बचपन से लेकर बुढ़ापे तक हमारा शरीर कई तरह की परेशानियों से गुजरता है। बचपन में अपनी हेल्थ का ध्यान हम रखते नहीं हैं, 25 की उम्र तक हम अपने प्राइम में रहते हैं और शरीर ऐसा होता है कि लोहा खाएं तो भी पच जाए, लेकिन समस्या उसके बाद ही शुरू होती है। 30 के बाद तो लगता है जैसे बस बुढ़ापा अभी ही आ गया हो। कई बार लोग अपने शरीर के बारे में ही ठीक से नहीं जानते हैं। उन्हें लगता है कि उनका शरीर किसी तरह से भी बस चल रहा है। हमारे खाने-पीने का असर हमारे शरीर पर पड़ता है यह तो सभी को पता है, लेकिन क्या आपको यह पता है कि 25 की उम्र के बाद किस तरह के बदलाव होने लगते हैं?
25 की उम्र से ही कम होने लगता है कोलेजन
कोलेजन हमारे शरीर को जवां बनाए रखने में मदद करता है। जब हम 25 के होते हैं तब से ही हमारे शरीर से कोलेजन 1-2% हर साल कम होता जाता है। 30 तक आते-आते हम अपने शरीर का 10% कोलेजन कम कर देते हैं और 40 तक आते-आते यह रेट 20-25% हो जाता है। डॉक्टर गीतिका का कहना है कि शरीर में कोलेजन लेवल बढ़ाने के दो तरीके हो सकते हैं।
पहला- ओरल कोलेजन सप्लीमेंट लेना जिससे कोलेजन लेवल 5-10% कुछ महीनों में ही बढ़ सकता है। इसके लिए आप हाइक्रोलाइस्ड कोलेजन पेपटाइड्स (hydrolysed collagen peptides) जैसे इंग्रीडिएंट्स वाले कोलेजन प्रोडक्ट्स ले सकती हैं। हालांकि, इन्हें ट्राई करने से पहले एक बार डॉक्टरी सलाह जरूर लेनी चाहिए।
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दूसरा- कोलेजन से भरपूर ट्रीटमेंट्स करवाए जा सकते हैं।
माइक्रोनीडलिंग- 6 सेशन में आपकी स्किन का कोलेजन 30-40% बढ़ सकता है।
अल्ट्रा थेरेपी- कोलेजन बढ़ाने के लिए हाई फोकस अल्ट्रासाउंड का इस्तेमाल किया जाता है।
एमफेस- इसके साथ लिफ्टिंग भी की जाती है जिससे स्किन की इलास्टिसिटी बढ़ती है।
केमिकल पील्स- लेजर और केमिकल पील ट्रीटमेंट्स से हमारी स्किन का कोलेजन बढ़ता है।
डॉक्टर गीतिका के अनुसार, कोलेजन क्रीम्स से असर ज्यादा नहीं होता है। स्किन में कई लेयर्स होती हैं और कोलेजन क्रीम्स अंदरूनी लेयर्स तक आसानी से नहीं पहुंच पाती हैं। यही कारण है कि हमारी महंगी क्रीम्स स्किन पर असर नहीं दिखा पाती हैं।
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25 की उम्र के बाद कम होता है मेटाबॉलिज्म
स्किन मेटाबॉलिज्म भी 25 की उम्र के बाद कम होने लगता है। बचपन में आप कितनी भी चॉकलेट खा लें आपका शरीर मोटा नहीं होता, लेकिन अगर आपने बड़े होने के बाद यह किया, तो समझ लीजिए कि आपसे पहले आपकी तोंद बढ़ने लगेगी। 25 के बाद ही मेटाबॉलिज्म कम होते ही मूड, एनर्जी लेवल और बॉडी फैट पर असर दिखना शुरू हो जाता है। हार्मोन्स में परिवर्तन के साथ हमारा मसल मास भी कम होने लगता है। ऐसे में आपको अपनी फिटनेस पर ध्यान देना होगा जिससे मेटाबॉलिज्म का असर कम हो।
अल्कोहल और दवाओं का होता है बुरा असर
आपने शायद ध्यान ना दिया हो, लेकिन इस दौरान अल्कोहल और दवाओं का असर इतना ज्यादा होता है कि आपको समझने में दिक्कत महसूस होती है। अगर आप रेगुलर ड्रिंकर हैं, तो 25 के बाद ड्रिंकिंग की वजह से हैंगओवर ज्यादा होगा। इतना ही नहीं, आपको दवाओं का असर भी दिखने लगेगा। आपको लगेगा कि दवा खाने के कारण आपको ज्यादा नींद आ रही है और आप ज्यादा परेशान महसूस कर रहे हैं खुद को।
एनर्जी में आएगी कमी
25 के बाद समझिए आपका बुढ़ापा शुरू हो रहा है। आपके शरीर में एनर्जी की कमी महसूस होने लगेगी। आपको यह लगने लगेगा कि आप अब उतना काम नहीं कर पा रही हैं जितना पहले कर लिया करती थीं। आपके लिए एनर्जी की कमी खराब साबित हो सकती है।
इन सभी चीजों को ठीक करने के लिए आपको अपनी फिटनेस और डाइट का ख्याल रखना होगा। एजिंग प्रोसेस खत्म नहीं किया जा सकता, लेकिन इसे धीमा करने की गुंजाइश बरकरार रहती है।
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