हिंदू शादी की सबसे प्रमुख रस्मों में से एक है जयमाल। यह एक ऐसी रस्म है जिसमें दूल्हा और दुल्हन एक दूसरे के गले में फूलों से बनी माला पहनाते हैं और एक-दूसरे को जीवनसाथी के रूप में चुनते हैं।
यह पति-पत्नी के रूप में एक-दूसरे को स्वीकार करने और एक साथ अपने नए जीवन के प्रति उनकी प्रतिबद्धता का प्रतीक माना जाता है। जयमाल की रस्म आमतौर पर शादी समारोह में, दूल्हा और दुल्हन के मंडप में आने के बाद और मुख्य समारोह की शुरुआत से पहले की जाती है।
यह वर और वधु दोनों के लिए एक सुखद पल होता है जिसका उन्हें काफी समय से इन्तजार होता है। लेकिन एक बड़ा सवाल यह उठता है कि शादी संपन्न होने के बाद इस जयमाला का क्या करना चाहिए। इस बात के बारे में विस्तार से जानने के लिए हमने ज्योतिर्विद पंडित रमेश भोजराज द्विवेदी से बात की। आइए जानें इसके बारे में विस्तार से।
घर में एक सुरक्षित स्थान पर रखें
शादी के बाद आप जयमाला को घर के एक सुरक्षित स्थान पर रख सकती हैं। इसे घर के मंदिर के पास रखें या ऐसी जगह पर रखें जहां पूरी तरह से साफ़-सफाई हो। आप इसे अपनी शादी की निशानी के रूप में सुरक्षित रख सकती हैं। इसे ऐसे स्थान पर टांग सकती हैं जहां किसी बाहरी की नजर न पड़े और यदि इसके फूल सूख जाएं तब भी इसे आप अपने घर में या अलमारी के भीतर रख सकती हैं।
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इसे घर के गार्डन में दबा दें
जयमाला को आप घर के भीतर या बाहर गार्डन में एक गड्ढा खोदकर दबा दें। इससे यह सुरक्षित भी रहती है और इसका कोई दुरुपयोग भी नहीं होता है। जयमाला के फूल गार्डन में खाद का काम भी करते हैं। इसके फूलों को आप ऐसे भी गार्डन में डाल सकती हैं और कुछ दिनों में यह मिट्टी में पूरी तरह से मिल जाती है और खाद बन जाती है। आप इसे किसी ऐसे स्थान पर भी गाड़ सकती हैं जो आपके विवाह से जुड़ा हुआ हो। जैसे शादी वाले स्थान पर।
पवित्र नदी में विसर्जित कर सकती हैं
जयमाला को आप एक पारंपरिक तरीके से डिस्पोज कर सकती हैं। कुछ हिंदू परंपराओं के अनुसार शादी के बाद जयमाला को किसी पवित्र नदी में विसर्जित कर दिया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इससे विवाहित जोड़े के जीवन में सदैव खुशहाली बनी रहती है। कोशिश करें कि जयमाला (जयमाला चुनते समय इन बातों पर दें ध्यान) को टूटने न दें और इसे साबुत ही विसर्जित करें।
इसे कचरे में न फेंकें
भूलकर भी आपको जयमाला को कचरे में नहीं डालना चाहिए, इससे आपके वैवाहिक जीवन में समस्याएं हो सकती हैं। दरअसल शादी के समय वर और वधु को भगवान् विष्णु और माता लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है, इसलिए उनपर चढ़ाई गई कोई भी चीज प्रसाद स्वरुप बन जाती है। इसलिए जयमाला को संभालकर रखना जरूरी होता है और इसमें झाड़ू या पोछे का स्पर्श भी नहीं कराना चाहिए।
प्यार के प्रतीक होता है जयमाला
जयमाला को शादीशुदा जोड़े के बीच प्रेम का प्रतीक माना जाता है और यह एक-दूसरे को समीप लाने का एक स्रोत माना जाता है। इसी वजह से शादी की रस्में होने के बाद इस जयमाला को किसी धूप वाली जगह पर टांग दें जिससे इसके फूल सूख खाएं और इनके खराब होने का डर न रहे। इससे आपसी प्रेम भी बना रहता है और किसी प्रकार का नुकसान भी नहीं होता है।
चूंकि जयमाला का आदान-प्रदान वर और वधु के आने वाले जीवन के लिए एक शुभ संकेत देने वाली रस्मों में से है, इसलिए इसके इस्तेमाल के बाद इसे सही स्थान पर रखना आगे के जीवन के लिए शुभ माना जाता है।
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