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why was rice chosen for puja akshat as per astrology

सप्तधान्य में से आखिर चावल को ही क्यों अक्षत के रूप में चुना गया? ज्योतिष से जानें कारण

भगवान के पूजा-पाठ से लेकर कन्या पूजन के लिए चावल को अक्षत के रूप में प्रयोग किया जाता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि सप्तधान्य में केवल चावल को ही अक्षत के लिए क्यों चुना गया है। चलिए ज्योतिष से जानते हैं कि इसके पीछे का कारण क्या है-
Editorial
Updated:- 2025-02-20, 15:07 IST

हिंदू धर्म में भगवान को पूजा में चावल यानी अक्षत अर्पित करना शुभ माना जाता है। साथ ही इसे आर्शीवाद और पुण्य के रूप में देखा जाता है। चावल का उपयोग पूजा में शक्ति, समृद्धि और शांति को आकर्षित करने के लिए किया जाता है। अक्षत को शुद्ध और सम्पूर्णता का प्रतीक माना जाता है, जो भगवान के साथ भक्त के रिश्ते को मजबूत बनाता है। संस्कृत में अक्षत का अर्थ होता है जो कटा या टूटे नहीं यानी ऐसा वस्तु जो सम्पूर्ण और अपरिवर्तित हो। चावल के दाने का आकार और डिजाइन कुछ इसी प्रकार होता है।

दिमाग में एक सवाल जो आता है कि हमारी प्रकृति कई ऐसे अनाज हैं, जो सम्पूर्ण होते हैं। इसके बावजूद सप्तधान्य में केवल चावल को ही अक्षत के रूप में क्यों चुना गया है। चलिए आचार्य उदित नारायण त्रिपाठी से जानते हैं कि आखिर ऐसा क्यों और इसके पीछे का कारण क्या है।

चावल को अक्षत के लिए क्यों चुना गया?

Why is akshat used in pooja

पूजा-पाठ में चढ़ाया जाने वाला अक्षत, चावल को ही क्यों चुना गया। इसे लेकर जब हमने आचार्या उदित नारायण त्रिपाठी से पूछा तो उन्होंने बताया कि चावल को शुद्ध अनाज माना जाता है। इसके पीछे का मुख्य कारण यह है कि चावल धान के अंदर बंद होता है, जिसे कोई भी पशु-पक्षी जूठा नहीं कर पाते हैं। वहीं इसके अलावा एक यह भी मान्यता लंबे अरसे से चली आ रही है, कि प्रकृति में पहली खेती चावल की हुई थी। उस समय श्रद्धालु अपने भगवान चावल यानी अक्षत अर्पित करते थे, जो परंपरा आज भी चली आ रही है।वहीं गेहूं और दाल को छिलके से जब अलग किया जाता है, तो उनका खंडन यानी वे टूट जाते हैं। यहीं कारण है कि इन अनाज को अक्षत स्वरूप नहीं चुना गया है।

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अक्षत का महत्व

शिव और देवी पार्वती की पूजा में महत्व

चावल को अक्षत कहा जाता है, जिसका अर्थ है जिसे काटा न गया हो सकता है। चावल का यह रूप भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा में विशेष रूप से इस्तेमाल किया जाता है क्योंकि यह शुद्धता और सम्पन्नता का प्रतीक है। अक्षत का अर्थ है अखंड, जो पूजा के दौरान पूरे और शुद्ध रूप में चढ़ाया जाता है।

धन और समृद्धि का प्रतीक

Why is rice used in pooja

चावल का उपयोग विशेष रूप से गृह प्रवेश, विवाह जैसे शुभ अवसरों पर किया जाता है। यह अनाज शुभता का प्रतीक माना जाता है, जो परिवार के जीवन में सुख-शांति और समृद्धि लाता है। ज्योतिष के अनुसार, चावल के बिना कोई भी धार्मिक कार्य अधूरा होता है, क्योंकि यह समृद्धि और पुण्य को आकर्षित करता है। ज्योतिष के अनुसार, चावल का सफेद रंग भी शांति और दिव्यता का प्रतीक है। साथ ही चावल में एसी ऊर्जा है, जो किसी भी कार्य में विघ्न डालने वाली नकारात्मक शक्तियों को दूर करने का कार्य करती है।

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