जगन्नाथ रथ यात्रा का हिंदू धर्म में बहुत गहरा महत्व है। यह भगवान जगन्नाथ, उनके बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा को समर्पित एक भव्य उत्सव है। इस यात्रा का सबसे बड़ा महत्व यह है कि इसमें भगवान स्वयं अपने भक्तों के बीच आते हैं, उन्हें दर्शन देते हैं और उनके साथ नगर भ्रमण करते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस रथ यात्रा में शामिल होने या केवल इसके दर्शन करने मात्र से व्यक्ति के सभी पाप धुल जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह भक्ति, श्रद्धा और समानता का प्रतीक है क्योंकि इसमें भगवान किसी वर्ग या जाति का भेद किए बिना सभी भक्तों को दर्शन देते हैं।
साल 2025 में जगन्नाथ रथ यात्रा 27 जून, शुक्रवार से शुरू होगी और लगभग नौ दिनों तक चलेगी, जिसका समापन 5 जुलाई को 'बाहुड़ा यात्रा' के साथ होगा। इस दौरान पूरी में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ेगी और हर कोई चाहेगा कि भगवान जगन्नाथ के रथ को खींचने का सौभाग्य उसे प्राप्त हो, लेकिन क्या अप जानते हैं कि जगन्नाथ रथ यात्रा में शामिल होने से पहले कुछ नियम हैं जिनका पाला करना आवश्यक माना गया है। इन्हीं नियमों में से एक है विशेष स्नान जो यात्रा में शामिल होने से पहले किया जाता है। आइये जानते हैं ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से इस विशेष स्नान के बारे में।
जगन्नाथ रथ यात्रा से पहले क्यों करना चाहिए समुद्र स्नान?
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, समुद्र को पवित्रता का प्रतीक माना जाता है। जगन्नाथ रथ यात्रा में शामिल होने से पहले समुद्र में स्नान करने से व्यक्ति के ज्ञात-अज्ञात सभी पाप धुल जाते हैं। यह माना जाता है कि समुद्र के जल में स्नान करने से आत्मा शुद्ध होती है और व्यक्ति नए सिरे से अपनी आध्यात्मिक यात्रा शुरू कर सकता है।
पुरी का समुद्र, जिसे महादधि भी कहते हैं भगवान जगन्नाथ से जुड़ा हुआ है। ऐसी मान्यता है कि इस पवित्र जल में स्नान करने से भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की विशेष कृपा प्राप्त होती है। यह स्नान भक्तों को दिव्य ऊर्जा से जोड़ता है और उन्हें यात्रा के लिए मानसिक और शारीरिक रूप से तैयार करता है। इससे मोक्ष भी मिल सकता है।
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वैष्णव परंपरा में जगन्नाथ धाम को मोक्षदायिनी माना गया है। रथ यात्रा से पूर्व समुद्र स्नान को मोक्ष प्राप्ति के मार्ग में एक महत्वपूर्ण कदम माना जाता है। यह स्नान आत्मा को सांसारिक बंधनों से मुक्त करने और उसे परमात्मा से जोड़ने में सहायक होता है। पुरी की तीर्थ यात्रा तब तक अधूरी मानी जाती है, जब तक भक्त समुद्र में स्नान न कर लें।
ज्योतिष में जल को शुद्धिकरण का प्रतीक माना जाता है। समुद्र का विशाल जलराशि नकारात्मक ऊर्जाओं और बुरी दृष्टियों को दूर करने में सक्षम मानी जाती है। रथ यात्रा में शामिल होने से पहले समुद्र स्नान करने से व्यक्ति अपने साथ की नकारात्मक ऊर्जा को पीछे छोड़ देता है और सकारात्मक ऊर्जा से भर जाता है, जिससे यात्रा के दौरान उसे किसी भी प्रकार की बाधा का सामना नहीं करना पड़ता।
समुद्र स्नान को विभिन्न ग्रहों के अशुभ प्रभावों को कम करने वाला भी माना जाता है। विशेष रूप से चंद्र ग्रह का संबंध जल से है। समुद्र स्नान से चंद्रमा मजबूत होता है जिससे मन शांत रहता है, मानसिक तनाव कम होता है और एकाग्रता बढ़ती है। यह उन लोगों के लिए विशेष रूप से लाभकारी होता है जिनकी कुंडली में चंद्रमा कमजोर स्थिति में हो।
ज्योतिष के अनुसार, शारीरिक स्वच्छता का सीधा संबंध मानसिक शांति से होता है। समुद्र के खारे पानी में औषधीय गुण भी होते हैं जो त्वचा और शरीर को शुद्ध करते हैं। यह स्नान शरीर को तरोताजा करता है और मानसिक रूप से भी ऊर्जावान बनाता है जिससे भक्त पूरी उत्साह और भक्ति के साथ रथ यात्रा में शामिल हो पाते हैं।
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पवित्र स्थानों पर स्नान और दान-पुण्य करने से व्यक्ति के भाग्य में वृद्धि होती है। जगन्नाथ रथ यात्रा से पहले समुद्र स्नान करने से व्यक्ति का सोया हुआ भाग्य जागृत होता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। यह आत्मिक संतुष्टि प्रदान करता है और जीवन के लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करता है।
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