जब बात स्किन की केयर करने की होती है तो हम सभी कई अन्य प्रोडक्ट्स के साथ-साथ सनस्क्रीन का इस्तेमाल जरूर करते हैं। इसे सन प्रोटेक्शन के लिए बेहद आवश्यक माना जाता है। यह एक तरह से स्किन बैरियर की तरह काम करता है। इसलिए, हर किसी को यह सलाह दी जाती है कि वह सन टैन या फिर सनबर्न आदि से स्किन को प्रोटेक्ट करने के लिए सनस्क्रीन का इस्तेमाल जरूर करें।
हालांकि, आज भी लोग सनस्क्रीन से जुड़े कुछ मिथ्स को सच मानते हैं। कभी हम इन मिथ्स के कारण सनस्क्रीन का इस्तेमाल नहीं करते हैं तो कभी इसे गलत तरीके से इस्तेमाल करते हैं। तो चलिए आज इस लेख में हम आपको सनस्क्रीन से जुड़े कुछ मिथ्स और उनकी सच्चाई के बारे में बता रहे हैं-
मिथ 1- डार्क स्किन पर सनस्क्रीन लगाने की ज़रूरत नहीं है।
सच्चाई- कुछ महिलाएं यह सोचती हैं कि अगर उनकी स्किन डार्क है तो उन्हें सनस्क्रीन लगाने की कोई जरूरत नहीं है। जबकि वास्तव में ऐसा नहीं है। आपको यह पता होना चाहिए कि डार्क स्किन भी सन डैमेज के प्रति उतनी ही सेंसेटिव होती है। हालांकि, डार्क स्किन पर सन डैमेज को देख पाना मुश्किल होता है, इसलिए हमें सनस्क्रीन की जरूरत महसूस नहीं होती है। स्किन का कलर चाहे जो भी हो, सनस्क्रीन (सनस्क्रीन लगाने का तरीका) का इस्तेमाल जरूर करना चाहिए। खासतौर से, धूप में बाहर जाने से पहले सनस्क्रीन जरूर लगाएं।
मिथ 2- सनस्क्रीन एसपीएफ़ 50 को रिअप्लाई करने की ज़रूरत नहीं है।
सच्चाई- कुछ लोग यह भी सोचते हैं कि उनका सनस्क्रीन एसपीएफ 50 है, इसलिए उन्हें इसे रिअप्लाई करने की कोई जरूरत नहीं है। जबकि वास्तव में ऐसा नहीं है। आपको यह पता होना चाहिए कि सनस्क्रीन केवल दो घंटे तक ही काम करता है। एसपीएसफ की संख्या यह बताती है कि आपको सनस्क्रीन से कितनी सुरक्षा मिल रही है। इससे समय का कोई लेना-देना नहीं है। बाहर निकलने से पहले आप 30 या उससे अधिक सनस्क्रीन का उपयोग करें और इसे हर दो घंटे में लगाएं।
मिथ 3- सनस्क्रीन केवल धूप वाले दिनों में ही जरूरी है।
सच्चाई- यह सनस्क्रीन से जुड़ा एक कॉमन मिथ है, जिसे हर कोई सच मानता है। सूरज की यूवी रेडिएशन बादल वाले दिनों में भी मौजूद रहती है। इसलिए, अगर तेज धूप नहीं निकल रही है, तब भी ये यूवी रेडिएशन आपकी स्किन को डैमेज कर सकती हैं। ऐसे में मौसम चाहे कोई भी हो, हर दिन सनस्क्रीन लगाना बेहद जरूरी है।
मिथ 4- अगर सनस्क्रीन वाटरप्रूफ है, तो स्विमिंग या पसीना आने के बाद इसे रिअप्लाई करने की ज़रूरत नहीं है।
सच्चाई- अगर आप यह सोचती हैं कि आपका सनस्क्रीन वाटरप्रूफ (वॉटर प्रूफ मेकअप को हटाने के टिप्स) है तो आपको स्विमिंग या पसीना आने के बाइ इसका इस्तेमाल करने की जरूरत नहीं है, तो आप पूरी तरह से गलत है। यकीनन कुछ सनस्क्रीन पर वाटर रेसिस्टेंट लिखा होता है, लेकिन वह वाटरप्रूफ नहीं है। ऐसे में अगर आप कोई वाटर एक्टिविटी करते हैं तो ऐसे में आपको सनस्क्रीन को बार-बार रिअप्लाई करने की जरूरत होगी।
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मिथ 5- सनस्क्रीन कैंसर का कारण बनता है।
सच्चाई- अधिकतर लोग यह मानते हैं कि सनस्क्रीन लगाने से उन्हें कैंसर हो सकता है। हालांकि, इस बात का अभी तक कोई मेडिकल एविडेंस नहीं है। लेकिन ऐसे कई प्रमाण हैं जो यह बताते हैं कि सूरज और टैनिंग बेड से निकलने वाली यूवी किरणें कैंसर का कारण बन सकती हैं। हालांकि, अगर आपको लगता है कि सनस्क्रीन में इस्तेमाल होने वाले केमिकल्स स्किन द्वारा अब्जॉर्ब हो जाते हैं और कैंसर का कारण बनते हैं। तो ऐसे में आपको सनब्लॉक का इस्तेमाल करना चाहिए। सनब्लॉक में आमतौर पर जिंक ऑक्साइड या टाइटेनियम डाइऑक्साइड होता है, जिसे स्किन द्वारा अब्जॉर्ब नहीं किया जा सकता है।
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Image Credit- freepik
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