पहले की शादियों में एक महीने तक इंसान बिज़ी रहता था। लेकिन बदलते समय के साथ शादियों के ये व्यस्तता कम होती गई और धीरे-धीरे शादियां एक सप्ताह में निपटने लगी। अब शादी एक महीने में निपटे या एक सप्ताह में... जरूरी तो ये है ही। खासकर नई-नवेली दुल्हन के लिए। इसके साथ जब लोहड़ी का त्योहार आ जाए तो सोने पर सुहागा।
हां, तो लोहड़ी आ गई है। लोहड़ी न्यूली वेड कपल्स के लिए काफी जरूरी त्योहार माना जाता है। अब जब त्योहार इतना जरूरी है तो दुल्हन का तैयार होना भी जरूरी है। मगर आप लोहड़ी और फिर मकर संक्रांति के लिए कैसे तैयार होंगी और क्या पहनने वाली हैं, उसके बारे में सोचा है? अगर नहीं भी सोचा है, तो हम आपको कुछ खास टिप्स बताने जा रहे हैं। ये टिप्स नई-नवेली दुल्हन के तैयार होने में मदद कर सकते हैं।
सुंदर रहना जरूरी
आज की इतनी भागती-दौड़ती लाइफ में हमेशा सुंदर और तैयार होकर रहना लगभग नामुमकिन सा हो गया है। जबकि एक-दूसरे के तरफ आकर्षत होने की सबसे पहली वजह सुंदरता भी होती है। भले ही कोई कितना भी कह ले कि look doesn't matter... लेकिन ये थोड़ा तो matter करता है। कुछ नहीं तो कम से कम सुंदर दिखने और अच्छे से रहने से एक पॉजिटिव वाइव्स आती है जो एक-दूसरे को अच्छा फील कराती है।
हेल्थ के लिए भी जरूरी
नॉर्मली 16 श्रृंगार केवल सुंदरता के नजरिये से देखा जाता है। जबकि केवल यही एक कारण नहीं है। 16 श्रृंगार हेल्थ के नजर से भी काफी जरूरी माना जाता है। ये श्रृंगार महिलाओं की खूबसूरती में तो चार चांद लगाते ही हैं साथ में उन्हें हेल्दी रखने में भी मदद करते हैं। श्रृंगार के जरिए शरीर के उन स्थानों पर दवाब पड़ता है जो एक्यूप्रेशर का काम करता है और आपको स्वस्थ रखने में मददगार साबित होता है।
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16 श्रृंगार करने का तरीका
मांग टीका और नथ
मांग टीका- ये श्रृंगार का सबसे जरूरी हिस्सा माना जाता है। यहीं से श्रृंगार शुरू होता है। इसलिए लोरी के लिए जब आप तैयार हों तो माथे का टीका जरूर कैरी करें।
नथ- आजकल महिलाएं ही नाक की नथ पहनना पसंद नहीं करती। जबकि श्रृंगार का ये भी सबसे जरूरी चीज मानी जाती है। यह श्रृंगार हेल्थ के नजर से भी काफी हेल्दी माना जाता है। यह रक्त संचार को ग्रीवा भाग में स्थित करवाता है इसलिए नथ के रूप में जीवन पर्यन्त इस आभूषण को धारण करना एक सुहागन के लिए काफी जरूरी माना जाता है। आजकल महिलाएं नथ के भारी होने के कारण इसे नहीं पहनतीं। लेकिन इसे आप एक दिन त्योहार के लिए भी तो पहन ही सकती हैं। ये आपको थोड़ा डिफरेंट लुक भी देगा।
बिंदी और काजल
बिंदिया - ओ हो, तेरी ये बिंदिया...। छीन लेगी मेरी निंदीया... तेरी ओ बिंदिया।
बिंदी के ऊपर एक पूरा गाना बना हुआ है। तो आप समझ सकते हैं कि श्रृंगार में ये कितना जरूरी होता होगा। नई-नवेली दुल्हन लोरी पर लाल रंग की बिंदी जरूर लगाए। बिंदिया महिलाओं के श्रृंगार का सबसे मुख्य आकर्षण होता है जिसके बिना पूरा श्रृंगार अधूरा होता है।
काजल - आंखों के काजल पर शायरों ने कई सारी शायरी लिख दी है। कहा जाता है कि आंखों की चंचलता को बांधने के लिए आंखों में काजल लगाया जाता है जिसके बाद आंखें मृगनयनी की तरह सुंदर दिखने लगती हैं। तो अगर आपको भी अपने पति को अपनी आंखों के जादू में फंसाना है तो काजल जरूर लगाएं।
इयर रिंग - कानों में एक मोती हर किसी का दिन जीतने के लिए काफी है। झुमकों के बिना श्रृंगार अधूरा माना जाता है। वैसे भी बिना झुुमकों के आपको भी अपना मेकअप फीका लगेगा। हिंदु शास्त्रों में भी काफी महत्व है। दरअसल कान की नसें सीधे स्त्री की नाभि से लेकर पैर के तलवों तक पहुंचती है। जिससे उसकी सहिष्णुता निर्धारित होती है। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि कान और नाक में छेद नहीं होने पर स्त्री के लिए प्रसव पीड़ा काफी कठिन हो जाती है। इसलिए कानों में एक दिन झुमके पहनकर अपने श्रृंगार के साथ स्वास्थ्य की जरूरत को भी पूरा कर सकती हैं।
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सिंदूर - सिंदूर आजकल कम ही महिलाएं लगाती हैं जो सुहाग की निशानी भी है। जबकि भारतीय वेदों के अनुसार शरीर में सिर का हिस्सा सूर्य का होता है और सूर्य आत्मा का कारक है इसलिए इस श्रृंगार के माध्यम से प्रथम बार कोई पुरूष किसी स्त्री को अपनी संगिनी बनाता है। इस कारण सिंदूर के बिना हर श्रृंगार अधूरा माना जाता है।
मंगलसूत्र - ये गले का हार और सुहागन का सबसे बड़ा श्रृंगार है जिसमें पति का पूरा प्यार छुपा होता है। भारतीय परंपरा है कि स्त्री का गला कभी खाली नहीं रहना चाहिए। लेकिन आजकल सुबह की भागम-भाग में स्त्रियां गले में कुछ पहन नहीं पाती हैं, जबकि इसे कभी उतारना भी पहले अच्छा नहीं माना जाता था। ऐसे में हम आपको इसे हमेशा पहनने के लिए तो नहीं बोल रहे हैं लेकिन एक दिन तो पहन ही सकती हैं।
मेहंदी- मेहंदी के बिना हर श्रृंगार अधूरा होता है। इसकी खुशबू मन और दिमाग दोनों को शांत कर देती है।
कंगन या चूड़ी - हाथों को रोजाना चूड़ी से भर कर रखना मुमकिन नहीं। लेकिन एक दिन तो ऐसा कर सकते हैं। इस त्योहार पर हाथों में लाल चूड़ियां पहनें और अपने पति को खुश करिए। चूड़ी की खनखन पति का दिल चुराने के लिए काफी है।
गजरा - बालों को सजाने के लिए बालों में सफेद गजरा लगाएं। सफेद गजरा बालों की सुंदरता में चार चांद लगा देता है।
बाजूबंद - बाजूबंद का आजकल श्रृंगार में शायद ही इस्तेमाल किया जाता है लेकिन ये हाथों की नसों में ब्लड सर्कुलेशन बढ़ाने के लिए उपयोगी माना जाता है।
अंगुठी - सगाई के वक्त जो अंगुठी पहनी थी उसे इस त्याहार पर फिर से पहन लें(अगर उतार दी है तो)। जिस उंगुली में अंगूठी पहनाई जाती है उसकी नस सीधे दिल से जुड़ी होती है। इस कारण हिंदु धर्म में इस उंगुली में अंगुठी पहनना जरूरी माना जाता है।
कमरबंद - कमर में पहनी जाने वाली कमरबंद आपको अलग लुक देगी। इसे पहनने का का चलन आजकल शहरों में कम हो गया है। लेकिन आप चलन को नहीं अपने रीति-रिवाजों को फॉलों करें और इसे पहनें।
पायल - आपकी पायल की छनछन उनको आपके तरफ आकर्षित कर लेगी। इसलिए अच्छी से घूंघरु वाली पायल जरूर पहनें। जिससे पतली सी मधुर सी छनछन की आवाज आए।
बिछिया - मैरिड वूमेन के लिए बिछिया पहनना काफी जरूरी माना जाता है। बिछिया एक्यूप्रेशर का भी काम करती है। जिससे तलवे से लेकर नाभि तक की सभी नाड़िया और मांसपेशियां व्यवस्थित होती हैं। इस कारण बिछिया पहनना जरूरी माना जाता है।
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कपड़े - लास्ट में बात करते हैं कपड़ों की जो पूरे श्रृंगार का सबसे जरूरी हिस्सा माना जाता है। 16 श्रृंगार करने के दौरान कभी भी पुराने कपड़े नहीं पहनने चाहिए। हमेशा अच्छे और साफ-सुथरे कपड़े पहनने चाहिए। हो सके तो नये कपड़े पहनें।
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