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Holi Festival 2025

Tesu Phool Holi: रंगों की जगह आखिर ब्रज और आजमगढ़ में टेसू के पानी से क्यों खेली जाती है होली?

Holi Festival 2025: फाल्गुन माह की पूर्णिमा को मनाया जाने वाला होली का पर्व देश-दुनिया में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। यह इन लोग एक-दूसरे को रंग और गुलाल लगाते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि कुछ जगहों पर टेसू के पानी से होली खेली जाती है। चलिए जानते हैं क्यों-
Editorial
Updated:- 2025-03-04, 18:30 IST

Tesu Flower Holi: आमतौर पर अधिकतर जगहों पर होली के मौके पर लोग एक-दूसरे को गुलाल और रंग लगाते हैं। वर्तमान में मथुरा में फागुन रंगोत्सव का पर्व शुरू हो चुका है। यहां पर कुल 40 दिनों तक यह पर्व मनाया जाता है। बसंत पंचमी के दिन से गुलाल और रंग भरी एकादशी से मंदिरों में रंगों की होली खेली जाती है। पूरे ब्रज में विभिन्न तरीकों से होली को सेलिब्रेट किया जाता है। इसमें कहीं फूल, लड्डू, लठ्ठ मार और चप्पल मार होली खेली जाती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि कुछ जगहों पर होली खेलते समय टेसू के पानी का उपयोग किया जाता है। चलिए जानते हैं कि टेसू फूल के पानी से होली क्यों खेलते हैं।

प्राकृतिक और सुरक्षित रंग

Which flower is used in Holi

टेसू के फूलों से तैयार रंग यानी पानी पूरी तरह से नेचुरल और केमिकल फ्री होता है। इससे तैयार रंग शरीर के लिए सुरक्षित होते हैं। इसका इस्तेमाल रासायनिक रंगों से बचने के लिए किया जाता है,ताकि त्वचा को नुकसान न पहुंच सके। टेसू के फूलों से बने रंग के कारण होली खेलना न केवल रंगीन होता है, बल्कि यह स्वास्थ्य के लिए भी सुरक्षित है। बता दें कि पलाश के फूलों का रंग गहरे लाल और नारंगी मिक्स रंग में होता है। यह नेचुरल रंग आमतौर पर गुलाल और रासायनिक रंगों की तुलना में बहुत अधिक चमकदार और सुंदर दिखाई देता है।

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सांस्कृतिक महत्व

Significance of Tesu Flowers

हिन्दू धर्म में टेसू के फूलों का विशेष रूप से धार्मिक महत्व है। बता दें कि टेसू के फूलों को भगवान शिव से जोड़ा जाता है और इसे पूजा में उपयोग किया जाता है। शिव मंदिरों में अक्सर इन फूलों का अर्पण किया जाता है और यह पूजा के दौरान भक्तों द्वारा शुभ माना जाता है। होली के दिन, यह फूलों का रंग बुराई पर अच्छाई की जीत और समृद्धि की प्रतीक को दर्शाता है।

पुरानी परंपरा और इतिहास

Why is Holi celebrated with colors in India

प्राचीन समय में लोग केमिकल फ्री कलर का इस्तेमाल किया जाता था, जो मुख्यता प्रकृति में पाई जाने वाली चीजों से तैयार किया जाता था, खासकर टेसू के फूल से। टेसू के फूलों का रंग एक बेहतरीन और पसंदीदा कलर में से था और समय के साथ यह परंपरा आज भी कायम रही।

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Image credit- Freepik


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