आज के समय में हर किसी की लाइफ बहुत ही स्ट्रेसफुल होती जा रही है। खासतौर से, महिलाओं को एक साथ बहुत सी चीजों को संभालना पड़ता है। घर-परिवार से लेकर ऑफिस की डेडलाइन तक, हर चीज मैनेज करते-करते मेंटल हेल्थ पर नेगेटिव असर पड़ने लगता है। अमूमन यह देखने में आता है कि लोग अपना सारा वक्त सिर्फ और सिर्फ काम को ही देते हैं। खुद के लिए समय निकालना उन्हें खुदगर्जी लगता है। हो सकता है कि आप भी अपना सारा समय सिर्फ और सिर्फ घर-परिवार या काम को ही देते हों। लेकिन इन सबके बीच भी आपको अपने लिए समय जरूर निकालना चाहिए।
मी टाइम में आप वो सब कर सकती हैं, जो आपको करना बेहद पसंद हो। मसलन, आप चाहें तो कुछ वक्त अकेले बैठकर चाय पी सकते हैं, या फिर डायरी लिख सकते हैं, गाने सुन सकते हैं या फिर अकेले स्पा एन्जॉय कर सकते हैं। ये छोटे-छोटे सुकून के पल ना केवल दिमाग को चार्ज करते हैं, बल्कि अन्य भी कई तरीकों से भी फायदा पहुंचाते हैं। तो चलिए आज इस लेख में हम आपको बता रहे हैं कि मी टाइम आपकी मेंटल हेल्थ को किस-किस तरह फायदा पहुंचा सकता है-
स्ट्रेस हार्मोन होता है कम
जब आप खुद के लिए मी टाइम निकालते हैं तो ऐसे में स्ट्रेस हार्मोन काफी हद तक कम होता है। क्योंकि यह एक ऐसा वक्त होता है, जब आप किसी भी चीज या काम के बारे में नहीं सोच रहे होते हैं, बल्कि खुद को फिजिकली और मेंटली रिलैक्स करते हैं। जिसकी वजह से ऐसा लगता है मानो ज़िंदगी के शोर पर थोड़ा ब्रेक लग गया हो। इस समय हमेशा एक्टिव मोड में रहने वाला दिमाग शांत होता है। साइकोसोमैटिक मेडिसिन में छपी एक स्टडी बताती है कि जो लोग अकेले रहकर माइंडफुलनेस जैसी टेक्निक अपनाते हैं, उनमें स्ट्रेस हार्मोन काफी घटता है और मूड अच्छा होता है।
मिलती है मेंटल क्लीयेरिटी
जब आप मी टाइम निकालते हैं तो इससे आपको काफी हद तक मेंटल क्लीयेरिटी भी मिलती है। दरअसल, जब आप दिनभर काम करते हैं तो ऐसे में आपके आसपास हर वक्त नोटिफिकेशन, आवाज़ें और मैसेज चलते रहते हैं। जिससे आपका दिमाग हरवक्त बिजी रहता है। लेकिन जब आप अकेले में समय बिताया जाता है तो इससे आपका दिमाग एकतरह से डिटॉक्स होता है। ऐसे में आपको यह समझ में आता है कि आपको क्या करना है। फ्रंटियर इन साइकोलॉजी में छपी स्टडी के अनुसार, अकेले में सोच-विचार करने से भावनाओं को संभालने की क्षमता और प्रॉब्लम सॉल्विंग स्किल्स बेहतर होती हैं।
बढ़ती है भावनात्मक समझ
जब आप मी टाइम निकालते हैं और खुद के साथ अकेले समय निकालते हैं तो इससे आपकी भावनात्मक समझ भी काफी बढ़ती है। दरअसल, उस समय आप अपने मन से पूछ पाते हो कि आप ऐसा क्यों महसूस कर रहे हैं या आपको सच में खुद के लिए क्या चाहिए। इस तरह के सवाल आपकी इमोशनल इंटेलिजेंस को बढ़ाते हैं। इमोशनल इंटेलिजेंस के एक्सपर्ट डैनियल गोलेमैन के अनुसार, खुद को समझने की प्रक्रिया शांति और अकेलेपन में बेहतर होती है।
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