
अक्सर महिलाओं को ट्रेन में चलते हुए कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ट्रेन में सफर करते हुए साफ-सफाई से लेकर यात्री सुविधाओं तक कई तरह की चुनौतियां महिलाओं के सामने आती हैं। ऐसे में वे अकेले बाहर आने जाने से परहेज करती हैं। लेकिन देश की पहली बिना इंजन वाली ट्रेन 18 में सफर करने के बाद महिलाओं का ट्रेन में सफर करने का अनुभव पूरी तरह से बदल जाएगा।
जनवरी 2019 में भारतीय रेलवे की पहली बिना इंजन वाली ट्रेन 18 देश की सबसे तेज चलने वाली शताब्दी एक्सप्रेस की जगह ले सकती है। यह बदलाव इस लिहाज से भी खास हो जाता है कि दिल्ली भोपाल शताब्दी एक्सप्रेस का आखिरी स्टेशन हबीबगंज रेलवे स्टेशन होगा, जिसे वर्ल्ड क्लास ट्रांजिट हब की तरह तैयार किया जा रहा है। यह ट्रेन भारतीय रेलवे की पहली वर्ल्ड क्लास सेमी हाई स्पीड ट्रेन होगी। चेन्नई की इंटीगरल कोच फैक्ट्री ( आईसीएफ ) में बनी ट्रेन 18 की अगले कुछ महीनों तक आरडीएसओ की तरफ से एक्सटेंसिव टेस्टिंग की जाएगी और इसके बाद यह दिल्ली भोपाल रूट पर सरपट दौड़ने लगेगी। आईसीएफ का दावा है कि यह ट्रेन महज 18-20 दिनों में बनकर तैयार हो गई, जो देश में आयातित ट्रेन्स की आधी कीमत में बनकर तैयार हो गई। हाल ही में रेलवे मिनिस्टर पियूष गोयल ने हबीबगंज रेलवे स्टेशन का दौरा किया और वहां हुए विकास कार्यों का जायजा लिया।

इस ट्रेन में यात्रियों की सुविधा के लिए बहुत से यूरोपियन स्टाइल के फीचर्स हैं जैसे कि पर्सनलाइज्ड रीडिंग लाइट्स, हर सीट के पास मोबाइल चार्जिंग पॉइंट्स, डिफ्यूज्ड एलईडी लाइटिंग, बाहर के नजारे देखने के लिए खिड़कियां, बायोवैक्यूम टॉयलेट्स, स्लाइडिंग फुटस्टेप्स और एक मिनी पैंट्री। इसकी कुछ और स्पेशेलिटीज भी हैं मसलन -

हबीबगंज रेलवे स्टेशन देश का पहला ऐसा रेलवे स्टेशन होगा, जो पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप ( पीपीपी ) पर तैयार किया गया है। यह पूरा प्रोजेक्ट 450 करोड़ रुपये का है, जिसमें 100 करोड़ रुपये स्टेशन के रीडेवलपमेंट और 350 करोड़ कमर्शियल डेवलपमेंट पर खर्च किए जा रहे हैं। नए हबीबगंज रेलवे स्टेशन पर कॉनकोर्स एरिया किसी हवाई अड्डे जैसा लुक देगा, जिसमें रीटेल आउटलेट और फूड प्लाजा होंगे। इसमें एक ग्लास डोम स्ट्रक्चर होगा, शानदार वेटिंग लाउंज और साफ-सुथरे टॉयलेट्स होंगे। साथ ही यहां वीडियोगेम जोन और वर्चुअल म्यूजियम बनाने के बारे में भी सोचा जा रहा है।
ट्रेन 18 के बाद मेक इन इंडिया के तहत ट्रेन 20 लाने की तैयारी भी की जा रही है। यह पूरी तरह से एसी से लैस होगी, हर कोच एक-दूसरे से कनेक्टेड होगा। स्टेनलेस स्टील बॉडी वाली इस ट्रेन का डिजाइन आईसीएफ ने तैयार किया है। इसमें भी पैसेंजर सुविधाओं का विशेष खयाल रखा गया है जैसे कि वाईफाई, एलईडी लाइट, पैसेंजर इन्फर्मेशन सिस्टम और पूरे कोच में दोनों दिशाओं में एक बड़ी सी खिड़की आदि। सूत्रों का मानना है कि यह ट्रेन चेयर कार होगी। गौरतलब है कि ट्रेन-18 के बाद ट्रेन-20 की तैयारी की जाएगी।
आईसीएफ के विशिष्ट सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार दूसरे सेट के लिए काम शुरू हो चुका है। दूसरा ट्रेन सेट मुंबई को मिलने की उम्मीद है और संभवतया इसे मुंबई-अहमदाबाद के बीच इसे चलाया जाएगा। यह तथ्य है कि अगले साल 8 राज्यों में चुनाव होने को हैं। पहला ट्रेन सेट उन्हीं में से किसी एक राज्य में चलाए जाने के लिए हरी झंडी दी जा सकती है। सूत्रों के अनुसार यात्रा के दौरान इलेक्ट्रिकल से लोकोमोटिव बदलने में काफी वक्त बर्बाद हो जाता है। इस ट्रेन में लोकोमोटिव बदलने की समस्या नहीं है, जिससे टाइम बचेगा।
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