राजस्थान, भारत का एक ऐसा राज्य है, जो अपने कलचर, प्राकृतिक खूबसूरती और चटपटे फूड आइटम्स की वजह से पूरे विश्व में मशहूर है। इस लिए ट्रैवलिंग की बात आत हैं हर कोई एक बार राजस्थान विजिट करना जरूर चाहता है। वैसे एतिहासिक तौर पर भी राजस्थान में बहुत कुछ मौजूद है जिसे देख कर कोई भी फ्लैश बैक में जा सकता है। यहां कई किले मौजूद हैं, जो राज्य में कभी मौजूद रहे राजपुताना कलचर की पहचान हैं। अगर राजस्थान की राजधानी जयपुर की ही बात की जाए तो खूबसूरती के साथ ही यहां कई एतिहासिक इमारतें और उनसे जुड़ता इतिहास देखने को मिल जाएगा। वैसे भारत में सबसे ज्यादा घूमी जाने वाली जगह में भी जयपुर का नाम आता है। इसलिए इस शहर में टूरिस्ट को अट्रैक्ट करने के लिए समय-समय पर कई तरह के फेस्टिवल्स का आयोजन किया जाता है। ऐसे ही एक फेस्टिवल का आयोजन राजस्थान सरकार के टूरिज्म डिपार्टमेंट ने किया हैं। 28 मार्च से 30 मार्च तक चलने वाले इस राजस्थान फेस्टिवल की खासियत यह है कि यहां आकर आप 100 साल पुराने जयपुर की सैर कर पाएंगे।
हैरानी हो रही होगी आपको? मगर यह सच है। नया जयपुर तो आपने पिक्चरों और टीवी में कई बार देखा होगा मगर आप हिस्ट्री लवर हैं तो इस फेस्टिवल में आपको 100 साल पुराना जयपुर देखने का मौका मिलेगा। यह मौका आपको 100 साल पुरानी जयपुर की तस्वीरें देख कर मिलेगा। जी हां, इस फेस्टिवल में जयपुर शहर की 100 साल पुरानी तस्वीरों को टूरिस्ट्स के लिए डिसप्ले किया गया है। दरअसल 30 मार्च को राजस्थान का फाउंडेशन डे है। इस खुशी में राज्य के टूरिज्म विभाग ने इस फेस्टिवल का आयोजन किया है।
हवा महल की यह तस्वीर वर्ष 1950 में ली गई थी।
क्या है राजस्थान का इतिहास
सन् 1949 में भारत के आजाद होने के बाद जोधपुर, जयपुर, जैसलमेर और बीकानेर को जोड़कर राजस्थान का निर्माण एक राज्य के रूप में किया गया था। इससे पहले राजस्थान कई रियासतों में बटा हुआ था। हर रियासत का एक राज था और उसकी अलग राजधानी हुआ करती थी। आजादी के बाद कई सारी रियासतों को जोड़ कर एक राज्य का निर्माण किया गया। इसका नाम राजस्थान भी इसलिए रखा गया क्योंकि यह राजपूतों की धरती थी। एक राज्य बनने के बाद जयपुर को राजधानी घोषित किया गया था। राजस्थान की राजधानी होने के अलावा जयपुर राजस्थान का सबसे बड़ा शहर है।
वर्ष 1900 की इस तस्वीर में राजस्थान का स्टेट एनिमल कैमिल अपने अटेंडेंट के साथ दिख रहा है।
जयपुर का इतिहास
18 नवंबर 1727 में आमेर के राजा जय सिंह ने जयपुर की खोज की थी। हालाकि तब आमेर की राजधानी दौसा हुआ करती थी। मगर बढ़ती हुई प्रजा की संख्या और पानी के अभाव के कारण राजा अपनी राजधानी बदलना चाहते थे। इसके लिए जयपुर के निर्माण का विचार उन्हें आया। राजा जय सिंह को एस्ट्रोलॉजी और आर्कीटेक्चर के विषय में पढ़ना अच्छा लगता था इसलिए जयपुर को राजधानी बनने से पहले उन्होंने अपने दरबार में क्लर्क विद्याधर भट्टाचार्य के साथ मिल कर वास्तुशास्त्र और आर्किटेक्चर के नियमों को ध्यान में रखकर शहर के निर्माण का नक्शा तैयार किया और फिर इस शहर को उसके तहत तैयार किया गया था।
वर्ष 1907 में जयपुर का चानपुरी गेट कुछ ऐसा दिखता था ।
लंदन की गैलरी में सुरक्षित हैं तस्वीरें
फैस्टिवल में मौजूद तस्वीरों में से कुछ तस्वीरें ब्रिटेन के फैशन और वॉर फोटोग्राफर सेसिल बीटन के द्वारा क्लिक की गई हैं। खासतौर पर महारानी गायत्री देवी की तस्वीरें उन्ही की क्लिक की हुई हैं। आपको बता दें कि यह तस्वीरें भारत में मौजूद नहीं हैं। बीटन की यह तस्वीरें लंदन की नेशनल पोर्ट्रेट गैलरी की हैं। बीटन के अलावा ब्रिटिश फोटोग्राफर्स चार्ल्स शेफर्ड और आर्थर रॉबर्टसन के द्वारा क्लिक की गईं कुछ तस्वीरों को भी एग्जिबिट किया गया है।
जयपुर की स्ट्रिट एवं पब्लिक लाइब्रेरी वर्ष 1870-80 में ऐसी दिखती थी
1870 में ऐसा दिखता था जयपुर का गर्ल्स स्कूल
जोहरी बाजार का हल्दिया हाउस
हवा महल और बादी छाउपर
जैन टेम्पल 1900
महाराजा टेम्पल वर्ष 1900 में ऐसा दिखता था।
जयपुर का त्रिपोली गेट, साल 1900
Image Courtesy: HerZindagi
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