मराठा और मुगल साम्राज्य का इतिहास यूं तो भारत में काफी पुराना है। लेकिन, 'छावा' फिल्म के रिलीज होने के बाद यह एक बार फिर चर्चा में आ गया है। विक्की कौशल की फिल्म 'छावा' ने कमाई के मामले में कई बड़ी फिल्मों को पीछे छोड़ दिया है और फिल्म के इतिहास के कुछ पन्नों को इस तरह पलटा है कि मुगल बादशाह औरंगजेब की क्रूरता और संभाजी महाराज के बलिदान को लेकर लगातार बातें हो रही हैं। औरंगजेब की क्रूरता की जिक्र इतिहास के पन्नों में सालों से है। लेकिन, जब यह परदे पर इस तरह उतरा, तो लोगों में आक्रोश बढ़ने लगा। औरंगजेब ने संभाजी महाराज की बेरहमी से हत्या कर दी थी। लेकिन, यह भी सच है कि वह अपने ही लोगों के धोखे से पकड़े गए थे वरना उनके साहस और पराक्रम के सामने मुगल कहीं नहीं टिकते थे। इन दिनों औरंगजेब की कब्र को लेकर भी विवाद छिड़ा हुआ है। लेकिन, क्या आपको पता है कि संभाजी महाराज ने औरंगजेब को एक खत लिखकर उसे अपने लिए कब्र की जगह ढूंढने की चेतावनी दी थी और इसके बाद औरंगजेब के होश फाक्ता हो गए थे। इस किस्से का जिक्र फिल्म में भी किया गया है। चलिए, आपको बताते हैं यह दिलचस्प किस्सा।
शिवाजी महाराज ने मराठा साम्राज्य की नींव रखी थी और उनके बाद उनके स्वराज्य के सपने को उनके बेटे संभाजी महाराज यानी छावा ने मुगलों को टक्कर देते हुए आगे बढ़ाया। औरंगजेब की क्रूरता को लेकर इन दिनों विवाद छिड़ा हुआ है और महाराष्ट्र से उसकी कब्र को हटाने पर भी विवाद खड़ा हो गया है, जो लगातार तूल पकड़ रहा है। एक बार संभाजी महाराज ने औरंगजेब को खत लिखकर उसकी कब्र की जगह ढूंढने लेने की चेतावनी दी थी और कुछ ऐसा कहा था, जो बाद में सच साबित हुआ था। दरअसल, साल 1681 में औरंगजेब के चौथे बेटे मोहम्मद अकबर ने उसके खिलाफ विद्रोह कर दिया था। औरंगजेब से परास्त होने के बाद अकबर, संभाजी के पास पहुंचा था। उस वक्त पर संभाजी ने औरंगजेब की एक पत्र लिखा था। इतिहासकार बताते हैं कि जब इस पत्र को औरंगजेब के दरबार में पढ़ा गया था, तो उसके होश उड़ गए थे। इस पत्र में संभाजी महाराज ने कहा था कि वह और उनके पिता यानी शिवाजी महाराज एक बार औरंगजेब की कैद से छूटकर दिखा चुके हैं। हिन्दुस्तान की जनता अलग-अलग धर्मों को मानती है और औरंगजेब जिस सोच को लेकर दक्कन आए हैं, अब उन्हें उससे संतुष्ट होकर वापिस लौट जाना चाहिए क्योंकि अगर वह जिद पर अड़े रहे, तो वह दिल्ली वापिस नहीं जा पाएंगे और अगर उनकी यही इच्छा है कि उन्हें दक्कन में ही अपनी कब्र के लिए जगह ढूंढ लेनी चाहिए।
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औरंगजेब आखिर तक दक्कन को पूरी तरह जीतने के सपने को पूरा नहीं कर पाया था। दक्कन में मराठाओं ने उसे लोहे के चने चबाने पर मजबूर कर दिया था। संभाजी महाराज की बात आखिर में सच साबित हुई और औरंगजेब की कब्र दक्कन में ही है। औरंगाबाद के खुल्दाबाद में मुगल बादशाह औरंगजेब को दफनाया गया था, जिसे लेकर आजकल विवाद छिड़ा हुआ है।
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