गंगा दशहरा का पर्व सनातन धर्म में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इसी दिन मां गंगा धरती पर अवतरित हुई थीं। इस दिन गंगा में स्नान करने, दान करने और पूजा-पाठ करने से व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि आती है और मां गंगा की असीम कृपा व्यक्ति को मिलती है। गंगा दशहरा के दिन जहां एक ओर कुछ कामों को करने से पुण्यों में वृद्धि होती है तो वहीं, दूसरी ओर इस दिन कुछ कामों को करने से बचना चाहिए, नहीं तो अशुभता घर में प्रवेश कर जाती है। ऐसे में आइये जानते हैं ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से कि गंगा दशहरा के दिन क्या करें और क्या न करें।
गंगाजल को कभी भी अपवित्र न करें और न ही इसे किसी अशुद्ध स्थान पर फेंके। गंगाजल का प्रयोग केवल पवित्र कार्यों के लिए ही करें। घर में गंगाजल किसी अशुद्ध स्थान पर न रखें, नहीं तो इससे घर की सुख-समृद्धि जा सकती है और नकारात्मकता बढ़ सकती है।
दान करते समय इस बात का ध्यान रखें कि चीजें साफ-सुथरी, नई और उपयोगी हों। बासी खाना, फटे-पुराने कपड़े, टूटे बर्तन, या चाकू-कैंची जैसी धारदार वस्तुएं दान नहीं करनी चाहिए। ऐसी चीजें नकारात्मक ऊर्जा लाती हैं और मां लक्ष्मी की नाराजगी का कारण बन सकती हैं।
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पूजा या स्नान के समय किसी भी प्रकार के अहंकार या दिखावे से बचें। मन में श्रद्धा और एकाग्रता बनाए रखें, तभी पूजा का वास्तविक फल मिलता है। गंगा स्नान के दौरान गंगा के जल में शैम्पू, साबुन आदि अपवित्र वस्तुएं लेकर जाने से बचें नहीं तो दोष लग सकता है।
इस बार गंगा दशहरा जून में गुरुवार के दिन पड़ रहा है, ऐसे में इस दिन चावल और काली दाल न तो खाएं न किसी को दान में दें और न ही घर लेकर आएं। इससे ग्रह दोष लग सकता है और पारिवारिक शांति भंग हो सकती है। गृह क्लेश भयंकर रूप से जन्म ले सकता है।
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गंगा दशहरा के दिन तामसिक भोजन जैसे कि मांस, मदिरा, लहसुन, प्याज आदि का सेवन नहीं करना चाहिए। शास्त्रों में बताया गया है कि गंगा दशहरा के दिन अगर कोई भी व्यक्ति तामसिक आहार लेता है तो वह खुद और उसका परिवार मोक्ष नहीं प्राप्त कर पाता है।
गंगा दशहरा का सबसे महत्वपूर्ण कार्य गंगा नदी में स्नान करना है। अगर गंगा नदी में जाना संभव न हो, तो अपने घर पर ही नहाने के पानी में थोड़ा गंगाजल मिलाकर स्नान करें। ऐसा माना जाता है कि इससे सभी पाप धुल जाते हैं और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
गंगा दशहरा पर दान का विशेष महत्व है। इस दिन आप 10 की संख्या में दान कर सकते हैं, क्योंकि गंगा दशहरा दशमी के दिन आता है। उदाहरण के तौर पर, गंगा दशहरा के दिन 10 मटकों का दान कर दें या फिर 10 प्रकार के अनाज का दान कर दें।
गंगा दशहरा के दिन गंगा अष्टकम का पाठ अवश्य करें। इस पाठ का प्रभाव बहुत शीघ्र और शुभ माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि गंगा दशहरा के दिन इस पथ का जाप करने से मां गंगा आठों दिशाओं से आठों प्रहार व्यक्ति को सुख-समृद्धि प्रदान करती हैं।
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गंगा दशहरा के दिन गंगा नदी में दीपक प्रवाहित करना बहुत पुण्यदायी माना जाता है। इससे अटका हुआ काम चलने लगते हैं। शुभ कार्यों में आ रही बाधाएं दूर हो जाती हैं। विशेष रूप से अगर धन अटका हुआ है तो वह पुनः आपके पास लौट आता है।
इस दिन पितरों का तर्पण करना भी बहुत शुभ माना जाता है, क्योंकि मां गंगा के पृथ्वी पर आने से राजा भागीरथ के पूर्वजों को मोक्ष मिला था। ऐसे में इस दिन अपने पितरों का तर्पण करें। इससे पितृ दोष भी दूर होगा और पितरों का आशीर्वाद परिवार को मिलेगा।
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