ब्यास नदी के किनारे बसा हुआ छोटा सा नगर मंडी हिमाचल प्रदेश में सैलानियों को बहुत ही आकर्षित करता है। इस जगह का प्राकृतिक सौंदर्य तो अनुपम है ही, साथ ही यह एक महत्वपूर्ण धार्मिक व सांस्कृतिक केन्द्र भी है। पर्यटन की दृष्टि से इस नगर को बेहद ही महत्वपूर्ण माना जाता है। वैसे तो यहां आने वाले सैलानी मंडी की कई खूबसूरत झीलों में घूमना पसंद करते हैं, लेकिन आपका मंडी का दौरा तब तक पूरा नहीं होता, जब तक आप यहां के मंदिरों की यात्रा ना कर लें। इस स्थान के धार्मिक महत्व का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसे छोटी काशी या हिमाचल की काशी के रूप में भी पुकारा जाता है। ऐसा माना जाता है कि महान संत मांडव ने यहां पर तपस्या की थी और उनके तप के कारण यहां की चट्टानें काली हो गई थीं। संत मांडव के नाम पर ही इस स्थान का नाम भी रखा गया। इस छोटे से नगर में करीबन 81 ओल्ड स्टोन मंदिर है और उनमें की गई नक्काशी बेहद ही शानदार है। तो चलिए आज हम आपको मंडी में स्थित कुछ मंदिरों के बारे में बता रहे हैं-
मंडी कई पुराने मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है और शिकारी देवीनिश्चित रूप से उनमें से एक है। मुख्य शहर से दूर, समुद्र तल से 3332 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह मंदिर शोर-शराबे से भी दूर है। यह मंदिर पत्थर की छवि के रूप में शिकारी देवी को समर्पित है और इसकी छत नहीं है। अगर आप मंदिर जाएं तो यहां पर बैठकर सूर्योदय और सूर्यास्त का भी अद्भुत नजारा देख सकती हैं।
राजा अजबर सेन द्वारा निर्मित, यह मंदिर शहर के केंद्र में स्थित है और मंडी के पर्यटन स्थलों की सूची में एक लोकप्रिय नाम है। मंदिर में शिव की सुंदर मूर्तियां, नंदी, प्रवेश द्वार, और मंडप आदि हैं। यहां पर शिवरात्रि की एक अलग ही धूम देखने को मिलती है।
मंडी में घूमने के लिए सबसे अच्छी जगहों में, कामाक्षा देवी मंदिरदेवी दुर्गा को समर्पित है। यह एक लकड़ी का मंदिर है। मंदिर में पांडव काल की मूर्तियां मौजूद हैं। ये मूर्तियां अष्टधातु की बनी हुई हैं। स्थानीय लोगों का मानना है कि देवी के द्वारा राक्षस महिसासुर को भैंस होने का श्राप इसी जगह पर दिया गया था। यही कारण है कि कुछ समय पहले तक नवरात्रि के दौरान भैंस की बहुत कुर्बानी दी जाती थी। लेकिन हाईकोर्ट के आदेशर के बाद हिमाचल में बलि प्रथा पर रोक लगा दी गई।
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राजा अजबर सेन की पत्नी सुल्तान देवी द्वारा 1520 ईस्वी में निर्मित त्रिलोकनाथ मंदिर अभी तक मंडी में एक और आकर्षक मंदिर है। यहां शिव भगवान, पार्वती, देवी शारदा, नारद और अन्य हिंदू देवताओं की मूर्तियां हैं। इतना ही नहीं, यहां भगवान शिव को तीनों लोकों के भगवान के रूप में चित्रित किया गया है। शहर के सबसे पुराने मंदिरों में से एक के रूप में जाना जाता है। इस मंदिर का निर्माण नागरी शैली में किया गया था। मंदिर में स्थित भगवान शिव की मूर्ति पंचाननहै जो उनके पांच रूपों को दिखाती है। यह मंदिर निश्चित रूप से मंडी में सबसे अधिक देखी जाने वाली जगहों में से एक है।
यह मंदिर भी अपना एक अलग ऐतिहासिक व धार्मिक महत्व रखता है। यह मंदिर भगवान शिव की पत्नी सती को समर्पित है। इस मंदिर की स्थापना टारना पहाड़ी पर की गई थी। इसी कारण आज के समय में लोग इसे टारना देवी मंदिर कहकर भी पुकारते है। यह मंदिर मंडी में स्थित प्राचीन मंदिरों में से एक है, जिसका निर्माण राजा श्याम सेनने 1658 ई० में करवाया था। ऐसा माना जाता है कि राजा श्याम सेन ने अपने वारिस के पैदा होने की खुशी में और देवी को धन्यवाद देने के लिए इस मंदिर का निर्माण करवाया था।
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मंडी में भीमाकाली मंदिर एक और प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है। दुर्गा के अवतार, भीम काली को समर्पित, मंदिर की वास्तुकला शानदार लकड़ी की नक्काशी को प्रदर्शित करती है। ब्यास के किनारे स्थित इस मंदिर में हिंदू देवताओं और देवी देवताओं की विशेष तस्वीरों प्रस्तुत करते हुए मंदिर के अंदर एक बड़ा म्यूजियम भी है।
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Image credit- travel website and social media
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