हिंदू धर्म में किसी भी एकादशी तिथि का विशेष महत्व होता है। साल में 24 और हर महीने दो एकादशी तिथियां होती हैं। किसी भी महीने के कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष के ग्यारहवें दिन यह तिथि पड़ती है और हर एक का अपना विशेष महत्व होता है। इस तिथि में मुख्य रूप से भगवान विष्णु का पूजन विधि-विधान के साथ किया जाता है। भक्तजन व्रत उपवास करते हैं और विष्णु जी की पूजा करते हैं।
ऐसी मान्यता है कि सही तरीके से किया गया पूजन आपके घर में खुशहाली लाने में मदद करता है और सदैव समृद्धि बनाए रखता है। जिस तरह से किसी भी महीने में पड़ने वाली एकादशी महत्वपूर्ण होती है, वैसे ही सितंबर महीने में भी दो एकादशी तिथियां पड़ेंगी। पहली परिवर्तिनी और दूसरी इंदिरा एकादशी तिथि। आइए ज्योतिर्विद पंडित रमेश भोजराज द्विवेदी से जानें इनकी तिथि, शुभ मुहूर्त और अन्य जानकारियां।
सितंबर 2024 में कौन सी एकादशी तिथियां हैं
अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार सितंबर महीने में परिवर्तिनी एकादशी और इंदिरा एकादशी तिथियां पड़ेंगी। जिनमें से परिवर्तिनी एकादशी हिंदी पंचांग के भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष के ग्यारहवें दिन और इंदिरा एकादशी अश्विन माह के कृष्ण पक्ष के ग्यारहवें दिन पड़ेगी। ये दोनों ही तिथियां महत्वपूर्ण हैं और इनकी पूजा का एक निश्चित मुहूर्त और महत्व है। आइए जानें इनके बारे में विस्तार से।
परिवर्तिनी एकादशी तिथि और शुभ मुहूर्त
- हिंदू पंचांग के अनुसार परिवर्तिनी एकादशी भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 14 सितंबर को मनाई जाएगी।
- परिवर्तिनी एकादशी तिथि आरंभ- 13 सितंबर, शुक्रवार, रात्रि 10:30 बजे से।
- परिवर्तिनी एकादशी तिथि समापन- 14 सितंबर, शनिवार, रात्रि- 08 बजकर 41 मिनट तक
- उदया तिथि के अनुसार परिवर्तिनी एकादशी का व्रत 14 सितंबर को रखना ही शुभ होगा।
- भगवान विष्णु की पूजा का मुहूर्त सुबह 14 सितंबर, शनिवार, प्रातः 07:38 से 09:11 तक।
परिवर्तिनी एकादशी तिथि का महत्व
परिवर्तिनी एकादशी को पार्श्व, पद्मा, डोल ग्यारस या जलझूलनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस तिथि को ज्यादा खास इसलिए भी माना जाता है क्योंकि इसी दिन योग निद्रा में लीन भगवान विष्णु करवट बदलते हैं, इसी वजह से इसे परिवर्तनी एकादशी कहा जाता है। मान्यता है कि इस एकादशी तिथि का व्रत करने से सौ यज्ञों के बराबर फल मिलता है और समृद्धि के मार्ग खुलते हैं। इस व्रत को करने से समस्त पापों और रोगों का नाश होता है और बिगड़े काम भी बनने लगते हैं। इस दिन लोग भगवान विष्णु के वामन अवतार की पूजा करते हैं। इस दौरान पितरों का तर्पण करना भी विशेष रूप से फलदायी होता है।
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परिवर्तिनी एकादशी की पूजा विधि
- परिवर्तिनी एकादशी का व्रत करने वाले व्यक्ति को दशमी तिथि की रात से ही सात्विक भोजन करना चाहिए। मुख्य रूप से आपको एक दिन पहले से ही चावल तामसिक भोजन और चावल का त्याग कर देना चाहिए।
- इस दिन आप प्रातः जल्दी उठें और स्नान आदि से मुक्त होकर साफ़ वस्त्र धारण करें।
- घर के पूजा स्थान को अच्छी तरह से साफ करें और सभी भगवानों को स्नान कराने के बाद साफ़ वस्त्रों से सुसज्जित करें। एक चौकी पर लाल या पीला कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।
- भगवान विष्णु की पूजा के लिए पीले फूल, तुलसी दल, चंदन, धूप, दीप, नैवेद्य, और फल रखकर पूजा की थाली तैयार करें।
- भगवान विष्णु या उनके बाल स्वरूप लड्डू गोपाल को गंगाजल से स्नान कराएं और चन्दन लगाने के साथ उनका पूरा श्रृंगार करें।
- विष्णु भगवान को भोग में पीली मिठाइयां अर्पित करें और साथ में तुलसी दल रखें।
- परिवर्तनी एकादशी व्रत की कथा पढ़ें और दूसरों को भी सुनाएं।
- पूजन के बाद आरती करें और सबको प्रसाद का वितरण करके स्वयं भी ग्रहण करें।
- व्रत रखने वाले लोगों को इस दिन फलाहार का सेवन करना चाहिए और जो व्रत न भी रखें उन्हें भोजन में चावल को शामिल नहीं करना चाहिए।
- अगले दिन द्वादशी तिथि के दिन ब्राह्मणों को भोजन कराएं और यथाशक्ति दान-दक्षिणा देकर व्रत का पारण करें।
इंदिरा एकादशी तिथि और शुभ मुहूर्त
- हिंदू पंचांग के अनुसार, आश्विन महीने के कृष्ण पक्ष के ग्यारहवें दिन इंदिरा एकादशी मनाई जाती है। इस साल यह पर्व 28 सितंबर 2024, शनिवार को मनाया जाएगा।
- इंदिरा एकादशी तिथि का आरंभ 27 सितंबर, शुक्रवार, दोपहर 01 बजकर 20 मिनट पर ।
- इंदिरा एकादशी तिथि का समापन 28 सितंबर, शनिवार, दोपहर 02 बजकर 49 मिनट पर होगा।
- उदया तिथि की मानें तो इंदिरा एकादशी 28 सितंबर, शनिवार को मनाई जाएगी।
इंदिरा एकादशी तिथि का महत्व
हिंदू धर्म में इंदिरा एकादशी का विशेष महत्व अश्विन मास में पड़ने वाली इस तिथि के कारण है, जो पितृ पक्ष के दौरान आती है। इस कारण से इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। इसे पितृ दोषों से मुक्ति पाने की तिथि माना जाता है।
मान्यता है कि जो व्यक्ति इस एकादशी का व्रत रखता है, उसके सभी पाप और दोष दूर हो जाते हैं। इंदिरा एकादशी को मोक्ष दायिनी एकादशी भी कहा जाता है। इस दिन व्रत करने वाले व्यक्ति को विष्णु पूजन के साथ-साथ पितरों का भी विधि पूर्वक पूजन करना चाहिए। इससे पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और इस व्रत को करने वाले को मृत्योपरांत मोक्ष की प्राप्ति होती है। इंदिरा एकादशी को विशेष रूप से पितृ दोष निवारण और मोक्ष प्राप्ति के लिए अति महत्वपूर्ण माना गया है।
इंदिरा एकादशी की पूजा विधि
- इंदिरा एकादशी की पूजा भी परिवर्तिनी एकादशी के ही समान होती है और इसमें उसी तरह से व्रत का संकल्प लिया जाता है, लेकिन इसमें विधि-विधान से विष्णु पूजन के साथ पितरों के निमित्त तर्पण आदि भी किया जाता है जिससे उनका आशीर्वाद बना रहता है।
- इस दिन पहले विष्णु जी का पूजन करें और उसके बाद अभिजीत मुहूर्त में पितरों के लिए तर्पण और दान करें। पितरों के निमित्त ब्राह्मणों को भोजन कराएं और जरूरतमंदों को दान दें।
- इंदिरा एकादशी का व्रत करने वालों को इस व्रत की कथा जरूर पढ़नी और सुननी चाहिए। इसकी कथा का पाठ मोक्ष दिलाता है।
- अगले दिन द्वादशी तिथि को इस व्रत का पारण करना चाहिए और इस दिन भी ब्राह्मणों को भोजन कराने के साथ दान-दक्षिणा दें।
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