जगन्नाथ रथ यात्रा अगर किसी वजह से बीच में छोड़नी पड़ जाए तो क्या लगता है दोष?

कई बार ऐसा होता है कि जगन्नाथ रथ यात्रा में शामिल तो लोग हो जाते हैं लेकिन कई बार किसी कारण के चलते यात्रा बीच में ही छोड़नी पड़ जाती है। ऐसे में आइये जानते हैं कि क्या अगर किसी वजह से बीच में छोड़नी पड़ जाए जगन्नाथ रथ यात्रा तो क्या होता है। 
Why Jagannath Temple is closed before Rath Yatra

जगन्नाथ रथ यात्रा हिंदू धर्म का एक बहुत ही महत्वपूर्ण और भव्य पर्व है जो हर साल ओडिशा के पुरी शहर में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इस दौरान भगवान जगन्नाथ, उनके बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा की नगर भ्रमण यात्रा है। मान्यता है कि इस यात्रा में शामिल होकर रथ को खींचने या सिर्फ भगवान के दर्शन करने मात्र से व्यक्ति के सभी पाप मिट जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। वहीं, कई बार ऐसा भी होता है कि रथ यात्रा में शामिल तो लोग हो जाते हैं लेकिन कई बार किसी कारण के चलते यात्रा बीच में ही छोड़नी पड़ जाती है। ऐसे में ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से आइये जानते हैं कि क्या अगर किसी वजह से बीच में छोड़नी पड़ जाए जगन्नाथ रथ यात्रा तो क्या होता है।

जगन्नाथ रथ यात्रा बीच में छोड़ने से क्या होता है?

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अगर आप जगन्नाथ रथ यात्रा में शामिल हुए हैं और किसी अप्रत्याशित या मजबूरी की स्थिति के कारण आपको यात्रा बीच में छोड़नी पड़ती है तो इसे सीधे तौर पर 'दोष' नहीं माना जाता। भगवान जगन्नाथ अत्यंत कृपालु हैं और वे अपने भक्तों की परिस्थितियों को समझते हैं। ऐसे में यह माना जाता है कि आपको यात्रा में शामिल होने का जो पुण्य मिलना था, उसमें शायद थोड़ी कमी आ सकती है, लेकिन कोई बड़ा नकारात्मक दोष नहीं लगता।

Jagannath 3 Rath name

ईश्वर के प्रति आपकी सच्ची श्रद्धा और निष्ठा सबसे महत्वपूर्ण है। यदि आप पूरी भक्ति और सम्मान के साथ यात्रा में शामिल हुए हैं और किसी वास्तविक मजबूरी जैसे स्वास्थ्य समस्या, आपातकाल या अप्रत्याशित बाधा के कारण यात्रा पूरी नहीं कर पाए हैं तो भगवान आपकी भावनाओं को समझते हैं। वे आपके प्रयास और समर्पण को महत्व देते हैं। स्कंद पुराण जैसे ग्रंथों में रथ यात्रा में शामिल होने के महत्व का वर्णन है कि जो व्यक्ति जगन्नाथ जी के नाम का कीर्तन करते हुए गुंडीचा नगर तक जाता है वह पुनर्जन्म चक्र से मुक्त हो जाता है।

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यह पूर्ण यात्रा का फल बताता है लेकिन बीच में छोड़ने पर किसी विशिष्ट दंड का उल्लेख आमतौर पर नहीं मिलता। ज्योतिष में किसी भी कार्य के पूर्ण होने या बाधित होने में ग्रहों की स्थिति और व्यक्ति की कुंडली का प्रभाव देखा जाता है। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में कोई ग्रह बाधा है या अप्रत्याशित घटनाओं के योग बन रहे हैं तो ऐसी परिस्थितियां उत्पन्न हो सकती हैं जो उन्हें यात्रा बीच में छोड़ने पर मजबूर करें। इसे व्यक्तिगत ग्रह दशा का प्रभाव माना जा सकता है, न कि यात्रा छोड़ने का दोष।

Jagannath Puri

ज्योतिष में किसी भी शुभ कार्य को अधूरा छोड़ने से कभी-कभी मानसिक बेचैनी या कार्य सिद्धि में देरी जैसे छोटे-मोटे प्रभाव देखे जा सकते हैं, लेकिन जगन्नाथ रथ यात्रा जैसी परम पवित्र यात्रा को बीच में छोड़ने से कोई गंभीर ज्योतिषीय 'दोष' लगने की धारणा नहीं है खासकर जब यह मजबूरी में हो। यदि आपको जगन्नाथ रथ यात्रा बीच में छोड़नी पड़े, तो आप कुछ चीजें कर सकते हैं ताकि मन में कोई संशय या मलाल न रहे। भगवान जगन्नाथ से अपनी स्थिति बताते हुए क्षमा याचना करें कि आप अपनी इच्छा के बावजूद यात्रा पूरी नहीं कर पाए।

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जहां तक संभव हो यात्रा को मानसिक रूप से पूरा करने का संकल्प लें या भविष्य में जब भी मौका मिले तब पूरी यात्रा करने का इरादा रखें। अपनी क्षमतानुसार दान-पुण्य करें या गरीबों को भोजन कराएं। यह शुभ कर्मों को बढ़ाता है और मन को शांति देता है। यात्रा अगर बीच में छोडनी पड़ गई है तो ऐसे में मन में 'ॐ जगन्नाथाय नमः' मंत्र का जाप करते रहें। शास्त्रों में बताया गया है कि कैसा भी दोष हो नाम जाप से चला जाता है तो जगन्नाथ भगवान के मंत्र या नाम का जाप करना श्रेष्ठ है।

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Image credit: herzindagi

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FAQ

  • जगन्नाथ रथ यात्रा के दौरान किस जगह रुकता है रथ? 

    भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा उत्सव के दौरान गुंडिचा मंदिर में रहते हैं जबकि माता लक्ष्मी पुरी के मुख्य मंदिर में रहती हैं।