हम सभी के घर में पूजा का कोई विशेष स्थान होता है। हिंदू धर्म में सभी लोग पूजा -पाठ अवश्य करते हैं। कुछ लोग घर में ही पूजा करते हैं तो कुछ मंदिर में जाकर पूजा करते हैं। ज्योतिष में ऐसा माना जाता है कि घर को हमेशा घर ही रहने देना चाहिए इसे मंदिर नहीं बनाना चाहिए।
तात्पर्य यह है कि घर में एक विशेष स्थान पर ही पूजा का मंदिर होना चाहिए जिससे लोग शांति से पूजन कर सकें और शुभ फलों की प्राप्ति कर सकें। लोग पूजा के स्थान पर ध्यान केंद्रित करके दिनभर की गतिविधियां निर्धारित करते हैं और अपने इष्ट देव का पूजन करते हैं।
ऐसा माना जाता है कि पूजा के स्थान पर मूर्तियों के लिए कुछ वास्तु नियमों का पालन जरूर करना चाहिए, जिससे पूर्ण फल मिले। यदि आप भी मंदिर में भगवान की मूर्तियां रखती हैं तो आपको कुछ विशेष धातुओं की मूर्तियों की पूजा की सलाह दी जाती है, वहीं कुछ धातुओं का इस्तेमाल भूलकर भी आपको मूर्तियों के रूप में नहीं करना चाहिए। आइए नारद संचार के ज्योतिष एक्सपर्ट अनिल जैन जी से जानें कि आपको पूजा के समय किस धातु की मूर्तियों की पूजा करनी चाहिए।
पूजा के मंदिर में रखें ऐसी मूर्तियां
पूजा स्थान पर आपको हमेशा एक निर्धारित आकार की मूर्तियां ही रखनी चाहिए। ऐसा माना जाता है कि घर में आपको 9 इंच से ज्यादा ऊंचाई की मूर्तियां नहीं रखनी चाहिए। इससे ज्यादा ऊंचाई की मूर्तियों की पूजा करने से पूजा का पूर्ण फल नहीं मिल पाता है और हम उनकी पवित्रता भी नहीं बनाए रख पाते हैं, इसलिए हमेशा आपको छोटी मूर्तियां ही घर में रखने की सलाह दी जाती है।
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पूजा स्थान में रखें सोने और चांदी की मूर्तियां
जब पूजा की मूर्तियों की बात आती है तो कुछ विशेष धातुएं हैं जो सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती हैं और नकारात्मकता को दूर भगाती हैं। उन धातुओं में से सबसे शुद्ध सोने और चांदी की मूर्तियां हैं।
ज्योतिष में ऐसा माना जाता है कि यदि घर में इन मूर्तियों (मंदिर में न रखें ऐसी मूर्तियां) की नियमित पूजा होती है तो इनसे निकलने वाली ऊर्जा पूरे घर में फैलती है और वहां रहने वाले लोगों में भी ऊर्जा का संचार करती है। इनमें से जहां एक तरफ सोना बृहस्पति का प्रतिनिधित्व करता है वहीं चांदी चंद्रमा का प्रतिनिधित्व करती है। इसी वजह से से दोनों धातुएं पूजा स्थान के लिए सबसे शुभ मानी जाती हैं।
पूजा स्थान में तांबे और पीतल की मूर्तियां रखें
कई बार हम अपनी सामर्थ्य के अनुसार सोने और चांदी की मूर्तियां नहीं खरीद पाते हैं। ऐसे में सबसे शुद्ध धातु तांबे को माना गया है। ऐसी मान्यता है कि तांबे की मूर्ति की पूजा करने से व्यक्ति को स्वर्ण की मूर्ति की पूजा करने के बराबर फल मिलता है। इसी वजह से आप घर में इस धातु की मूर्तियां जरूर रखें। यही नहीं तांबे के अलावा पीतल भी ऐसी धातु है जिसकी मूर्तियां आप घर में रखें तो आपको विशेष लाभ की प्राप्ति होती है।
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पूजा में न करें इन मूर्तियों का इस्तेमाल
ऐसा माना जाता है कि पूजा के दौरान आपको कुछ विशेष धातुओं के इस्तेमाल (पूजा के बर्तनों के लिए शुभ धातुएं) से बचना चाहिए। ये धातुएं अपवित्र मानी जाती हैं, जिससे भगवान की मूर्ति के रूप में अशुद्ध माना जाता है। यदि पूजा की मूर्तियों की बात करें तो लोहे, स्टेनलेस स्टील और एल्युमिनियम की मूर्तियों का इस्तेमाल आपको पूजा पाठ में नहीं करना चाहिए। इन मूर्तियों की पूजा से आपको शुभ फलों की प्राप्ति नहीं होती है।
इस प्रकार आप यदि घर में भगवान् की नई मूर्तियां ला रहे हैं तो वास्तु के कुछ नियमें का पालन जरूर करें और उचित धातु की मूर्तियों का ही चुनाव करें।
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Image Credit: freepik.com
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