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badshahi mosque lahore

औरंगजेब ने बनवाई थी यह शाही मस्जिद, बेहद रोचक रहा है इतिहास

एक वक्त था जब बादशाही मस्जिद भारत की शान हुआ करती थी, लेकिन अब यह पाकिस्तान का हिस्सा है। यह मस्जिद हमेशा से ही खास रही है, जिसका ऐतिहासिक महत्व भी है। तो देर किस बात की आइए विस्तार से जानते हैं कि इस मस्जिद का इतिहास क्या है।&nbsp;&nbsp; <div>&nbsp;</div>
Editorial
Updated:- 2024-03-11, 17:28 IST

यह तो हम सभी जानते ही हैं कि मुसलमानों के लिए मस्जिद कितनी खास होती है। यह एक तरह की इबादतगाह है, जहां हर मुसलमान पांच वक्त की नमाज पढ़ता है और अल्लाह की इबादत करता है। मगर कुछ ऐसी मस्जिद भी रही हैं, जिन्हें राजा-महाराजाओं के समय में बनवाया था और हैरानी की बात तो यह है कि उनकी वास्तुकला की खूबसूरती आज भी यूं ही बरकरार है।

हालांकि, समय-समय पर इन मस्जिदों की मेंटेनेंस या देखभाल की जाती है जैसे- दिल्ली जामा मस्जिद, लखनऊ की जामा मस्जिद आदि। ये तमाम मुगल काल में बनाई गई मस्जिदें हैं, जिनकी वास्तुकला पर बादशाही का रंग साफ नजर आ जाएगा। जब बात मस्जिदों की हो ही रही है, तो क्यों ना हम बादशाही मस्जिद के बारे में जानें? यह एक वक्त पर भारत की सबसे फेमस मस्जिद थी, जिसका दीदार करने लोग दूर-दूर से आते थे। 

मगर विभाजन के दौरान यह मस्जिद पाकिस्तान में चली गई है, अब यह मस्जिद लाहौर में है। तो चलिए इस मस्जिद के बारे में इस लेख में विस्तार से जानते हैं। 

बादशाही मस्जिद लाहौर किसने बनाई थी?

badshahi masjid ()

इतिहास के मुताबिक इस मस्जिद को मुगल सम्राट के छठे राजा औरंगजेब ने बनवाई थी। कहा जाता है कि इस मस्जिद की वास्तुकला पिछली मस्जिद की वास्तुकला से थोड़ी अलग है। इसका निर्माण सन 1671 और 1673 के बीच करवाया गया था। इस मस्जिद का निर्माण अध्यादेश के मास्टर फिदाई खान कोका के मार्गदर्शन द्वारा किया गया था।   

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हजारों मुसलमान करते हैं नमाज अदा

यह मस्जिद मुगल काल की सौंदर्य और भव्यता का प्रमाण है। पाकिस्तान की इस दूसरी सबसे बड़ी मस्जिद में एक साथ 55000 हजार लोग नमाज अदा कर सकते हैं। हर साल ईद पर यहां काफी भीड़ होती है। इतिहास के मुताबिक बादशाही मस्जिद अपने निर्माण के समय दुनिया की सबसे बड़ी मस्जिद थी। 

1986 में इस्लामाबाद में फैसल मस्जिद के पूरा होने तक 300 से अधिक वर्षों तक यह गौरव कायम रहा। वहीं, 1993 में, बादशाही मस्जिद को यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल में शामिल किया गया था।  

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बादशाही मस्जिद के अंदर क्या है?

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यह तो हमने आपको बता ही दिया है कि यह बादशाही मस्जिद अपनी नक्काशी मुगल वास्तुकला के लिए जाना जाता है। यह बहुत बड़ी मस्जिद है, जिसके मुख्य कक्ष के दोनों ओर बने कक्षों में ऐसे कमरे हैं, जिनका उपयोग धार्मिक शिक्षा के लिए किया जाता था। 

मस्जिद की इस जगह पर लगभग 10 हजार से ज्यादा लोग रह सकते हैं। इस मस्जिद का पूरा नाम मस्जिद अबुल जफर मुह-उद-दीन मोहम्मद आलमगीर बादशाह गाजी है, जिसके प्रवेश द्वार के ऊपर आंतरिक संगमरमर में लिखा गया है।

वहीं, इस मस्जिद में मीनारों की कुल संख्या 8 है, जिनमें से 4 बड़ी हैं। इनकी ऊंचाई 196 फीट है और 4 छोटी हैं, जिनकी ऊंचाई लगभग 67 फीट है। इस मस्जिद के चारों कोनों पर 3 मंजिला मीनारें बनाई गई हैं, जिनका निर्माण लाल बलुआ पत्थर से किया गया था।

औरंगजेब ने बादशाही मस्जिद क्यों बनाई?

interesting facts about badshahi mosque

इसका निर्माण भारत में औरंगजेब के सैन्य अभियानों, मराठा सम्राट शिवाजी के खिलाफ बनवाई गई थी। औरंगजेब के दौर में इस मस्जिद में सभी लोग नमाज पढ़ने के लिए भी आते थे, लेकिन यह मस्जिद बादशाही मस्जिदों में से एक है। वहीं, सिख सेना के प्रसिद्ध राजा रणजीत सिंह ने 07 जुलाई 1799 को इस मस्जिद और क्षेत्र पर अपना आधिपत्य स्थापित किया था।

उस वक्त इस मस्जिद का उपयोग उनके घोड़ों और इसके 80 हुजरा द्वारा उनके सैनिकों के आवास और सैन्य दुकानों के लिए किया जाता था। इसके बाद आगंतुकों के आधिकारिक शाही दरबारके रूप में किया जाता था।

बादशाही मस्जिद कैसे जाएं?

बादशाही मस्जिद लाहौर के पुराने शहर में स्थित है। मस्जिद लाहौर किले के ठीक बगल में है। ऐसे में अगर आप यहां जाना चाहते हैं, तो पहले पाकिस्तान के लाहौर जाना होगा और फिर वहां से किले के लिए रिक्शा करनी पड़ेगी। पाकिस्तान में इनड्राइव ऐप का उपयोग करके टैक्सी बुक करना आसान है।  

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Image Credit- (@Freepik)  

 

   

 

 

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