हिंदू धर्म में हर दिन किसी न किसी देवी-देवता की पूजा की जाती है। बुधवार का दिन भगवान गणेश को समर्पित है। इस दिन गणपति जी की पूजा-अर्चना होती है। मान्यता है कि जो जातक बुध ग्रह से पीड़ित हैं, उनके लिए बुधवार को विघ्नहर्ता गणपति की विधि-विधान से पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है। ऐसा करने से जीवन के सभी दुख-दर्द समाप्त होते हैं और भगवान गणेश का आशीर्वाद प्राप्त होता है। गणेश चालीसा के नियमित पाठ से घर में सुख-शांति बनी रहती है। भगवान गणेश अपने भक्तों की स्वयं रक्षा करते हैं, जिससे कोई भी उन्हें नुकसान नहीं पहुंचा पाता और वे भक्तों के शत्रुओं का विनाश कर देते हैं। यदि आपके विवाह में कोई बाधा आ रही है, तो गणेश चालीसा का पाठ उसके निवारण में भी सहायक होता है। साथ ही, इसके पाठ और गणपति की कृपा से बुध दोष भी दूर होता है। इसके अतिरिक्त, गणेश चालीसा के पाठ से धन की प्राप्ति, विद्या में वृद्धि और सभी प्रकार के रोग-दोषों से मुक्ति मिलती है।
श्री गणेश विघ्नहर्ता और समस्त देवों में प्रथम पूज्य हैं। उन्हें रिद्धि सिद्धि का दाता माना जाता है और यह विश्वास है कि उनके आशीर्वाद के बिना न तो धन प्राप्त होता है और न ही जीवन में सुख-समृद्धि आती है। वे अपने भक्तों को मुसीबतों से दूर रखते हैं, जिससे उनके सभी कार्य सफल होते हैं। भक्तों और पुरोहितों के अनुसार, नियमित गणेश चालीसा का पाठ करने से सात प्रमुख लाभ होते हैं, जो जीवन को सकारात्मक रूप से प्रभावित करते हैं।
बुधवार के दिन गणेश चालीसा का पाठ करना बेहद शुभ और फलदायी माना जाता है। इस चालीसा के हर शब्द में भगवान गणेश की अद्भुत कृपा और शक्ति का सार समाहित है। नियमित रूप से, खासकर हर बुधवार को इसका पाठ करने से जीवन की सभी बाधाएं दूर हो सकती हैं और तरक्की के नए रास्ते खुल सकते हैं। आइए, ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से जानते हैं कि बुधवार के दिन गणेश चालीसा का पाठ करने से आपको क्या-क्या लाभ मिल सकते हैं?
बुधवार के दिन करें गणेश चालीसा का पाठ (Shri Ganesh Chalisa Path)
बुधवार के दिन गणेश चालीसा का पाठ विधिवत रूप से करें और हर चौपाई पढ़ने के बाद भगवान गणेश को दुर्वा जरूर चढ़ाएं।
॥ दोहा ॥
जय गणपति सदगुण सदन, कविवर बदन कृपाल।
विघ्न हरण मंगल करण, जय जय गिरिजालाल॥
॥ चौपाई ॥
जय जय जय गणपति गणराजू।
मंगल भरण करण शुभ काजू॥
जै गजबदन सदन सुखदाता।
विश्व विनायक बुद्धि विधाता॥
वक्र तुण्ड शुचि शुण्ड सुहावन।
तिलक त्रिपुण्ड भाल मन भावन॥
राजत मणि मुक्तन उर माला।
स्वर्ण मुकुट शिर नयन विशाला॥
पुस्तक पाणि कुठार त्रिशूलं।
मोदक भोग सुगन्धित फूलं॥
सुन्दर पीताम्बर तन साजित।
चरण पादुका मुनि मन राजित॥
धनि शिवसुवन षडानन भ्राता।
गौरी ललन विश्व-विख्याता॥
ऋद्धि सिद्धि तव चंवर सुधारे।
मूषक वाहन सोहत द्वारे॥
कहो जन्म शुभ कथा तुम्हारी।
अति शुचि पावन मंगलकारी॥
एक समय गिरिराज कुमारी।
पुत्र हेतु तप कीन्ह भारी॥
भयो यज्ञ जब पूर्ण अनूपा।
तब पहुंच्यो तुम धरि द्विज रूपा॥
अतिथि जानि कै गौरी सुखारी।
बहु विधि सेवा करी तुम्हारी॥
अति प्रसन्न ह्वै तुम वर दीन्हा।
मातु पुत्र हित जो तप कीन्हा॥
मिलहि पुत्र तुहि, बुद्धि विशाला।
बिना गर्भ धारण यहि काला॥
गणनायक गुण ज्ञान निधाना।
पूजित प्रथम रूप भगवाना॥
अस कहि अन्तर्धान रूप ह्वै।
पलना पर बालक स्वरूप ह्वै॥
बनि शिशु रुदन जबहिं तुम ठाना।
लखि मुख सुख नहिं गौरि समाना॥
सकल मगन, सुखमंगल गावहिं।
नभ ते सुरन, सुमन वर्षावहिं॥
शम्भु, उमा, बहु दान लुटावहिं।
सुर मुनिजन, सुत देखन आवहिं॥
लखि अति आनन्द मंगल साजा।
देखन भी आये शनि राजा॥
निज अवगुण गुनि शनि मन माहीं।
बालक, देखन चाहत नाहीं॥
गिरिजा कछु मन भेद बढ़ायो।
उत्सव मोर, न शनि तुहि भायो॥
कहन लगे शनि, मन सकुचाई।
का करिहौ, शिशु मोहि दिखाई॥
नहिं विश्वास, उमा उर भयऊ।
शनि सों बालक देखन कह्यऊ॥
पड़तहिं, शनि दृग कोण प्रकाशा।
बालक सिर उड़ि गयो आकाशा॥
गिरिजा गिरीं विकल ह्वै धरणी।
सो दुख दशा गयो नहीं वरणी॥
हाहाकार मच्यो कैलाशा।
शनि कीन्हो लखि सुत को नाशा॥
तुरत गरुड़ चढ़ि विष्णु सिधायो।
काटि चक्र सो गज शिर लाये॥
बालक के धड़ ऊपर धारयो।
प्राण, मंत्र पढ़ि शंकर डारयो॥
नाम गणेश शम्भु तब कीन्हे।
प्रथम पूज्य बुद्धि निधि, वन दीन्हे॥
बुद्धि परीक्षा जब शिव कीन्हा।
पृथ्वी कर प्रदक्षिणा लीन्हा॥
चले षडानन, भरमि भुलाई।
रचे बैठ तुम बुद्धि उपाई॥
चरण मातु-पितु के धर लीन्हें।
तिनके सात प्रदक्षिण कीन्हें॥
धनि गणेश कहि शिव हिय हरषे।
नभ ते सुरन सुमन बहु बरसे॥
तुम्हरी महिमा बुद्धि बड़ाई।
शेष सहसमुख सके न गाई॥
मैं मतिहीन मलीन दुखारी।
करहुं कौन विधि विनय तुम्हारी॥
भजत रामसुन्दर प्रभुदासा।
जग प्रयाग, ककरा, दुर्वासा॥
अब प्रभु दया दीन पर कीजै।
अपनी शक्ति भक्ति कुछ दीजै॥
॥ दोहा ॥
श्री गणेश यह चालीसा, पाठ करै कर ध्यान।
नित नव मंगल गृह बसै, लहे जगत सन्मान॥
सम्वत अपन सहस्त्र दश, ऋषि पंचमी दिनेश।
पूरण चालीसा भयो, मंगल मूर्ति गणेश॥
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बुधवार के दिन गणेश चालीसा का पाठ करने का महत्व
बुधवार का दिन भगवान गणेश को समर्पित है और ज्योतिष शास्त्र में बुध ग्रह का भी इस दिन विशेष महत्व है। बुध बुद्धि, वाणी और व्यापार का कारक ग्रह है। गणेश जी को बुद्धि और ज्ञान का देवता माना जाता है। इसलिए, इस दिन गणेश चालीसा का पाठ करने से बुध ग्रह मजबूत होता है और व्यक्ति को बुद्धि, विद्या और व्यापार में सफलता मिलती है। भगवान गणेश को विघ्नहर्ता कहा जाता है, जिसका अर्थ है सभी बाधाओं को दूर करने वाला। बुधवार के दिन गणेश चालीसा का पाठ करने से जीवन में आने वाली सभी प्रकार की बाधाएं, परेशानियां और संकट दूर होते हैं।
गणेश चालीसा पाठ की विधि (Ganesh chalisa Path vidhi)
बुधवार के दिन भगवान गणेश की कृपा प्राप्त करने के लिए गणेश चालीसा का पाठ विशेष फलदायी होता है। पाठ शुरू करने से पहले, कुछ नियमों का पालन करना महत्वपूर्ण है ताकि आपको इसका अधिकतम लाभ मिल सके। सबसे पहले, बुधवार की सुबह स्नान करके स्वयं को शुद्ध करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद, पूजा स्थल पर गणेश जी की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें। अब, भगवान गणेश की पंचोपचार विधि से पूजा करें। इसमें उन्हें दूर्वा, सुगंधित पुष्प और उनका प्रिय भोग जैसे मोदक या लड्डू अर्पित करें।
गणेश चालीसा का पाठ करते समय अपनी दिशा का भी ध्यान रखें। पाठ के लिए पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें, क्योंकि इन दिशाओं को शुभ माना जाता है। पाठ शुरू करने से पहले, भगवान शिव, माता पार्वती और स्वयं भगवान गणेश का ध्यान करें। एकाग्र मन से उनका स्मरण करते हुए चालीसा का पाठ प्रारंभ करें। यह विधि आपके पाठ को अधिक प्रभावशाली बनाएगी और आपको भगवान गणेश का पूर्ण आशीर्वाद प्राप्त होगा।
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Image Credit- HerZindagi
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