा सकता है। पेंड्रा छत्तीसगढ़ में स्थित निकटतम रेलवे स्टेशन है, जो यहां से लगभग 17 किमी दूर है। अनूपपुर जंक्शन रेलवे स्टेशन भी अमरकंटक के पास है। 120 किमी दूर छत्तीसगढ़ में बिलासपुर रेलवे स्टेशन है, लेकिन देश भर के विभिन्न प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है।
बस से : मंदिर तक पहुंचने के लिए बस सेवाएं और टैक्सी सेवाएं उपलब्ध हैं। अमरकंटक शहडोल, उमरिया, जबलपुर, अनूपपुर, पेंड्रा रोड और बिलासपुर से विभिन्न नियमित बसों के माध्यम से मंदिर पहुंच सकते हैं।
हरसिद्धि देवी मंदिर
माता के 51 शक्तिपीठों में से एक ऐसा चमत्कारी शक्तिपीठ है, जहां मान्यता है कि यहां स्तंभ पर दीया लगाने से हर मनोकामना पूरी होती है। कहा जाता है कि इस हरसिद्धि माता मंदिर में दीप स्तंभों की स्थापना राजा विक्रमादित्य ने शुरू करवाई थी। मान्यता है कि जिस स्थान पर देवी सती की कोहनी गिरी थी, वह उज्जैन के रुद्रसागर तालाब के पश्चिमी तट पर स्थित है। इस मंदिर में देवी सती की सिर्फ कोहनी ही है, जिसे हरिसिद्धि देवी के रूप में पूजा जाता है। मंदिर के मुख्य गर्भगृह में माता हरसिद्धि के आसपास महालक्ष्मी और महासरस्वती भी विराजित हैं। माता के इस पावन धाम में दो और स्तंभ है।
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पौराणिक मान्याता
हरसिद्धि माता के इस मंदिर से जुड़ी दिलचस्प कहानी है, जिसके मुताबिक सम्राट विक्रमादित्य माता के अनन्य भक्त थे, हर बारहवें वर्ष देवी के मंदिर पर आकर अपना शीश माता के चरणों में अर्पित कर देते थे, लेकिन हरसिद्धि देवी की कृपा से उन्हें हर साल एक नया सिर मिल जाता था। मान्यता है कि जब बारहवीं बार उन्होंने अपना सिर चढ़ाया तो सिर फिर वापस नहीं आया और उनका जीवन समाप्त हो गया था। मान्यता है कि मंदिर परिसर के एक कोने में 11 सिंदूर लगे मुण्ड राजा विक्रमादित्य के ही हैं।
कैसे पहुंचे
फ्लाइट से : निकटतम हवाई अड्डा पोरबंदर हवाई अड्डा है।
ट्रेन से : निकटतम रेलवे स्टेशन पोरबंदर रेलवे स्टेशन है।
बस से : यहां पहुंचने के लिए कई सार्वजनिक और निजी वाहन उपलब्ध हैं।
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अगर आप मध्य प्रदेश जाने का प्लान कर रहे हैं, तो आप माता के इन मंदिरों में दर्शन के लिए जा सकते हैं। अगर आपको यह लेख पसंद आया तो इसे लाइक और शेयर करें और माता के अन्य मंदिरों के बारे में जानने के लिए पढ़ते रहें हरजिंदगी।
Image Credit: templepurohit, shrimathuraji
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