significance of clay pot on karwa chauth

करवा चौथ पर मिट्टी का करवा ही क्यों होता है शुभ? जानें इसका रहस्य और पूजा विधि

करवा चौथ का व्रत प्रेम, विश्वास और ऊर्जा का पर्व है। इस खास दिन पर मिट्टी के करवे के विशेष महत्व और करवे से पूजा करने के सही तरीके के बारे में हमें एस्ट्रोलॉजर सिद्धार्थ एस कुमार बता रहे हैं। 
Editorial
Updated:- 2025-10-08, 10:02 IST

करवा चौथ हर सुहागन महिला के लिए सिर्फ व्रत नहीं, बल्कि अटूट प्रेम, विश्वास और ऊर्जा का पर्व है। इस दिन पत्नी अपने पति की लंबी आयु, उत्तम स्वास्थ्य और समृद्ध जीवन की कामना करती है। हालांकि, इस व्रत की असली गहराई तब समझ में आती है, जब हम जान पाते हैं कि मिट्टी का करवा इस पर्व का इतना महत्वपूर्ण हिस्सा क्यों माना जाता है और करवे से पूजा करने का सही तरीका क्या है। इस विषय में हमें एस्ट्रोलॉजर सिद्धार्थ एस कुमार विस्तार से जानकारी दे रहे हैं।

करवा का अर्थ और महत्व

‘करवा’ शब्द संस्कृत के 'कुंभ' से निकला है, जिसका अर्थ जल का पात्र है। यह मिट्टी का बर्तन होने के साथ जीवन, ऊर्जा और समर्पण का प्रतीक है। मिट्टी पृथ्वी तत्व का प्रतिनिधित्व करती है, जो स्थिरता, धैर्य और सहनशीलता की पहचान है। जब महिलाएं इस दिन मिट्टी के करवे में जल भरकर पूजा करती हैं, तब वे मूल रूप से पृथ्वी तत्व को प्रणाम करती हैं और अपने जीवन में स्थायित्व की ऊर्जा को आमंत्रित करती हैं। इसलिए, मिट्टी का करवा केवल परंपरा नहीं, बल्कि ऊर्जा संतुलन का प्रतीक है।

impotance of clay pot on karwa chauth

करवा चौथ की पौराणिक कथा

पौराणिक मान्यता के अनुसार, एक समय की बात है, वीरावती नाम की एक राजकुमारी ने पहली बार करवा चौथ का व्रत रखा। वह पूरे दिन बिना जल और अन्न के अपने पति की दीर्घायु की कामना में तप कर रही थी। परंतु उसके भाइयों ने बहन को कष्ट में देखकर छल से दीपक को छलनी के पीछे रख दिया और कहा कि चांद निकल आया है।

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वीरावती ने व्रत तोड़ दिया और उसी क्षण उसके पति के जीवन पर संकट आ गया। तब देवी पार्वती ने उसे बताया कि यह छल हुआ है। यदि वह सच्चे मन से पुनः व्रत रखेगी, तो उसका पति पुनर्जीवित होगा। वीरावती ने पूरे श्रद्धाभाव से करवा चौथ का व्रत दोहराया और उसके पति को जीवनदान मिला। यही कारण है कि आज भी इस दिन सच्ची निष्ठा, संयम और श्रद्धा से किया गया व्रत चमत्कारिक फल देता है।

Why do we use Chalni in Karwa Chauth

मिट्टी के करवे से पूजा का सही तरीका

  • करवे की स्थापना- सुबह स्नान के बाद मिट्टी का करवा लें। इसमें शुद्ध जल, रोली, चावल, थोड़ा दूध और कुछ रुपये डालें। इसे चौकी पर लाल कपड़े पर रखें।
  • गौरी माता की पूजा- गौरी माता और भगवान शिव की मूर्ति रखें। करवे के पास दीपक जलाएं और हल्दी-चावल से आराधना करें।
  • सखी-सखियों के साथ कथा सुनना- संध्या के समय सुहागिनें एकत्र होकर करवा चौथ की कथा सुनती हैं। इस समय करवा एक-दूसरे को दिया जाता है, जिससे शेयर आशीर्वाद की भावना प्रकट होती है।
  • चांद दर्शन और अर्घ्य- रात्रि में चांद निकलने पर छलनी से चांद और पति का मुख देखा जाता है। मिट्टी के करवे से ही चांद को अर्घ्य देकर पति के दीर्घायु की कामना की जाती है।

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