जगन्नाथ मंदिर, पुरी में स्थित एक प्राचीन और पवित्र धार्मिक स्थल है, जो भगवान जगन्नाथ की पूजा के लिए प्रसिद्ध है। इस मंदिर के बारे में कई रहस्य और मान्यताएं हैं, जो इसे और भी विशेष बनाती हैं। यही नहीं इससे जुड़ी कई ऐसी बातें भी हैं जिन्हें आज भी लोग अजूबा ही मानते हैं, उन्हीं में से एक है इस मंदिर के ध्वजा का हमेशा हवा के विपरीत दिशा में लहराना। हर साल इस मंदिर में रथयात्रा का आयोजन होता है जिसमें लाखों की संख्या में भक्त शामिल होते हैं और जगन्नाथ जी के दर्शन करते हैं। वास्तव में रथ यात्रा के साथ इस मंदिर में सबसे अनोखा और आकर्षक रहस्य है मंदिर का ध्वजा। यदि हम इस ध्वजा को ध्यान से देखते हैं तो यह हमेशा हवा के विपरीत दिशा में ही लहराता है। यह किसी आश्चर्य से कम नहीं है और इसके पीछे कई कारण हैं। यह घटना न केवल भक्तों को आकर्षित करती है, बल्कि वैज्ञानिकों को भी इसके पीछे के कारणों की खोज करने के लिए प्रेरित करती है। इस रहस्य के बारे में कई सिद्धांत और व्याख्याएं बताई जाती हैं, लेकिन इसके पीछे का वास्तविक कारण अभी भी अज्ञात ही है। आइए यहां इस रहस्य के बारे में विस्तार से जानने की कोशिश करते हैं।
आखिर क्यों हवा के विपरीत लहराता है जगन्नाथ मंदिर का ध्वज
ओडिशा के पुरी में जगन्नाथ मंदिर का झंडा एक ऐसा रहस्य है जो सदियों से लोगों को हैरान करता आया है। हवा की दिशा चाहे जो भी हो, झंडा हमेशा उसकी विपरीत दिशा में ही लहराता है। इस घटना के पीछे एक कहानी है जो प्राचीन परंपराओं, वैज्ञानिक व्याख्याओं और इसके इर्द-गिर्द मौजूद आध्यात्मिक मान्यताओं के मिश्रण की खोज करता है। वास्तव में क्या यह दैवीय हस्तक्षेप है या कोई प्राकृतिक घटना है जिसका कोई स्पष्टीकरण नहीं है? अगर हम पौराणिक कथाओं की मानें तो इस ध्वज के उल्टी दिशा में लहराने के पीछे हनुमान जी से जुड़ी एक घटना का संबंध है। एक पौराणिक कथा की मानें तो एक बार भगवान विष्णु समुद्र की तेज आवाज की वजह से निद्रा में खुद को असमर्थ महसूस कर रहे थे।
हनुमान जी विष्णु जी के परम भक्त थे और जब उन्होंने विष्णु जी को समुद्र की आवाज से परेशान होते हुए देखा तो समुद्र देव से अपनी आवाज को कम करने की प्रार्थना की। इस बात पर समुद्र ने असमर्थता दिखाते हुए कहा की यह उनके बस में नहीं है और इसके लिए पवन देव को ही मंदिर में हवा का रुख बदलना होगा। उस समय हनुमान जी ने अपने पिता पवन देव से जगन्नाथ मंदिर में हवा का रुख बदलने के लिए कहा। उसी समय से मंदिर परिसर में उल्टी हवा चलती है जिसकी वजह से मंदिर का ध्वज ही उल्टी दिशा में ही लहराता है।
इसे जरूर पढ़ें: जगन्नाथ मंदिर में हर 12 साल बाद क्या होता है? नवकलेवर की प्रथा के साथ जानें कई रहस्य
जगन्नाथ मंदिर के पास चलने वाली हवाओं का रहस्य
जगन्नाथ मंदिर ध्वज का हवा के विपरीत दिशा में लहराना ये दिखाता है कि जगन्नाथ मंदिर के चारों ओर हवा के पैटर्न बेहद अजीब हैं। आसपास की हवाएं विभिन्न दिशाओं में बहने के बावजूद, ध्वज हमेशा उनका विरोध करता हुआ प्रतीत होता है। कुछ विशेषज्ञों का माना है कि यह मंदिर की संरचना के तरीके के कारण है। मंदिर का बड़ा, ऊंचा शिखर हवा को अप्रत्याशित दिशाओं में घुमा सकता है, जिससे अशांत हवा की धाराएं बनती हैं जो ध्वज को विपरीत दिशा में लहराने के लिए प्रेरित करती हैं। एक अन्य वैज्ञानिक व्याख्या के अनुसार मंदिर का वास्तुशिल्प एक ऐसा तत्व है जो मंदिर में चलने वाले हवा को विपरीत दिशा में मोड़ देता है जिससे ध्वजा हवा के विपरीत लहराने लगता है।
इसे जरूर पढ़ें: भगवान जगन्नाथ, सुभद्रा और बलराम के रथ से जुड़े ये फैक्ट नहीं जानते होंगे आप
जगन्नाथ मंदिर के विपरीत दिशा में लहराने के पीछे का वास्तु क्या है?
वास्तु के अनुसार, वायु धाराओं सहित ऊर्जा का प्रवाह, किसी संरचना के आध्यात्मिक सामंजस्य का एक अनिवार्य हिस्सा माना जाता है। मंदिरों, तीर्थस्थलों और अन्य पवित्र इमारतों की स्थिति का उद्देश्य इन ऊर्जाओं को इस तरह से प्रवाहित करना होता है जिससे कि वे ब्रह्मांडीय शक्तियों के साथ सामंजस्य स्थापित करें।
काफी हद तक यह संभव है कि वैदिक सिद्धांतों में डूबे जगन्नाथ मंदिर की संरचना इस तरह से संरेखित हो कि हवा को एक विशेष मार्ग का अनुसरण करने के लिए मजबूर होना पड़ता है, जिससे झंडा विपरीत दिशा में लहराता है।
जगन्नाथ मंदिर में रथ यात्रा के दौरान ध्वज का महत्व
भारत के सबसे भव्य त्योहारों में से जगन्नाथ रथ यात्राएक और ऐसा उदाहरण है, जहां जगन्नाथ मंदिर में लगा झंडा एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हर साल, हजारों की संख्या में भक्त रथयात्रा देखने के लिए इकट्ठा होते हैं, जहां भगवान जगन्नाथ को एक भव्य रथ पर मंदिर से बाहर ले जाया जाता है। मंदिर के ऊपर लगा ध्वजा भगवान की यात्रा और त्योहार की भावना का प्रतीकात्मक प्रतिनिधित्व करता है। रथ यात्रा के दौरान, ध्वजा एक बार फिर हवा के विपरीत दिशा में लहराता है, मानो यह संकेत दे रहा हो कि देवता पूरे आयोजन पर उस स्थान पर मौजूद हैं। वास्तव में भक्तों के लिए, यह इस बात का संकेत है कि भगवान जगन्नाथ का आशीर्वाद उन पर है क्योंकि वे अपनी आध्यात्मिक यात्रा पर निकल रहे हैं।
वास्तव में जगन्नाथ पुरी मंदिर के ध्वज का हवा की विपरीत दिशा में लहराना किसी आश्चर्य से कम नहीं है। इसे हम ईश्वरीय चमत्कार मानें या फिर विज्ञान यह वास्तव में एक अनोखी घटना है जो इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत मानी जाती है।
आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर शेयर और लाइक जरूर करें। इसी तरह और भी आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से। अपने विचार हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।
Images: freepik.com
HerZindagi ऐप के साथ पाएं हेल्थ, फिटनेस और ब्यूटी से जुड़ी हर जानकारी, सीधे आपके फोन पर! आज ही डाउनलोड करें और बनाएं अपनी जिंदगी को और बेहतर!
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों