हिमाचल प्रदेश की भारत-चीन बॉर्डर पर एक छोटा सा गांव है छितकुल (chitkul), ये गांव उस बॉर्डर पर भारत का आखिरी गांव है। यहां भारतीय रोड खत्म हो जाती है। इसकी खासियत ये है कि ये जगह हिमालय की गोद में बसी हुई है। ये उस इलाके का सबसे ऊंचा गांव है। पिछले कुछ समय से छितकुल टूरिस्ट के बीच काफी प्रसिद्ध हो गया है। सर्दियों के समय पूरी तरह से बर्फ से ढका हुआ रहने वाला छितकुल गांव आखिरी ऐसा गांव है जहां टूरिस्ट जा सकते हैं। इसके आगे आता है भारत का नागास्थी जहां सिर्फ आर्मी वाले ही जा सकते हैं।
ये गांव शहर की भीड़-भाड़ से दूर हिमालय की गोद में बसा हुआ है और बिलकुल भारत के स्विट्जरलैंड की तरह है। यहां जाने पर ऐसा लगता है जैसे आप किसी पेंटिंग का हिस्सा बन गए हों। सर्दियों के समय यहां से स्थानीय लोग भी धीरे-धीरे नीचे के गांवों की ओर चले जाते हैं। यहां आलू की खेती होती है और यहां के आलू काफी महंगे भी होते हैं।
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दिल्ली से कितना दूर?
ये गांव दिल्ली से करीब 600 किलोमीटर और चंडीगढ़ से करीब 350 किलोमीटर दूर है। अगर आप शिमला में हैं तो ये गांव 250 किलोमीटर दूर होगा। दिल्ली से यहां पहुंचने में आपको दो दिन लग सकते हैं क्योंकि पहाड़ी रास्तों में गाड़ियां काफी संभाल कर चलाई जाती हैं।
ये बहुत छोटा सा गांव है और यहां सिर्फ कुछ ही घर दिखेंगे। यहां बहुत ज्यादा टूरिस्ट भी नहीं होंगे और अगर आपको किसी चर्चित टूरिस्ट डेस्टिनेशन में जाना है जहां पर बहुत सारे टूरिस्ट हों तो ये आपके लिए सही जगह नहीं है।
पर अगर आप शांति की तलाश में हैं और शहर की भीड़-भाड़ से दूर जाना चाहती हैं तो ये सबसे अच्छी जगह हो सकती है।
अगर ट्रेकिंग करनी है तो?
अगर आपको ट्रेकिंग का शौख है और सबसे खूबसूरत वादियों में ट्रेकिंग करना चाहती हैं तो ये गांव बिलकुल सही है। Lamkhaga pass trek और Borasu pass trek आपको पहाड़ों की गोद में ले जाएगा और यहां से ये ट्रेक सिर्फ कुछ घंटों के ही है। यहां से अगर आप एक दिन से ज्यादा की ट्रेकिंग करना चाहें तो लामखागा पास आगे बढ़कर गंगोत्री तक भी पहुंचा सकता है। रास्ता इतना खूबसूरत होगा कि वहां से वापस जाने का मन ही नहीं करेगा।
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छितकुल कैसे पहुंचे-
सबसे पास खूबसूरत रेलवे स्टेशन और एयरपोर्ट शिमला ही है। शिमला से होते हुए जाना ज्यादा आसान है और मनाली वाला रास्ता थोड़ा कठिन साबित हो सकता है। मनाली वाले रास्ते में रोहतांग पास से भी आगे जाना होगा।
अगर शिमला के रास्ते जा रहे हैं तो या तो प्राइवेट कैब कर सकते हैं जो थोड़ा खर्चीला तरीका होगा या फिर बस के जरिए जा सकते हैं। ये तरीका आसान होगा। सांग्ला तक आपको बस का सफर करना होगा। शिमला से सांग्ला तक हर दिन बस जाती है।
यहां जाने से पहले ध्यान रखें-
भले ही आप भरी गर्मी में जा रहे हों लेकिन फिर भी छितकुल जाने से पहले ध्यान रखें कि कम से कम एक मोटा जैकेट लेकर ही जाएं। और अगर सर्दी की शुरुआत में जा रही हैं तो अपने साथ बहुत सारे मोटे कपड़े लेकर जाएं। ये इलाका पूरी तरह से बर्फ से ढंक जाता है।
यहां जाने से पहले पर्याप्त कैश लेकर जाएं और साथ ही अपनी गाड़ी के लिए पेट्रोल का इंतज़ाम पूरा कर लें। कारण ये है कि यहां पर न तो एटीएम है, न ही पेट्रोल पंप, न ही कोई अस्पताल है। कुछ भी इमर्जेंसी हुई तो सांग्ला तक जाना होगा।
एक आध घर में रहने की व्यवस्था होगी जहां टूरिस्ट ज्यादातर रुकते हैं। बहुत अच्छे रिजॉर्ट की उम्मीद न करें। सस्ता सुंदर टिकाऊ होटल ही होगा।
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हिंदुस्तान का आखिरी ढाबा-
छितकुल में एक बहुत ही ज्यादा चर्चित ढाबा है। ये है हिंदुस्तान का आखिरी ढाबा।
अगर आप छितकुल जा रहे हैं तो यहां जरूर जाएं। इस जगह पर जाकर फोटो खिंचवाना न भूलिएगा। ये अपनी खास लोकेशन और बहुत खास खाने के लिए प्रसिद्ध है। यहां का खाना काफी लोग खा चुके हैं। यहां हिमाचल का लोकल खाना मिलेगा और इतनी खूबसूरत जगह पर बेहतरीन पहाड़ी खाना मिले इससे अच्छा और क्या होगा।
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