मंगलसूत्र एक ऐसा गहना है जो हर एक शादीशुदा स्त्री की पहचान माना जाता है। दुल्हन के सोलह श्रृंगारों में से एक मंगलसूत्र ऐसा प्रतीक माना जाता है जिसे दूल्हा दुल्हन को गले में पहनाता है और इससे एक शादी को पूर्णता मिलती है।
आमतौर पर मंगलसूत्र को एक धागे में पिरोए गए काले मोतियों के रूप में देखा जाता है जिसमें सोने का लॉकेट लगा होता है। इसे शादी के समय पहनाया जाता है और हमेशा गले में पहनने का विधान है।
वहीं किसी अन्य गहने की ही तरह इसे खरीदने और पहनने के भी कुछ विशेष नियम बनाए गए हैं और इनका पालन हर एक विवाहित स्त्री के लिए जरूरी माना जाता है। वहीं एक मान्यता यह भी है कि अगर आप नया मंगलसूत्र खरीदने जा रही हैं तो कुछ विशेष दिनों में ही इसे खरीदना चाहिए और वहीं कुछ समय इसे खरीदने से बचना चाहिए। आइए ज्योतिषाचार्य डॉ आरती दहिया से जानें मंगलसूत्र खरीदने के नियमों के बारे में।
मंगलसूत्र शब्द दो शब्दों मंगल और सूत्र से मिलकर बना है। मंगल शब्द का अर्थ है शुभ और सूत्र शब्द का अर्थ है धागा। अतः मंगलसूत्र का मिला-जुला अर्थ होता है दो आत्माओं को जोड़ने वाला शुभ धागा।
ऐसा माना जाता है कि मंगलसूत्र हिंदू परंपरा के आवश्यक पहलुओं में से एक है और इसकी उत्पत्ति दक्षिण भारत में हुई और इसे उत्तरी राज्यों द्वारा अपनाया गया। दक्षिण भारत में, समुदाय और जाति के आधार पर मंगलसूत्र का नाम और शैली बदल जाती है। इसे आमतौर पर थिरुमंगलयम कहा जाता है और इसमें एक लंबा पीला धागा और कुल के देवी का प्रतिनिधित्व करने वाला एक सोने का पेंडेंट होता है।
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हिंदू परंपराओं और संस्कृति में किसी भी महिला की वैवाहिक स्थिति के पांच प्रतीक माने जाते हैं - मंगलसूत्र, बिछिया, सिन्दूर, कांच की चूड़ियां और एक नाक की नथुनी। इन सभी में से सबसे महत्वपूर्ण मंगलसूत्र को ही माना जाता है क्योंकि इससे ही किसी विवाहित महिला की पहचान होती है।
हिंदू संस्कृति के अनुसार जो महिला मंगलसूत्र पहनती है उसके जीवन में सदैव सौभाग्य बना रहता है। इसी वजह से हर विवाहित स्त्री को मंगलसूत्र पहनने की सलाह दी जाती है। ऐसा माना जाता है कि यदि आपका मंगलसूत्र पुराना हो जाए या किसी वजह से टूट जाए तो उसके स्थान पर नया मंगलसूत्र खरीदना चाहिए।
यदि आप नया मंगलसूत्र खरीद रही हैं या फिर शादी के लिए खरीदारी कर रही हैं जिसमें बेटी या बहु के लिए मंगलसूत्र की खरीदारी कर रही हैं तो आपको दिन का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
मंगलसूत्र आपको किसी भी शुभ अवसर पर सोमवार, गुरुवार या शुक्रवार के दिन ही खरीदना चाहिए। इसके साथ ही यदि आप तिथि की बात करें तो अक्षय तृतीया, धनतेरस या पूर्णिमा तिथि के दिन मंगलसूत्र खरीदना सबसे शुभ माना जाता है। यदि हम इसे खरीदने की तारीख की बात करें तो इसे किसी भी महीने की 3, 12, 21, 31, 6, 15 और 24 तारीख को खरीदना चाहिए।
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किसी भी अन्य सुहाग की सामग्री की ही तरह आपको मंगलसूत्र मंगलवार व शनिवार के दिन नहीं खरीदना चाहिए। यदि आप इन दिनों में मंगलसूत्र खरीदती हैं और उसे इस्तेमाल करती हैं तो इसके शुभ फल नहीं मिलते हैं। आपको मंगलसूत्र अमावस्या तिथि के दिन, खरमास में, पितृ पक्ष में या फिर मलमास में भी न खरीदने की सलाह दी जाती है। वैसे तो इन दिनों में किसी भी नई चीज को खरीदने या इस्तेमाल की सलाह नहीं दी जाती है, लेकिन मुख्य रूप से आपको सुहाग की किसी भी सामग्री को खरीदने से बचना चाहिए।
मंगलसूत्र पहनने के कई स्वास्थ्य लाभ तो हैं ही और ये ज्योतिष के अनुसार भी बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। ज्योतिष में मान्यता है कि काले मोतियों वाला मंगलसूत्र विवाह की पवित्रता को बनाए रखते हुए पति-पत्नी के रिश्ते को मजबूत करता है। मंगलसूत्र महिला के शरीर में सूर्य-नाड़ी को उत्तेजित करता है और उसमें निहित ऊर्जा को जागृत करता है। मंगलसूत्र में सोना धातु का भी इस्तेमाल किया जाता है जो सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है और किसी भी बुरी नजर को दूर रखता है।
ज्योतिष में ऐसी मान्यता है कि अगर कोई महिला सही नियमों के अनुसार मंगलसूत्र पहनती है तो यह पति-पत्नी के बीच वफादारी, प्रतिबद्धता और प्यार को बढ़ाने के लिए बहुत शुभ माना जाता है।
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