राजस्थान का जैसलमेर एक बेहद ही खूबसूरत शहर है। इस शहर का जैसलमेर फोर्ट बेहद ही फेमस है और दूर-दूर से लोग यहां पर आते हैं। जैसलमेर राजस्थान की संस्कृति और विरासत का प्रतीक है। यूं तो जैसलमेर में घूमने व देखने लायक बहुत कुछ है। लेकिन अगर आप इस शहर को देखने के साथ-साथ इसके इतिहास के बारे में भी जानना चाहते हैं तो ऐसे में आपको यहां पर मौजूद म्यूजियम को भी जरूर देखना चाहिए।
जैसलमेर में कई म्यूजियम मौजूद हैं, जो इस शहर के अतीत और संस्कृति के बारे में काफी कुछ बताते हैं। तो चलिए आज इस लेख में हम आपको जैसलमेर में स्थित कुछ ऐसे ही म्यूजियम्स के बारे में बता रहे हैं, जिन्हें आपको एक बार जरूर देखना चाहिए-
यह म्यूजियम वास्तव में एक हवेली में बनाया गया है। दरसअल, जैसलमेर में सबसे खूबसूरत हवेली को एक प्राइवेट म्यूजियम में बदल दिया गया, जो पटवा परिवार के जीवन के तरीके को दर्शाता है, जो अमीर जैन ब्रोकेड व्यापारी थे। इस परिवार ने 19वीं सदी की शुरुआत में क्लस्टर में चार अन्य लोगों के साथ मिलकर हवेली का निर्माण किया था। इसे पूरा होने में 50 साल से अधिक का समय लगा। हवेली की छत से शहर और किले का खूबसूरत नजारा देखना न भूलें।
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जैसलमेर वॉर म्यूजियम भारतीय सशस्त्र बलों के बहादुर सैनिकों को श्रद्धांजलि देता है। इन सैनिकों ने इतिहास की कुछ सबसे चुनौतीपूर्ण लड़ाइयों में बहादुरी से लड़ाई लड़ी। भारतीय सेना की डेज़र्ट कोर ने लेफ्टिनेंट जनरल बॉबी मैथ्यूज के तहत इसे विकसित किया। अगर आप देश के सैन्य इतिहास में रुचि रखते हैं तो आपको एक बार जैसलमेर का वॉर म्यूजियम को अवश्य देखना चाहिए।
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जैसलमेर किले के अंदर पूर्व शाही निवास को अब एक म्यूजियम में बदल दिया गया है। जिसमें जैसलमेर किले के अंदर शहर के इतिहास को दर्शाने वाले कई आर्टिफैक्ट्स मौजूद हैं। इसकी संरचना जैसलमेर की अन्य हवेलियों की तुलना में सरल है। पूरा महल जनता के लिए खुला नहीं है, लेकिन आप उन कमरों में घूम सकते हैं, जहां पर आने वाले मेहमानों का मनोरंजन किया जाता था और राजा और रानी के अलग-अलग क्वार्टर भी थे। यहां के मुख्य आकर्षणों में राजा का चांदी का सिंहासन, 15वीं सदी की मूर्तियों की एक गैलरी, प्राचीन वस्तुएं जैसे पेंटिंग, राजस्थान के पूर्व रियासतों के टिकट और जैसलमेर के वार्षिक गणगौर उत्सव जुलूस पर एक सेक्शन है।
अगर आप जैसलमेर किले में रोजमर्रा की जिंदगी के बारे में जानना चाहते हैं तो आप किले के अदंर जैन मंदिर परिसर के पास मौजूद इस म्यूजियम के जरिए यह जान सकते हैं। 450 साल पुरानी हवेली को अब म्यूजियम में बदल दिया गया है। यह हवेली कभी हिंदू पुजारियों के स्वामित्व में थी जो राजा को सलाह देते थे।
इस छोटे से म्यूजियम की स्थापना 2006 में प्रसिद्ध स्थानीय इतिहासकार, लोकगीतकार और लेखक लक्ष्मी नारायण खत्री द्वारा की गई थी। यह म्यूजियम जैसलमेर रेगिस्तान के इतिहास और जीवन शैली से संबंधित कलाकृतियों के संग्रह को दर्शाता है। इसमें प्राचीन समुद्री जीवाश्म, हथियार, स्थानीय व्यापारियों और एशिया के विजिटर्स के बीच व्यापार सौदों के बारे में बताने वाले दस्तावेज, सिक्के, पेंटिंग, बर्तन, उपकरण, कपड़े आदि मौजूद हैं।
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Image Credit- wikipedia, jaisalmertourism
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