हिन्दू धर्म गेंथों में हर एक परिस्थिति से जुड़े प्रश्नों का उत्तर और उस परिस्थिति से बाहर आने का समाधान बताया गया है, बस जरूरत है तो धर्म शास्त्रों का सही रूप से ध्ययन करने की। इसी कड़ी में भागवात पुराण में एक उल्लेख मिलता है भागकर विवाह करने से जुड़ा। असल में आज के समय में भागकर शादी करना ही पहले के समय में गंधर्व विवाह कहलाता था। ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स ने हमें बताया कि जब श्री कृष्ण देवी रुक्मणि के साथ विवाह हेतु उन्हें लेकर भागे थे तब देवी रुक्मणि ने श्री कृष्ण से यह प्रश्न पूछा था कि इस प्रकार माता-पिता की आज्ञा के बिना गंधर्व विवाह करना यानि कि भागकर शादी करना उचित है, तब श्री कृष्ण ने कुछ तथ्यों के साथ इस बात का उत्तर उन्हें दिया था। ऐसे में आइये जानते हैं कि धर्म के अनुसार, भागकर शादी करना सही है या गलत।
धर्म के अनुसार भागकर शादी करना सही है या गलत?
रुक्मिणी विदर्भ देश के राजा भीष्मक की पुत्री थीं और मन ही मन भगवान कृष्ण को अपना पति मान चुकी थीं। उन्होंने कृष्ण के गुणों और पराक्रम के बारे में सुना था और उनसे प्रेम करती थीं। हालांकि, रुक्मिणी का भाई रुक्मी अपनी बहन का विवाह चेदिराज शिशुपाल से कराना चाहता था जो श्री कृष्ण का घोर विरोधी था।
रुक्मिणी इस विवाह से अत्यंत दुखी थीं और उन्होंने श्री कृष्ण को एक ब्राह्मण के माध्यम से संदेश भेजा था जिसमें उन्होंने अपनी पीड़ा को व्यक्त करते हुए श्री कृष्ण से कहा था कि वे उनका हरण कर लें। देवी रुक्मणि ने संदेश में यह भी लिखा था कि अगर श्री कृष्ण उन्हें पत्नी रूप में स्वीकार नहीं करेंगे तो वह अपने प्राण त्याग देंगी।
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श्री कृष्ण ने रुक्मिणी के संदेश को गंभीरता से लिया। वे जानते थे कि रुक्मिणी का प्रेम सच्चा है और उनकी इच्छा के विरुद्ध उन्हें किसी और से विवाह करने के लिए मजबूर करना अधर्म होगा। इसलिए, उन्होंने रुक्मिणी के अनुरोध पर उन्हें मां अंबा के मंदिर से ही हरण कर लिया। इस प्रकार के विवाह को गंधर्व विवाह कहा गया।
श्री कृष्ण का यह कदम धर्म की रक्षा और देवी रुक्मणि की इच्छा पूर्ति के लिए था। उन्होंने देखा कि रुक्मिणी का प्रेम पवित्र है और उन्हें अन्यायपूर्ण तरीके से जबरदस्ती किसी अवांछित व्यक्ति से वैवाहिक संबंध में बांधा जा रहा है। ऐसे में, उन्होंने हस्तक्षेप करना उचित समझा। अब जानते हैं कि श्री कृष्ण का भागकर शादी करने पर क्या तर्क है।
श्री कृष्ण ने देवी रुक्मणि के प्रश्न का उत्तर देते हुए बताया कि यदि प्रेम सच्चा हो और व्यक्ति की इच्छा शुद्ध हो तो समाज की कुछ स्थापित रूढ़ियों को तोड़ना भी धर्म सम्मत होता है, विशेषकर जब व्यक्ति पर अन्याय हो रहा हो। अगर कन्या की पूर्ण रूप से सहमती है तो उसके साथ गंधर्व विवाह यानी कि भागकर शादी करना उचित है।
यदि किसी व्यक्ति को जबरदस्ती किसी ऐसे रिश्ते में बांधा जा रहा हो, जो उसकी इच्छा के विरुद्ध हो और जहां उसका अहित हो रहा हो तो उस व्यक्ति को बचाने के लिए हस्तक्षेप करना उचित है। यह बात सिर्फ किसी लड़की पर नहीं बल्कि लड़के पर भी मान्य है। लड़का या लड़की किसी का भी विवाह उसकी इच्छा के विरुद्ध अपराध है।
ये अपराध माता-पिता को भोगना पड़ता है, ऐसे में भागकर की गई शादी से माता-पिता पर लगने वाला ये अपराध और इसका दंड बच्चों के इस कदम से नष्ट हो जाता है और माता-पिता को किसी भी अपराध का पाप फल नहीं भोगना पड़ता है। हालांकि भागकर शादी करना तब उचित है जब लड़की और लड़के दोनों की सहमती हो।
देवी रुक्मिणी का हरण इसलिए उचित था क्योंकि वे कृष्ण से प्रेम करती थीं और शिशुपाल से विवाह नहीं करना चाहती थीं। यह एक अन्यायपूर्ण और बाध्यकारी स्थिति थी जिससे उन्हें श्री कृष्ण ने मुक्त किया और उनके प्रेम को स्वीकार किया। हालांकि आज के समय में चूंकि कानून भी है तो तय उम्र के तहत इस कदम को उठाना उचित है।
इस बात को समझना भी जरूरी है कि श्री कृष्ण द्वारा रुक्मणि का हरण इसलिए सही है क्योंकि यहां न सिर्फ कन्या ने कृष्ण से प्रेम किया बल्कि श्री कृष्ण से विवाह के पश्चात आजीवन उस प्रेम को निभाया भी और श्री कृष्ण की ओर से भी देवी रुक्मणि को अपार प्रेम और सम्मान मिला। इसके अलावा एक और तर्क भी शास्त्रों में मौजूद है।
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धर्म शास्त्र भी कहते हैं कि प्रेम पवित्र और प्रगाड़ है तो संसार ही क्या भगवान से भी उस प्रेम को पाने हेतु लड़ जाना चाहिए, भाग्य में न लिखा हुआ व्यक्ति भी भगवान भी प्रेम की शक्ति के आगे झुककर दे देते हैं। हां, लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि भागकर शादी करने के बाद यह जरूरी है कि लड़का-लड़की आजीवन के लिए एक दूसरे के पूरक बनकर रहें।
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image credit: herzindagi
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