Ram And Sita: आखिर क्या है भगवान राम और माता सीता की मृत्यु का रहस्य

Ram And Sita: भगवान श्री विष्णु के अवतार माने जाने वाले प्रभु श्री राम का जन्म अयोध्या में हुआ था लेकिन भगवान राम की धर्मपत्नी सीता माता और प्रभु राम की मृत्यु से जुड़ा हुआ रहस्य भी है। 

 
how did lord ram died
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हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, भगवान विष्णु ने अपना जब सातवां अवतार मनुष्य के रूप में लिया था तो वह चाहते थे कि पृथ्वी पर धर्म की स्थापना और अधर्म का नाश सुनिश्चित हो। हिंदू धर्म में भगवान राम जी भगवान विष्णु जी का ही रूप हैं। मर्यादा पुरुषोत्तम राम यानि सभी पुरुषों में उत्तम और मर्यादा की मूर्ति के रूप में जाने वाले प्रभु राम की कई लोग पूजा करते हैं। वहीं सीता माता को जानकी भी कहा जाता है और वह भगवान राम की पत्नी थी। चलिए आपको भगवान राम और माता सीता की मृत्यु का रहस्य बताते हैं।

कैसे हुई भगवान राम की मृत्यु? (How Did Lord Rama Died)

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भगवान राम की पत्नी यानी माता सीता के बारे में सभी को पता है कि धरती के फटने के बाद वो उसमें समा गई थीं, लेकिन भगवान राम की मृत्यु के बारे में पौराणिक कथाओं में वर्णन है। भगवान राम के स्वर्गलोक गमन के कारण और तरीके का वर्णन वाल्मीकि रामायण में मिलता है, लेकिन किस तिथि को उनका स्वर्गलोक गमन हुआ यह ज्ञात किसी को ज्ञात नहीं है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार उसी समय ब्रह्मा जी विमान लेकर आते हैं और भगवान श्री विष्णु उस पर बैठकर अपने परम धाम की तरफ चले गए थे।

कैसे हुई थी माता सीता की मृत्यु?(How Did Goddess Sita Died)

पौराणिक कथाओं के अनुसार, माता सीता अपने पुत्रों के साथ वाल्मीकि आश्रम में ही रहती थीं। जब भगवान श्रीराम ने अश्वमेध यज्ञ का आयोजन किया तो उस यज्ञ में वाल्मीकि जी ने लव और कुश को रामायण सुनाने के लिए भेजा। राम ने दोनों कुमारों से यह चरित्र सुना। इसके बाद राम ने सीता को कहलाया कि यदि वे निष्पाप हैं तो यहां सभा में आकर अपनी पवित्रता प्रकट करें। वाल्मीकि जी माता सीता को लेकर सभा में गए। वहां सभा में वशिष्ठ ऋषि भी थे।

सीता हाथ जोड़कर नीचे मुख करके बोलीं- 'हे धरती मां, यदि मैं पवित्र हूं तो धरती फट जाए और मैं उसमें समा जाऊं।' जब सीता ने यह कहा तब नागों पर रखा एक सिंहासन पृथ्वी फाड़कर बाहर निकला। सिंहासन पर पृथ्वी देवी बैठी थीं। उन्होंने सीता को गोद में बैठा लिया और सीता माता के बैठते ही वह धरती में समा गईं।

वहीं पद्मपुराण की कथा के अनुसार, सीता धरती में नहीं समाई थीं बल्कि उन्होंने श्रीराम के साथ रहकर सिंहासन का सुख भोगा था और उन्होंने भी राम के साथ में जल समाधि ले ली थी।इसे जरूर पढ़ें:माता सीता के इन नामों का जीवन पर पड़ता है गहरा प्रभाव, जानें इनका अर्थ और महत्व

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image credit- shutterstock

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