
बचपन एक ऐसा पड़ाव होता है जब बच्चा कई तरह की नई चीजों में ढल रहा होता है और वो अपने घर के साथ आस-पास के वातावरण से भी कई चीजें सीखता है। बच्चों के मन में न जाने कितनेसवालहोतेहैंऔरवो उन सवालों के जवाब जानने के लिए उत्सुक रहते हैं। आज के समय में बच्चे इंटरनेट, सोशल मीडिया और दोस्तों से जल्दी ही किसी भी विषय पर जानकारी हासिल कर लेते हैं, लेकिन सही मार्गदर्शन ना मिलने पर उन्हें अधूरी या गलत जानकारी मिलती है जो उनके आने वाले समय के लिए कई तरह की समस्याओं का कारण बनती है। बच्चों की ग्रोइंगस्टेज में कई अन्य चीजों की जानकारी के साथ SexEducation को भी बेहद जरूरी विषय माना जाता है, लेकिन आज भी कई माता-पिता इसे लेकर बात करने में असहज महसूस करते हैं।
ज्यादातर पेरेंट्स यही सोचते हैं कि सेक्स एजुकेशन देने का मतलब बच्चों को समय से पहले ‘एडल्ट बातें’ बताना, लेकिन वास्तविकता यह नहीं है। अगर हम विशेषज्ञों की मानें तो उनके अनुसार ज्यादातर पेरेंट्स इसी ग़लतफ़हमी में रहते हैं, कि बच्चों को इसकी जानकारी नहीं देनी चाहिए और वो समय के साथ खुद ही इसके बारे में जान जाएंगे। हालांकि यदि आप बच्चों को सही उम्र और सही तरीके से इसकी जानकारी दें तो बच्चों में आत्मविश्वास बढ़ता है और उन्हें अपने शरीर से जुड़ी कई बातों की जानकारी भी हो सकती है। आइए Fortis Hospital की Clinical Psychologist Mimansa Singh Tanwar और Steris Healthcare के Chairman Mr Jeevan Kasara से जानें कि बच्चों को Sex Education की जानकारी देने का सही तरीका क्या होना चाहिए?
अगर हम 10 साल से कम उम्र में इस तरह की शिक्षा की बात करें तो इस उम्र में बच्चों को सेक्स शब्द को सीधे तौर पर बताना गलत है, लेकिन इस उम्र में या इससे भी कम उम्र में ही आपको बच्चों को गुड और बैड टच के बारे में बताना चाहिए। अगर आप इस उम्र में ही बच्चों को इस तरह की जानकारी देती हैं तो उनकी सुरक्षा के लिए अच्छा हो सकता है।
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एक्सपर्ट जीवन कसारा का कहना है कि बच्चों को कम उम्र में सिर्फ उनके शरीर, प्राइवेट पार्ट्स, गुड टच और बैड टच जैसी बातें बताएं। जैसे-जैसे बच्चे बड़े होते हैं, आप धीरे-धीरे रिश्तों, सहमति और सुरक्षित व्यवहार पर भी उनके साथ चर्चा बढ़ा सकती हैं। इस तरह बच्चे पेरेंट्स से खुलकर किसी भी विषय में बात कर पाएंगे और किसी भी गलत रास्ते में जाने से बचे रहेंगे।
जब आप बच्चों को इस तरह की कोई भी शिक्षा दे रही हैं, तो ध्यान रखें कि बच्चों को उनके शरीर के अंगों के सही नाम बताएं, जैसे Penis, Vagina, Breasts जैसे शरीर के हिस्सों की सही जानकारी दें। इससे वे अपने शरीर को समझेंगे और किसी खतरे की स्थिति में पेरेंट्स से मदद मांग सकेंगे।

ऐसा जरूरी नहीं है कि आप बच्चों को Sex Education की पूरी जानकारी एक बार में ही दें। बच्चों से बार-बार छोटे-छोटे सेशंस में बात करें। इससे वो आपसे खुलकर सवाल पूछ सकते हैं और कोई भी जानकारी भूलते नहीं हैं। यही नहीं 10 साल से कम उम्र के बच्चों या फिर टीनएज तक के बच्चों से उनके स्कूल में होने वाली गतिविधियों के बारे में भी बात करें, जिससे वो आपसे कोई भी बात छिपाएं नहीं और खुलकर अपनी जिज्ञासा को सामने रखें।
ऐसी कोई भी शिक्षा देने के लिए बच्चों को डराने के बजाय सही तथ्यों और उदाहरणों के जरिए ही समझाएं जैसे कि अनसेफ टच क्या होता है और आपको ऐसी किसी भी परिस्थिति में किससे मदद लेनी चाहिए। बच्चों को यह भी बताएं कि दूसरों की सहमति और अपनी सीमाओं का सम्मान करना उनके लिए कितना महत्वपूर्ण है। यह उन्हें जिम्मेदार और आत्मविश्वासी बनाता है।
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बच्चों को ऐसी शिक्षा देने का सबसे बड़ा मूल मंत्र है है कि पेरेंट्स बच्चों की बातों के लिए ओपन हों और उन्हें जजमेंटल भी नहीं होना चाहिए। बच्चों की बातों को पूरी तरह सुनना जरूरी है, तभी आप अपना कोई निर्णय ले सकती हैं। आपके ऐसे व्यवहार से बच्चे आसानी से अपने कोई भी सवाल सामने रख सकते हैं।
आजकल के बच्चे बहुत ज्यादा समय इंटरनेट या ऑनलाइन प्लेटफार्म पर बिताते हैं और कई बार इन जगहों से बच्चों को गलत जानकारी मिल जाती है और उसी को वो सही मानकर चलते हैं। पेरेंट्स बच्चों को गाइड करें कि उनके लिए कौन सी जानकारी सही और सुरक्षित है और क्या उनके लिए गलत और खतरनाक साबित हो सकता है।

सेक्स एजुकेशन न सिर्फ लड़कियों बल्कि लड़कों के लिए भी जरूरी है। इससे वो किसी का भी सम्मान कर पाएंगे और अपनी सीमाएं तय करने में सफल हो सकेंगे। बच्चों को सेक्स एजुकेशन कहानियों, किताबों या कुछ वीडियो के जरिए दी जा सकती है, क्योंकि ये बच्चे ज्यादा समय तक याद रख पाते हैं।
एक्सपर्ट्स मानते हैं कि Sex Education बच्चों को सुरक्षित, जिम्मेदार और आत्मविश्वासी बनाती है। छोटे-छोटे कदम से शुरू करके और उम्र के अनुसार जानकारी बढ़ाकर माता-पिता बच्चों की समझ और सुरक्षा को मजबूत कर सकते हैं।
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