वट सावित्री व्रत महिलाओं द्वारा पति की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य के लिए रखा जाने वाला सबसे ज्यादा कठिन व्रत है। हर साल ज्येष्ठ अमावस्या के दिन वट सावित्री व्रत मनाया जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं और निर्जल उपवास रखती हैं। ज्योतिष गणना के अनुसार, ज्येष्ठ अमावस्या 26 मई को दोपहर 12 बजकर 11 मिनट से शुरू हो रही है और 27 मई को सुबह 8 बजकर 31 मिनट पर इसका समापन हो जाएगा।
ऐसे में वट सावित्री का व्रत यूं तो 27 को रखा जाना चाहिए लेकिन इतनी सुबह उठकर पूजा करना हर किसी के लिए संभव नहीं है। ऐसे में अधिकतर महिलाएं वट सावित्री व्रत की पूजा 26 मई यानी कि आज ही करेंगी। अब प्रश्न ये उठता है कि जो महिलाएं 26 को व्रत रख रही हैं वो किस मुहूर्त और किस दिन इस व्रत का पारण करें और जो महिलाएं 27 को व्रत रख रही हैं, वो किस दिन और मुहूर्त में वट सावित्री व्रत का पारण करें। जानते हैं ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से।
वट सावित्री व्रत 2025 पारण मुहूर्त (Vat Savitri Paran Muhurat 2025)
वट सावित्री का व्रत 27 मई को सुबह समाप्त हो जाएगा। ऐसे में 27 मई, मंगलवार के दिन वट सावित्री व्रत का पारण 8 बजकर 31 मिनट के बाद कभी भी कर सकते हैं। हालांकि, इस बात का ध्यान रखिए कि 27 को पूजा करने वाली महिलाएं व्रत का निर्वाहन आज ही करें, तभी 1 दिन के संपूर्ण व्रत का फल प्राप्त होगा।
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वट सावित्री व्रत 2025 पारण विधि (Vat Savitri Paran Vidhi)
27 मई की सुबह, जब आप उठें, तो सबसे पहले स्नान करें और साफ-सुथरे वस्त्र पहनें। अपने घर के पूजा स्थान पर जाएं। भगवान और मां सावित्री को धन्यवाद दें कि उन्होंने आपके व्रत को सफलतापूर्वक पूरा करवाया और आपके पति को लंबी उम्र और सुख-समृद्धि प्रदान की। आप दीपक जला सकती हैं और थोड़ी देर ध्यान भी कर सकती हैं।
पारण के समय सबसे पहले वह प्रसाद ग्रहण करें जो आपने व्रत के दिन वट वृक्ष की पूजा में चढ़ाया था। आमतौर पर, इसमें फल, मिठाई या कुछ अन्य मीठी चीज़ें होती हैं। व्रत खोलने के लिए कुछ भी मीठा जैसे एक टुकड़ा मिठाई, एक फल या थोड़ी सी खीर खा सकती हैं। प्रसाद ग्रहण करने के बाद एक गिलास पानी पिएं। व्रत खोलने के बाद शुद्ध और सात्विक भोजन करें।
पारण के बाद घर के बड़े-बुजुर्गों, विशेषकर अपने पति और सास-ससुर के पैर छूकर आशीर्वाद लें। यह आपको शुभ फल देगा। यदि आपकी सामर्थ्य है, तो इस दिन ब्राह्मणों, किसी ज़रूरतमंद व्यक्ति या गरीब को भोजन, अनाज, वस्त्र या अपनी क्षमता अनुसार कुछ धन का दान करें। दान करना व्रत के पुण्य को बढ़ाता है।
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image credit: herzindagi
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