क्या ग्रहण के दौरान पूजा कर सकते हैं?

पूजा-पाठ को किसी भी अवसर के लिए बहुत शुभ माना जाता है, लेकिन ग्रहण के दौरान मंदिर जाने की मनाही होती है और पूजा भी वर्जित होती है। आइए इसके कारणों के बारे में विस्तार से जानें। 

 

puja during eclipse good or bad

सूर्य या चंद्र ग्रहण दोनों को ही एक खगोलीय घटना के रूप में देखा जाता है। हम लोग इस घटना को कई अंधविश्वासों के साथ भी जोड़ते हैं और ये मान लेते हैं कि ये घटना आपके जीवन के लिए शुभ नहीं है।

ऐसा कहना पूरी तरह से ठीक नहीं होगा, क्योंकि ज्योतिष में भी इस दौरान कुछ काम करने की मनाही होती है और कुछ कामों को अच्छा माना जाता है। यदि हम विज्ञान की भी मानें तो आपको कोई भी ग्रहण खुली आंखों से देखने की सलाह नहीं दी जाती है।

ज्योतिष की मानें तो ग्रहण को उच्च ऊर्जा के साथ शक्तिशाली अवधि के रूप में देखा जाता है। वहीं, ग्रहण के दौरान किए जाने वाले कामों के बारे में एक सवाल यह भी सामने आता है कि क्या इस दौरान आपको पूजा-पाठ करना चाहिए। मेरे जैसे ही आप में से कई लोगों के मन में भी यह सवाल आता होगा। आइए इसके बारे में ज्योतिषाचार्य डॉ. आरती दहिया से विस्तार से जानें।

क्या हम ग्रहण के दौरान पूजा कर सकते हैं?

can we perform worship during eclipse

अगर हम ज्योतिष की मानें तो किसी भी ग्रहण के दौरान पूजा न करने की सलाह दी जाती है। इसी वजह से ग्रहण की अवधि से कुछ घंटे पहले ही सूतक काल में मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं और मंदिर में प्रवेश वर्जित कर दिया जाता है।

ज्योतिषाचार्य डॉ. आरती दहिया बताती हैं कि ग्रहण के दौरान पूजा-पाठ करना वर्जित माना जाता है, लेकिन आपको आंतरिक मन यानी बिना कोई कर्म कांड किए पूजा करनी चाहिए। ज्योतिष के मुताबिक, जब भी सूर्य या चंद्र ग्रहण लगता है, तब ब्लड सर्कुलेशन पर प्रभाव पड़ता है और हमारे शरीर के भीतर के भाव प्रभावित होते हैं। इन सभी से बचने के लिए आंतरिक पूजा को बहुत शुभ माना जाता है। आप भले ही भगवान का मूर्ति रूप में पूजन न करें, लेकिन मन में किसी भी तरह की पूजा की मनाही नहीं होती है।

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ग्रहण के दौरान किस तरह की पूजा की जा सकती है?

किसी भी ग्रहण के दौरान आपको आंतरिक मन से पूजा करने की सलाह दी जाती है, जिससे आपकी आत्मा नियंत्रित रहे। जब भी ग्रहण पड़े आप मेडिटेशन कर सकते हैं। इस दौरान आप भगवान शिव की आराधना कर सकते हैं और हवन कर सकते हैं। इस दौरान आप शिव जी के मंत्रों का जाप करें तो आपको इसके बहुत ही शुभ फल प्राप्त हो सकते हैं।

क्या ग्रहण के सूतक काल में पूजा करनी चाहिए?

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सूतक काल वह समय होता है जिसमें पूजा-पाठ नहीं किए जाते हैं। इसी वजह से मंदिर भी बंद कर दिए जाते हैं। इस दौरान आप भले ही पूजा न कर सकें। लेकिन, सूर्य और चंद्रमा को राहु के प्रभाव से मुक्त करने के लिए मंत्रों का जाप किया जाता है।

इस दौरान आपको हाथ जोड़कर ईश्वर की प्रार्थना और सभी कष्टों से मुक्ति की कामना करने की सलाह दी जाती है। इस दौरान सभी मंदिर बंद रहते हैं। पूजा-पाठ नहीं कर सकते, लेकिन मंत्रों का जप किया जा सकता है। मंत्र जप मानसिक रूप से करना चाहिए यानी बिना आवाज किए मन ही मन अपने इष्टदेव के मंत्रों का जप करना चाहिए।

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चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण में सूतक काल कब लगता है?

चंद्र ग्रहण हमेशा पूर्णिमा तिथि को होता है और सूर्य ग्रहण अमावस्या के दिन होता है। चंद्र ग्रहण के लगभग 9 घंटे पहले से सूतक काल का आरंभ हो जाता है। वहीं, सूर्य ग्रहण के 12 घंटे पहले सूतक काल मान्य हो जाता है। इसका मतलब यह होता है कि सूतक की अवधि में मंदिरों के कपाट बंद कर दिए जाते हैं और मंदिर में पूजा करने की मनाही हो जाती है।

क्यों लगता है सूर्य या चंद्र ग्रहण?

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ज्योतिष के अनुसार ऐसा माना जाता है कि कोई भी ग्रहण तब घटित होता है जब पृथ्वी, चंद्रमा और सूर्य एक विशिष्ट तरीके से संरेखित होते हैं। ज्योतिषीय दृष्टि से ग्रहण को एक शक्तिशाली समय के रूप में देखा जाता है जब ब्रह्मांडीय ऊर्जा तीव्र हो जाती है और इसका सीधा असर किसी भी राशि पर पड़ता है।

ग्रहण के दौरान आकाशीय पिंडों का संरेखण पृथ्वी पर ऊर्जा प्रवाह को प्रभावित करता है। साथ ही, राहु और केतु जिन्हें छाया ग्रह के रूप में देखा जाता है उन्हें भी ग्रहण का मुख्य कारण माना जाता है। इसी वजह से आपके आस-पास की ऊर्जा क्षेत्र में किसी भी गड़बड़ी को रोकने के लिए इस दौरान पूजा या किसी भी ईश्वरीय अनुष्ठान की मनाही होती है।

विभिन्न पारंपरिक मान्यताओं के साथ ज्योतिष का यह मानना है कि यदि आप किसी भी ग्रहण के दौरान कुछ विशेष बातों का ध्यान रखते हैं तो इसका असर आपके भविष्य में सकारात्मक रूप में होता है।

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Images: Freepik.com

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