ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को गंगा दशहरा मनाया जाता है। इस दिन मां गंगा धरती पर अवतरित हुई थीं। इसी कारण से गंगा दशहरा के दिन गंगा स्नान और पूजन का खासा महत्व है। वहीं, ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स ने हमें बताया कि गंगा दशहरा के दिन पितरों का तर्पण करना भी बहुत शुभ और आवश्यक माना जाता है। ऐसे में आइये जानते हैं कि क्या है इसके पीछे का कारण और गंगा दशहरा पर पितृ तर्पण से कौन से लाभ मिलते हैं।
गंगा दशहरा पर पितृ तर्पण करने से क्या होता है?
गंगा दशहरा के दिन पितृ तर्पण इसलिए किया जाता है या यूं कें कि करना आवश्यक माना गया है क्योंकि इस दिन मां गंगा ने अपने जल से भागीरथ के पूर्वजों को मोक्ष प्रदान किया था। ऐसे में अगर आप भी अपने पूर्वजों की कृपा पाना चाहते हैं तो गंगा दशहरा के दिन पितृ तर्पण अवश्य करें।
अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में पितृ दोष होता है, तो उसे जीवन में कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। माना जाता है कि गंगा दशहरा के दिन गंगा नदी में स्नान करके और पितरों का तर्पण करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है। ऐसा करने से पितर शांत होते हैं और अपना आशीर्वाद देते हैं।
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धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, गंगा दशहरा के दिन पितरों का तर्पण करने से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। जो आत्माएं भटक रही होती हैं, उन्हें शांति मिलती है और वे जन्म-मरण के चक्र से मुक्त हो जाती हैं। यह उन पितरों के लिए ज्यादा महत्वपूर्ण है जिनकी मृत्यु किसी दुर्घटना या असमय हुई हो।
पितृ तर्पण से हमारे पूर्वज प्रसन्न होते हैं और हमें आशीर्वाद देते हैं। उनके आशीर्वाद से घर में सुख-शांति, समृद्धि और खुशहाली आती है। जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं और कार्यों में सफलता मिलती है। पितरों के आशीर्वाद से आर्थिक स्थिति मजबूत होती है। धन संबंधी समस्याएं दूर होती हैं।
गंगा दशहरा को 'दस पापों को हरने वाला' भी कहा जाता है। मान्यता है कि इस दिन गंगा में स्नान करने और पितरों का तर्पण करने से व्यक्ति के दस प्रकार के पाप धुल जाते हैं। इनमें शारीरिक, मानसिक और वाचिक (वाणी से जुड़े) पाप शामिल हैं। साथ ही, पुण्यों में वृद्धि होती है।
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गंगा दशहरा के दिन पितृ तर्पण करने से परिवार में शांति और सद्भाव बना रहता है। आपसी मतभेद कम होते हैं और संबंध मजबूत होते हैं। पितरों की कृपा से रोगों से मुक्ति मिलती है और शरीर स्वस्थ रहता है। किसी को संतान संबंधी परेशानी हो, तो पितृ तर्पण से यह समस्या भी दूर हो सकती है।
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