एक नहीं, कई तरह के होते हैं सेविंग्स अकाउंट...जानिए आपके लिए कौन-सा है बेहतर?

Types of Saving Account: बचत करने के लिए ज्यादातर लोग सेविंग्स अकाउंट में पैसा जमा करते हैं। लेकिन, क्या आप जानती हैं सेविंग्स अकाउंट एक नहीं, बल्कि कई तरह के होते हैं। 
types of savings accounts
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महिलाएं हमेशा से बचत में एक्सपर्ट होती हैं। वह कभी राशन के डिब्बे में पैसे छिपाती हैं तो कभी कपड़ों की तय में। लेकिन, आज का समय स्मार्टनेस और फाइनेंस मैनेज करने का है जहां राशन के डिब्बे और कपड़ों में पैसा छिपाना फायदे का सौदा नहीं है। ऐसे में बचत में आपकी मदद कर सकता हैं बैंक में एक सेविंग अकाउंट। आजकल ऐसे तो ज्यादातर लोगों का बैंक में सेविंग अकाउंट होता है। जहां लोग पैसा जमा करते हैं और जरूरत पड़ने पर निकाल लेते हैं।

सेविंग्स अकाउंट के अनेकों फायदे होते हैं। लेकिन, आज हम यहां सेविंग अकाउंट के फायदों के बारे में नहीं बल्कि, यह कितने प्रकार के होते हैं इस बारे में बात करने जा रहे हैं। अगर आपको भी अभी तक यह लगता था कि बैंक में सिर्फ एक ही तरह का सेविंग अकाउंट होता है तो आप गलत हैं। आइए, यहां जानते हैं कि सेविंग अकाउंट्स कितने प्रकार के होते हैं और किस खाते में किस तरह की सुविधा मिलती है।

कितनी तरह के होते हैं सेविंग्स अकाउंट?

रेगुलर सेविंग अकाउंट

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पैसों की बचत के लिए सबसे ज्यादा यही अकाउंट बैंक में खोला जाता है। इस अकाउंट को आधार कार्ड और पैन कार्ड की डिटेल्स और बेसिक शर्तों के साथ खोल सकते हैं। रेगुलर सेविंग अकाउंट में बिना पैसा जमा कराने और निकालने की भी लिमिट नहीं होती है। हालांकि, रेगुलर सेविंग अकाउंट के लिए ज्यादातर बैंक मिनिमम बैलेंस की शर्त रखते हैं। ऐसे में अगर आप मिनिमम बैलेंस अकाउंट में नहीं रखते हैं तो बैंक आप पर फाइन लगा सकता है।

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सैलरी सेविंग अकाउंट

यह रेगुलर सेविंग अकाउंट से अलग होता है। इसे कंपनियां अपने कर्मचारियों के लिए खुलवाती हैं और इसी में सैलरी क्रेडिट करती हैं। सैलरी सेविंग अकाउंट में मिनिमम बैलेंस की शर्त नहीं होती है। साथ ही यह कस्टमर्स को अपने साथ जोड़े रखने के लिए ओवरड्राफ्ट की सुविधा भी देते हैं। लेकिन, इस अकाउंट में लगातार तीन महीने तक कंपनी की तरफ से सैलरी नहीं आती है तो इसे रेगुलर सेविंग अकाउंट में बदल दिया जाता है।

जीरो बैलेंस सेविंग अकाउंट

जीरो बैलेंस अकाउंट में सेविंग्स और करंट, दोनों अकाउंट के फायदे मिलते हैं। इसमें मिनिमम बैलेंस की लिमिट नहीं होती है। अगर आपके अकाउंट में एक भी रुपया न रहे तो भी बैंक की तरफ से जुर्माना नहीं लगता है। लेकिन, जीरो बैलेंस अकाउंट स्टूडेंट्स या सरकारी स्कीम्स जैसे जन-धन योजना के तहत ही खुलता है।

महिला सेविंग अकाउंट

यह अकाउंट सिर्फ महिलाओं के लिए है। जिसका मकसद ज्यादा से ज्यादा महिलाओं को बचत और बैंक में पैसा जमा करने के लिए प्रोत्साहित करना है। महिला सेविंग अकाउंट में कम इंटरेस्ट रेट पर लोन, डिमैट अकाउंट में एनुअल चार्ज पर छूट और शॉपिंग पर डिस्काउंट भी मिलता है। हालांकि, इस बैंक की सुविधा ज्यादातर सरकारी बैंकों में ही मिलती है।

सीनियर सिटिजंस सेविंग अकाउंट

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यह अकाउंट 60 साल से ऊपर के सीनियर सिटिजंस के लिए बनाया गया है। सीनियर सिटिजन अकाउंट में रेगुलर सेविंग खाते के मुकाबले फिकस्ड डिपॉजिट और सेविंग्स पर ज्यादा ब्याज मिलता है। ऐसे में अगर आपके घर में कोई 60 साल से ज्यादा का शख्स है तो बैंक में उनका अकाउंट सीनियर सिटिजन अकाउंट कैटेगरी में ट्रांसफर करा सकते हैं।

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माइनर्स सेविंग अकाउंट या स्टूडेंट सेविंग अकाउंट

स्टूडेंट्स और 18 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए माइनर्स सेविंग अकाउंट होता है। इसे स्टूडेंट सेविंग अकाउंट भी कहा जाता है। यह अकाउंट ज्यादातर स्टूडेंट्स की फीस और स्कॉलरशिप के लिए डिजाइन किया गया है। RBI के नए नियमों के मुताबिक, अब 10 साल से ज्यादा उम्र के बच्चे अपना अकाउंट खोल सकते और जब बच्चा 18 साल की उम्र पूरी कर जाएगा तो उसका अकाउंट रेगुलर में चेंज कर दिया जाएगा।

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Image Credit: Freepik

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