
इतिहास प्रेमियों के लिए कर्नाटक के बीजापुर का गोल गुबंज किसी रत्न के समान है। 16वीं शताब्दी में निर्मित, गोल गुंबज ऐतिहासिक रूप से बेहद ही महत्वपूर्ण माना जाता है और आज भी सैलानी इसे देखने के लिए दूर-दूर से आते हैं। यह आदिल शाह का मकबरा है, जिसे पूरा करने में लगभग 20 साल लगे थे। इसका गोलाकार गुंबद रोम में सेंट पीटर बेसिलिका के बाद दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा कहा जाता है। सबसे खास बात यह है कि केंद्रीय गुंबद बिना किसी खंभे के सहारे खड़ा है। मकबरे में 4 मीनार हैं, प्रत्येक में सीढ़ियों के साथ 7 मंजिल हैं। इन मीनारों से बीजापुर का बेहतरीन व्यू देखा जा सकता है।
गोल गुंबज का सरल लेकिन आकर्षक डिजाइन बीजापुर की स्थापत्य उत्कृष्टता का एक उदाहरण है। यूं तो अधिकतर लोगों को गोल गुबंज के बारे में पहले से ही काफी कुछ पता है, लेकिन आज इस लेख में हम आपको गोल गुबंज से जुड़े कुछ अमेजिंग फैक्ट्स के बारे में बता रहे हैं-

गोल गुम्बज की सबसे खास बात उसका विशाल गुंबद है, जो इसकी सबसे खास विशेषता है। गोल गुम्बज का व्यास 44 मीटर है। यह गुम्बद बिना किसी खम्भे के खड़ा है। 144.3 फीट की लंबाई तक फैले इस गोलाकार गुंबद को रोम में सेंट पीटर बेसिलिका के बाद दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा कहा जाता है।
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गोल गुम्बज काफी हद तक देखने में ताजमहल की तरह नजर आता है। गोल गुम्बज को लोग “दक्षिण का ताजमहल“ या “ब्लैक ताजमहल“ के रूप में जाना जाता है। इस स्मारक का निर्माण डार्क ग्रे बेसाल्ट के साथ किया गया है और इमारत की वास्तुकला की शैली डेक्कन इंडो-इस्लामिक स्टाइल से ली गई है।

क्या आप जानते हैं कि ताजमहल और गोल गुम्बज दोनों का निर्माण लगभग 17वीं शताब्दी में लगभग एक ही समय में किया गया था। वास्तव में शाहजहां द्वारा वर्ष 1632 में ताजमहल का निर्माण शुरू करने से पहले ही, मोहम्मद आदिल शाह ने गोल गुम्बज का निर्माण शुरू कर दिया था। ताजमहल का मुख्य गुंबद 1648 में बनकर तैयार हुआ था जबकि गोल गुंबज 1656 में बनकर तैयार हुआ था।(आगरा की खूबसूरत इमारतें)
इस मकबरे से जुड़ी एक दिलचस्प बात यह है कि मोहम्मद आदिल शाह ने 1627 में सिंहासन पर चढ़ने से पहले ही अपने मकबरे, गोल गुंबज का निर्माण शुरू कर दिया था। वह चाहते थे कि उनका मकबरा अपने ही पिता इब्राहिम आदिल शाह द्वितीय, इब्राहिम की कब्र से भी बड़ा हो। गोल गुंबज का निर्माण वर्ष 1656 तक 20 साल तक चला और मोहम्मद आदिल शाह की मृत्यु के साथ ही रुक गया। गोल गुंबज का भव्य डिजाइन कभी पूरा नहीं हुआ और एक ही गुंबद वाला ढांचा बना हुआ है।(कर्नाटक का बेहद खास शहर)

गोल गुंबज का मुख्य आकर्षण इसकी गैलरी है। विशाल गुंबद के ठीक नीचे खड़ी एक गोलाकार गैलरी को फुसफुसाती गैलरी के रूप में जाना जाता है। इस गैलरी का आर्किटेक्चर ऐसा है कि एक छोर पर एक हल्की सी फुसफुसाहट भी पूरी गैलरी में स्पष्ट रूप से गूंजती हुई सुनी जा सकती है। इतना ही नहीं, फुसफुसाहट की प्रतिध्वनि एक या दो बार नहीं, बल्कि लगातार 7 से 10 बार सुनाई देती है।
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Image Credit- atlasobscura, Wikimedia, behance
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