क्यों 10 साल के गैप पर ही होती है जनगणना, समय पर न हो तो क्या हो सकती है समस्या?

Census in India: देश की जनसंख्या, सामाजिक और आर्थिक संरचना का आकलन को बनाए रखने के लिए 10 साल के अंतराल पर जनगणना की जाती है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि अगर इसे समय पर न किया जाए तो क्या-क्या समस्याएं आ सकती हैं। चलिए जानते हैं।
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Impact of Delayed Census:भारत में जनगणना हर 10 साल में एक बार की जाती है। ऐसा इसलिए ताकि देश की जनसंख्या, सामाजिक और आर्थिक संरचना का आकलन करने में आसानी हो। देश में पहली बार साल 1872 में ब्रिटिश वायसराय लार्ड मेयो के समय जनगणना हुई थी। हालांकि पहली बार संपूर्ण भारत की जनसंख्या की गणना 1881 में हुई थी। बता दें कि उस दौरान भारत के वायसराय लार्ड रिपन थे। इसके बाद साल 2011 तक लगभग 15 बार जनगणना हुई। साल 2011 के बाद साल 2021 में भारत की जनगणना होनी थी।

कोविड महामारी की वजह से इसे स्थगित कर दिया था। अब ऐसे में क्या आपने कभी सोचा है कि अगर लोगों की गणना समय पर न की जाए तो क्या होगा। साथ ही किन प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ेगा। इस लेख में आज हम इस सवाल के जवाब के बारे में बताने जा रहे हैं।

क्यों 10 साल का होता है गैप ?

Impact of Delayed Census

संविधान और जनगणना अधिनियम के तहत जनगणना की जाती है। जनगणना का मुख्य उद्देश्य सरकारी नीतियों, योजनाओं और विकास कार्यों को सही तरीके से तैयार करना होता है, ताकि सरकार विभिन्न क्षेत्रों की जरूरतों के अनुसार संसाधनों का वितरण कर सके। अब ऐसे में यह भी जानते हैं कि आखिर 10 साल का ही अंतर क्यों होता है। बता दें कि 10 साल का अंतर इसलिए रखा जाता है क्योंकि जनगणना से संबंधित आंकड़े समय के साथ बदलते रहते हैं। 10 साल का समय इस बदलाव को ठीक से दर्शाने के लिए उपयुक्त माना जाता है।

इस दौरान सरकार विभिन्न नीतियों और योजनाओं को लागू करती है और यह समय का अंतराल जनसंख्या वृद्धि, आर्थिक बदलाव, सामाजिक संरचनाओं, और अन्य महत्वपूर्ण डेटा को एकत्र करने के लिए पर्याप्त होता है।

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समय पर जनगणना न होने से क्यों होती है दिक्कते

नीतियों की कमी

यदि जनगणना समय पर नहीं होती है, तो सरकार को सही डेटा नहीं मिल पाएगा, जिससे वह समाज के विभिन्न वर्गों और उनके विकास की सही योजना नहीं बना सकेगी। साथ ही नीतियों का लोगों तक पहुंचने में दिक्कत होती है।

विकास कार्यों में दिक्कत

Government Policies and Census

विकास के लिए योजनाएं जनगणना डेटा के आधार पर तय की जाती हैं। जनसंख्या और उनके सामाजिक-आर्थिक हालात का सही आकलन न होने पर, विकास योजनाओं का गलत तरीके से क्रियान्वयन हो सकता है।

संसाधनों का गलत वितरण

जनगणना के आधार पर ही सरकारी योजनाओं में संसाधनों का वितरण तय किया जाता है। यदि डाटा सही नहीं होगा, तो संसाधनों का वितरण भी गलत तरीके से हो सकता है, जिससे कुछ क्षेत्रों में कमी हो सकती है और कुछ क्षेत्रों में अधिकता।

कानूनी और सामाजिक समस्याएं

समय पर जनगणना न होने से सामाजिक योजनाओं और सरकारी सहायता की प्रक्रियाओं में असमानताएं आ सकती हैं। इससे समाज में असंतोष की स्थिति बन सकती है।

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Image credit- Freepik

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