भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा इस साल 7 जुलाई से शुरू होगी। उड़ीसा के जगन्नाथ में रथ यात्रा एक भव्य उत्सव है, जिसमें हिस्सा लेने के लिए भारत समेत अन्य देशों के श्रद्धालु जन शामिल होने आते हैं। इस भव्य यात्रा में भगवान जगन्नाथ जी, बलराम जी और सुभद्रा जी को रथ में बिठाकर मुख्य मंदिर से गुंडीचा मंदिर तक ले जाया जाता है। वैसे तो रथयात्रा से जुड़ी कई मुख्य बाते हैं, लेकिन आज हम आपको जगन्नाथ जी, बलराम जी और सुभद्रा जी के रथ से जुड़ी कुछ फैक्ट बताएंगे, जिसके बारे में शायद आपको नहीं पता हो।
भगवान जगन्नाथ, सुभद्रा और बलराम के रथ से जुड़े ये फैक्ट
- तीन रथों के नाम: भगवान जगन्नाथ, सुभद्रा और बलराम के रथों के नाम क्रमशः 'नंदीघोष', 'दर्पदलन' और 'तलध्वज' हैं।
- रथों की ऊँचाई: भगवान जगन्नाथ का रथ सबसे ऊँचा होता है, जिसकी ऊँचाई लगभग 45 फीट होती है। बलराम का रथ लगभग 44 फीट ऊँचा होता है और सुभद्राका रथ लगभग 43 फीट ऊँचा होता है।
- रथ निर्माण: हर साल रथ यात्रा के लिए नए रथ बनाए जाते हैं। इन रथों के निर्माण में कोई भी धातु का उपयोग नहीं किया जाता, केवल लकड़ी से ही रथ बनाया जाता है।
- रथों की लकड़ी: रथ निर्माण के लिए उपयोग की जाने वाली लकड़ी खास प्रकार के पेड़ों से ली जाती है, जैसे कि फास, धौरा, और असान।
- रथ यात्रा की अवधि: रथ यात्रा लगभग 10-12 दिनों तक चलती है। यह यात्रा पुरी के जगन्नाथ मंदिर से गुंडीचा मंदिर तक होती है।
- सप्त ध्वज: हर रथ पर सात ध्वज लगाए जाते हैं, जो विभिन्न रंगों के होते हैं, जो कि अलग-अलग देवताओं का प्रतिनिधित्व करते हैं।
- रथ यात्रा का प्रारंभ: रथ यात्रा का प्रारंभ 'आषाढ़ शुक्ल द्वितीया' को होता है, जिसे 'रथ यात्रा' के रूप में जाना जाता है।
- रथ यात्रा का इतिहास: रथ यात्रा का इतिहास शादियों पुराना है और यह पुरी में सबसे प्रमुख और भव्य उत्सवों में से एक है।
- 'पहांडी विज़ा': भगवान जगन्नाथ, सुभद्रा और बलराम को रथों पर बिठाने की प्रक्रिया को 'पहांडी विज़ा' कहा जाता है, जिसमें भगवानों को मंदिर से रथ तक लाया जाता है।

- 'चेरा पहरा': रथ यात्रा के दौरान पुरी के राजा द्वारा 'चेरा पहरा' की जाती है, जिसमें राजा रथों की सफाई करते हैं। यह समर्पण और विनम्रता का प्रतीक है।
- वह्नि कोण: रथ यात्रा के मार्ग पर एक विशेष कोण होता है जिसे 'वह्नि कोण' कहा जाता है। यहां रथों को घुमाया जाता है, जो बहुत ही रोचक और आकर्षक दृश्य होता है।
- जगन्नाथ महा प्रसाद: रथ यात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ का महा प्रसाद बहुत प्रसिद्ध है, जिसे 'अन्न प्रसाद' भी कहा जाता है।
- भाग्य चक्र: रथ यात्रा को 'भाग्य चक्र' भी कहा जाता है क्योंकि यह यात्रा भगवान जगन्नाथ की कृपा और आशीर्वाद के चक्र का प्रतीक है।
- रथों के रंग: बलराम का रथ लाल और हरे रंग का होता है, सुभद्रा का रथ काले और लाल रंग का होता है और भगवान जगन्नाथ का रथ पीले और लाल रंग का होता है।
- अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर है प्रसिद्धि: रथ यात्रा केवल भारत में ही नहीं, बल्कि विश्व भर में प्रसिद्ध है और इसमें विदेशों से भी भक्त शामिल होते हैं।
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Image Credit: Freepik, Naiduniya,
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