हिमाचल प्रदेश का नाम सामने आते ही प्राकृतिक सौंदर्य की अनुपम छवि आंखों के सामने घूमने लगती है। इस बात में कोई दोराय नहीं है कि हिमाचल प्रदेश का नैसर्गिक सौंदर्य हर किसी को अपनी ओर आकर्षित करता है। लेकिन हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा शहर की खूबसूरती के साथ-साथ यहां पर स्थित मंदिर भी एक अलग विशेषता रखते हैं। कांगड़ा, जिसे देव भूमि के रूप में भी जाना जाता है, यह हिमाचल प्रदेश का सबसे बड़ा क्षेत्र है। यहां पर स्थित पहाड़ और हरियाली के साथ-साथ इस क्षेत्र का अपना एक समृद्ध इतिहास रहा है। कटोच राजवंश, जिसे दुनिया सबसे पुरानी संपन्न सभ्यताओं में से एक मानती है, यहां पनपी है। इस राजवंश ने कांगड़ा में बहुत सारे मंदिरों का निर्माण किया, जिनमें से कुछ आज भी यहां मौजूद है। कांगड़ा में मंदिर आपको शहरी भीड़भाड़ा से दूर एक अजीब सी शांति और एकांत का अनुभव कराएंगे। तो चलिए जानते हैं कांगड़ा में स्थित कुछ मंदिरों के बारे में-
बृजेश्वरी मंदिर
बृजेश्वरी मंदिर विश्व में एक शक्ति पीठ के रूप में जाना जाता है, जो नगरकोट शहर में स्थित है। हिंदू पौराणिक कथाओं में कहा गया है कि भगवान शिव ने अपने कंधे पर अपनी प्यारी पत्नी देवी सती के जलते शरीर के साथ तांडव किया। भगवान शिव के गुस्से और उदासी को रोकने के लिए, भगवान विष्णु ने देवी सती के शरीर को 51 भागों में विभाजित किया, जिसका प्रत्येक भाग दुनिया के विभिन्न हिस्सों में गिरता है और एक शक्तिपीठ बनता है। जलती हुई देवी सती का बायां स्तन उस भूमि पर गिरा, जहां बृजेश्वरी मंदिर आज भी खड़ा है। यही कारण है कि कांगड़ा का यह मंदिर सभी भक्तों के मन में एक विशेष महत्व रखता है और इसे हिमाचल प्रदेश में शीर्ष मंदिरों में से एक माना जाता है।
बैजनाथ मंदिर
बैजनाथ मंदिर वास्तुकला की प्राचीन शैली का एक शानदार उदाहरण है, जिसे ’नागरा’ के रूप में जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव अभी भी शिवलिंग के श्वेताम्बु रूप में यहां निवास करते हैं। इस मंदिर की पूजा 1204 AD से पूजा की जाती रही है। इस कारण से, बैजनाथ मंदिर कांगड़ा में सबसे सांस्कृतिक रूप से समृद्ध मंदिरों में से एक है।
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आशापुरी मंदिर
आशापुरी मंदिर औसत समुद्र तल से 5,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। स्थानीय लोगों का मानना है कि मंदिर पर मुगलों के हमले के दौरान, ततैयों द्वारा इसका बचाव किया गया था। इस पुरानी किंवदंती के कारण ही यह मंदिर स्थानीय लोगों के बीच बेहद लोकप्रिय है। कहा जाता है कि इस मंदिर को पांडवों द्वारा उनके निर्वासन के दौरान बनाया गया था।
भागसू नाग मंदिर
भागसू नाग मंदिर सिर्फ धार्मिक ही नहीं, ऐतिहासिक रूप से भी बेहद महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है। यह मंदिर लगभग 5100 साल पुराना है, और इसके किनारे एक झरना बहता है। यह कांगड़ा के सबसे पुराने मंदिरों में से एक है। मंदिर में एक धर्मशिला विद्यमान थी। जिसके कारण प्रसिद्ध हॉलिडे स्पॉट धर्मशाला का नाम पड़ा।
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मसरूर मंदिर
मसरूर मंदिर रॉक-कट मंदिर का एक प्रतिभाशाली व बेहतरीन उदाहरण है। यह मंदिर पर्यटकों को आश्चर्यचकित कर देता है। इसका कारण इसकी अद्भुत वास्तुकला की शैली है। यह मंदिर एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित है, जिसके कारण इस मंदिर तक पहुंचना और मंदिर में पूजा करने का एक अलग ही अनुभव भक्तगणों को मिलता है। यह अन्य प्रसिद्ध कांगड़ा मंदिरों से बहुत अलग है।
बगलामुखी मंदिर
माँ बगलामुखी मंदिर कांगड़ा में एक और शक्तिपीठ है। यहां साधना और सिद्धि पूजा दोनों होते हैं। मा बगलामुखी या मा पीताम्बरी हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार दस महाविद्याओं में से एक हैं। वह अपने भक्तों को हर तरह की बुराइयों और विपत्तियों से बचाती है। यह कांगड़ा के सबसे शक्तिशाली मंदिरों में से एक है।
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