आप भारत की कितनी फूलों की घाटियों को घूम चुके हैं? उत्तराखंड की लोकप्रिय फूलों की घाटी को समब जानते हैं, क्या आपको पता है कि महाराष्ट्र में भी एक सुंदर फूलों की घाटी है। इस घाटी में ट्रैक करने का अपना ही अलग मजा है। दूर तक फैले सुंदर-सुंदर रंग-बिरंगे फूल एक खूबसूरत चादर जैसे लगते हैं।
पठार महाराष्ट्र की एक अनसुनी फूलों की घाटी है, जो मानसून के अगस्त और अक्टूबर के महीने में सबसे ज्यादा खूबसूरत लगती है। यहां घूमने का भी यही सबसे अच्छा समय है। यह एक रिजर्व फॉरेस्ट है, जिसकी जमीन पर 850 फूलों की कई प्रजातियां आपको देखने को मिलेंगी। इनमें से कुछ दुर्लभ और लुप्तप्राय प्रजातियां भी आप देख सकते हैं। साल 2020 में आए कोरोना संकट ने हालांकि इसकी यात्रा पर प्रतिबंध लगा दिया था, लेकिन इस साल सितंबर 1 से यह फिर से खुल चुका है और आप चाहें तो ऑनलाइन बुकिंग भी करवा सकते हैं। इस जगह के बारे में अधिक जानने के लिए आइए इस आर्टिकल को पढ़ें।
कहां है कास पठार?
कास पठार या कास पत्थर (स्थानीय नाम) महाराष्ट्र के सतारा जिले में स्थित है। सतारा मुख्य पुणे शहर से लगभग 140 किलोमीटर दूर है। कास पठार पश्चिमी घाट में एक जैव विविधता हॉटस्पॉट है।इस साइट को महाराष्ट्र के फूलों की घाटी के रूप में भी जाना जाता है।
हर दो सप्ताह में रंग बदलता है
कास पठार वास्तव में हर दो सप्ताह में रंग बदलता है, क्योंकि फ्लावरिंग प्लांट्स की साइकल जून से शुरू हो जाती है और मानसून के आते-आते अधिक हो जाती है। इसी कारण स्थानीय लोगों ने इसे फूलों का पठार नाम दिया है। आपको यहां ऑर्किड, वाइल्डफ्लावर सहित कई कार्निवोरस प्लांट्स देखने को भी मिल सकते हैं। अगर आप यहां जा रहे हैं, तो अपने साथ एक गाइड जरूर रखें, जो आपको यहां मौजूद हर छोटे-बड़े फूलों के बारे में अच्छे से बता सके।
इस फूलों के पठार को साल 2012 में यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता मिली थी। यहां जाएं तो फूलों की इस घाटी में कास झील भी आकर्षण का केंद्र है, इसलिए यह वीकेंड में एक दिन की यात्रा के लिए बेस्ट जगह हो सकती है। अगर आप यहां रुकना चाहें तो एमटीडीसी अप्रूव्ड कास विलेज रिजॉर्ट में ठहर सकते हैं। इसके आसपास भी घूमने की कई जगहें हैं, जैसे- महाबलेश्वर, पंचगनी, वाई आदि, जो एक घंटे की ड्राइव के अंदर ही हैं आप चाहें तो वहां भी घूम सकते हैं।
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काठ पठार जाने के लिए बुकिंग जरूरी
आप यहां की यात्रा करना चाहते हैं तो पहले ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन और बुकिंग करवाना जरूरी है। इसकी फीस 100 रुपये है, लेकिन 5 साल तक के बच्चों के लिए कोई शुल्क नहीं है। बुकिंग वर्तमान में सितंबर के लिए खुली हैं, लेकिन सितंबर में फूल उतने नहीं खिलते, जितने सितंबर के अंत या अक्टूबर की शुरुआत के हफ्तों में खिलते हैं। अगर आप यहां जा रहे हैं, तो अपने साथ रसीद का एक प्रिंटआउट लेकर जरूर जाएं।
क्या है टाइमिंग्स?
हर दिन 3000 विजिटर को यहां आने की अनुमति दी गई है, जो तीन टाइमिंग स्लॉट में बांट दिए जाएंगे। टाइमिंग स्लॉट्स हैं- सुबह 7 बजे से सुबह 11 बजे तक, सुबह 11 बजे से दोपहर 3 बजे तक और दोपहर 3 बजे से शाम 6 बजे तक।
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कैसे पहुंचे?
सतारा से 25 किलोमीटर दूर, मुंबई से कास पहुंचने में 6 घंटे लगते हैं और पुणे से 3 घंटे की ड्राइव है। अगर आप रोड से ट्रैवल कर रहे हैं, तो मुंबई-बेंगलुरु हाईवे लेना बेहतर है। यहां पार्किंग थोड़ी दूरी पर है, लेकिन आप एसटी बस से आपको कास पठार तक कुछ ही रुपयों में पहुंचा देगी।
अगर आपको यह सुंदर सी फूलों की घाटी देखने में दिलचस्पी है, तो यहां जरूर जाएं। यह जगह आपको कैसी लगी हमें बताएं। ऐसी ही रोचक जगहों के बारे में और जानना चाहते हैं, तो विजिट करें हरजिंदगी।
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Image Credit: travelwithansh, unsplash, nativeplanet & agreenhotels
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